कहाँ है सर्वशक्तिमान ईश्वर , केन्या में छात्रों से पहले पूछा धर्म फिर 147 बच्चो को मार दी गोली
केन्या में आतंकवादियों ने प्रार्थना सभा के बाद यूनिवर्सिटी में घुस के 147 छात्रों की हत्या कर दी ,
हर छात्र से पहले पूछा उनका धर्म ,
अलशबाब ने कहा की हाँ हमने उन्हें मारा हैं
585 छात्र अभी भी लापता हैं ,
इसके पहले भी दुनिया ऐसी ही धर्म के आधार पे हत्याएं की हैं ,
ऐसे ही पाकिस्तान में 187 स्कुल के बच्चो को मार दिया था ,
भारत में तो ऐसी कई घटनाये हुई है ,जिसमे सिर्फ इसलिए उन्हे मार दिए की वो दूसरे धर्म को मानते थे ,
हाशिमपुरा जैसे कई , उदाहरण है हमारे यहाँ ,
ज्यादातर मारने वाले और मरने वाले के अलग अलग धर्म होते है ,
लेकिन कई जगह एकधर्म के हो दोनों समुदाय से है , फिर भी उन्हें अपने ही धर्म की किसी अवधारणा के कारण उन्हें मौत के घाट उत्तर दिया गया ,
कभी भी हत्यारों ने अपने कृत्य पे अफ़सोस जाहिर नहीं किया ,
उन्हें पूरा भरोसा था की वे इन हत्याओ से अपने आका [ ईश्वर भी कह सकते है ] को खुश कर रहे हैं ,
आप कह सकते है ,और ज्यादा तर धर्म ध्वजा उठाये लोग यही तर्क देते है की ,इसमें धर्म का क्या दोष।
वे ये भी कहते है की ईश्वर तो सबका भला चाहते है, और हाँ वो यह भी कहते है की ईश्वर हमेशा निर्बल ,ईमानदार का साथ देते हो और अत्याचारी को सजा भी देते है ,
और हाँ हमारे धर्म में तो ये भी लिखा है की जब धरती पे अधर्म ज्यादा हो जाता है तो भगवन अवतार लेके भक्तो की रक्षा भी करते है।
ऐसी ही थोड़ी बहूत कम ज्यादा अवधारणा सभी धर्मो में हैं।
माना की कोई ईश्वर किसी को निर्दोष मरने के लिए नहीं कहता ,तो क्या सिर्फ इतना ही काफी है उसकी भूमिका।
क्या उसने कभी दुनिया के किसी भी भाग में कभी भी किसी निर्दोष की हत्या या किसी अन्याय के खिलाफ कुछ किया है , अगर किया हो तो कोई बताये ?
पौराणिक या धर्म ग्रंथो की कहानी मत सुनाये ,क्योकि उसे आज तक कोई प्रमाणित नहीं कर सका हैं।
और न ही आज तक उसका कोई उदाहण हैं ,
सभ्यता के नाम से हजारो लोगो को मारा गया ,
विकास के नाम पे करोड़ लोग समाप्त होगये ,
कई सभ्यताए खत्म हो गई,
धर्मके नाम पे कई युद्द हुए , धर्म केसाथ खड़े हो के हजारो लोगो ने हजारो लोगो का मारा,
पहले दूसरे विश्वयुध्द में लोग मारे गए ,
योरोप अमेरिका ने कई देश बर्बाद किये ,
और अब ,,,,और अब,,,
धार्मिक आतंकवाद ,कार्पोरेट की अंधाधुन्द लूट में लाखो लोग प्रभावित हो रहे हैं है ,
तो कहाँ है तुम्हारा ईश्वर ?
कुछ नहीं कर सकता है ,क्यों की आज तक उसने कुछ नहीं क्या है ,
हम उसके नाम का कितना भी झंडा लिया घूमते रहे ,उसके नाम से कितनी भी आस्था की बात करे ,
वो कुछ कर ही नहीं सकता ,सिवाय हमे इन अत्याचार को अलग अलग परिभाषा देने के,
मुक्ति पाना है इन झगड़ो से तो सबसे पहले इस ईश्वर नाम से झुटकार पाइये।
[ मेने जानबूझ कर ईश्वर नाम का स्तेमाल किया है , वैसे उसका आशय अल्लाह या प्रभु से भी हो सकता हैं ,या जो भी नाम स्तेमाल करते हो उसके लिए। ]
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