राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना क्षेत्र के ग्रामीण पिछले तीन वर्ष से रिको के प्रस्तावित ओधोगिक क्षेत्र का विरोध कर रहे है । ग्राम सभा व् किसान जमीन नही देना चाहते है । समय - समय पर सामूहिक व् लिखित आपतिया भी दर्ज करवायी है । 28 अप्रैल को प्रशासन- पुलिस ने किसानो के खेतो में घुसने का प्रयास किया जिसके विरोध में आज 29 अप्रैल को महवा भराला भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति की बढ़िया मोड़ महवा पर बैठक हुई. पेश है महावा-भराला भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति की विज्ञप्ति;
29 अप्रैल 2015 महावा-भराला भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति की विशेष मीटिंग श्रीमति भगवती देवी की अध्यक्षमा में आयोजित की गई, जिसमें प्रशासन द्वारा कल (28.04.2015) बिना किसी पूर्व सूचना के पुलिस/फोर्स के साथ जमीन व मकानों की नाप-जोख करने आ गये जिनका महिलाओं ने विरोध किया, तब प्रशासन को वापस लौटना पड़ा।
ग्रामीण किसान महिला-पुरुषों का कहना है कि किसानों की उपजाऊ जमीन, चारागाह, बांध की जमीन, देव स्थान अधिग्रहण का पिछले तीन वर्ष से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। ग्रामसभा व किसानों ने इसके विरोध में समय-समय पर निश्चित समयावधि में सामूहिक व लिखित आपत्तियां भी दर्ज करवाइ्र हैं। ग्रामीण किसानों का कहना है कि किन नियम-कानून के आधार पर आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया है। बिना किसी पूर्व सूचना के पुलिस बल के साथ किसानों के खेतों में घुसकर नाप-जोख करना गैरकानूनी व आपराधिक कृत्य है, इसकी सभी ग्रामीण किसानों ने निंदा की है। कल (28.04.2015) प्रशासन द्वारा के कार्यवाही करने व जबरदस्ती नाप-जोख करने व महिलाओं के साथ बदसलूकी करने पर इन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने का निर्णय लिया गया।
- कैलाश मीणा, वार्ड
29 अप्रैल 2015 महावा-भराला भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति की विशेष मीटिंग श्रीमति भगवती देवी की अध्यक्षमा में आयोजित की गई, जिसमें प्रशासन द्वारा कल (28.04.2015) बिना किसी पूर्व सूचना के पुलिस/फोर्स के साथ जमीन व मकानों की नाप-जोख करने आ गये जिनका महिलाओं ने विरोध किया, तब प्रशासन को वापस लौटना पड़ा।
ग्रामीण किसान महिला-पुरुषों का कहना है कि किसानों की उपजाऊ जमीन, चारागाह, बांध की जमीन, देव स्थान अधिग्रहण का पिछले तीन वर्ष से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। ग्रामसभा व किसानों ने इसके विरोध में समय-समय पर निश्चित समयावधि में सामूहिक व लिखित आपत्तियां भी दर्ज करवाइ्र हैं। ग्रामीण किसानों का कहना है कि किन नियम-कानून के आधार पर आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया है। बिना किसी पूर्व सूचना के पुलिस बल के साथ किसानों के खेतों में घुसकर नाप-जोख करना गैरकानूनी व आपराधिक कृत्य है, इसकी सभी ग्रामीण किसानों ने निंदा की है। कल (28.04.2015) प्रशासन द्वारा के कार्यवाही करने व जबरदस्ती नाप-जोख करने व महिलाओं के साथ बदसलूकी करने पर इन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने का निर्णय लिया गया।
- कैलाश मीणा, वार्ड
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