मीना खलको हत्या कांड : जाँच आयोग ने माना की न तो वो नक्सली थी और न ही मुठभेड़ असली आरोपी पुलिस वालो पर हत्या का मुक़दमा दर्ज़ करने की मांग
5 जुलाई 2011 को सरगुजा के गॉव करचा में आदिवासी युवती मीना खलको की हत्या चांदो थाना के पुलिसकर्मियों ने बलात्कार के बाद कर दी थी ,पुलिस ने प्रचारित किया की वो नक्सली थी और उसे एनकाउंटर में मार गिराया गया, उसने कहानी गढ़ी की 15 ,20 नक्सलियों से पुलिस की मुठभेड़ हुई थी , हत्या के तुरंत बाद गॉव के लोग ,परिवार और सामाजिक संघटनो ने इस मुठभेड़ को नकली बताया था और कहा था की मीना अपने घर मित्र से मिलने शाम 6 बजे के आसपास निकली थी , उसे रात को करीब 3 बजे बलात्कार के बाद नजदीक से दो गोलिया मार दी ,जिससे उसकी मौत हो गई
,
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलनकी जाँच टीम ने भी इसकी पुष्टि ही की औए स्थानीय अख़बार भी मीना की हत्या की बात कर रहे थे , मेजरस्ट्रियल जाँच की भी घोषणा की गई ,और तो और मुख्यमंत्री ने भी मीना के परिवार को 2 लाख का मुआवज़ा देने की बात की ,और दिए भी ,निजी बातचीत में उसके परिवार से कहा भी की हम मीना को तो वापस नही कर सकते ,लेकिन जिम्मेदार पुलिस कर्मियों को सजा जरूर मिलेगी।
जनता के भारी दबाब से 16 पुलिस कर्मियों को लाईन अटेच किया भी गया ,लेकिन उनके खिलाफ बाद में किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई ,और उन्हें बहाल भी कर दिया गया।
सरकार ने विपक्ष और जनसंघटनो की मांग पे न्यायिक जाँच की घोषणा की और न्यायधीश अनीता झा को नियुक्त कर दिया और उन्हें तीन महीन का समय दिया की वो अपनी रिपोर्ट पेश करे , सात बार अपना कार्यकाल बढ़ाने के बाद पुरे चार साल 9 महीने बाद कल अपनी जाँच रिपोर्ट मंत्रिमंडल में प्रस्तुत की ,रिपोर्ट में उन्होंने वही सब माना जो गॉव के लोग और उसके परिवार के लोग बता रहे थे ,यानि उस दिन गॉव में कोई मुठभेड़ नहीं हुई ,और न ही मीना का कोई सम्बन्ध नक्सलियों से ही था ,और यह भी मन की उसे पुलिस की गोली से मारा गया , रिपोर्ट में सिर्फ बलात्कार का कोई जिक्र नहीं किया गया ,और न ही ये बताया गया की मीना घटनास्थल पे पहुंची कैसे । रिपोर्ट में यह नहीं लिखा गया की जब कोई मुठभेड़ हुई ही नहीं और कोई नक्सली आये ही नहीं तो फिर पुलिस ने उसे मारा क्यों ? और कैसे ?
राज्य सरकार ने अजीब निर्णय लिया की जाँच के आधार पे आपराधिक प्रकरण दर्ज़ करके सीआईडी से जाँच कराइ जाएगी ,और इसपे एक्शन टेकन रिपोर्ट आगामी विधान सभा में प्रस्तुत की जाएगी , इस पूरी रिपोर्ट को सरकार ने सार्वजानिक नहीं किया है , 80 पेज की रिपोर्ट में से मंत्री अजय चंद्राकर ने सिर्फ एक लाईन कही की मीना खलको की मोत पुलिस की गोली से हुई हैं , आयोग को छह बिन्दुओ पे अपनी रिपोर्ट करने को कहा गया था ,लेकिन आयोग ने वही कहा जिसका दावा पुलिस कर रही थी।
आयोग ने हत्या की परिस्थियो और दोषियों की शिनाख्त की जिम्मेदार एक बार फिर सीआईडी पे दाल दी है ,यानो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही फिर पुलिस की सीआईडी ही करेगी , जब की इस मामले की जाँच सीआईडी पहले ही कर चुकी है , दुष्कर्म और हत्या के आरोप लग्न एके बाद सीएआइडी ने ेचांदो थाने के 25 पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया था ,और उन्हें लाईन अटैच किया था ,पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि होने के बाद इन सब लोगो के डीएनए के नमूने भी लिए गए थे ,बाद में पता चला की जो कपडे फोरेंसिक जाँच के लिया भेजे गए थे वो मृतिका के ही नहीं थे ,और जाँच में कुछ पाना ही नहीं था ,बाद में इन सब पुलिस कर्मियों को वापस काम में ले लिया गया।
अब जब जाँच रिपोर्ट आ गई है और उसके आधार पे फ़िलहाल कोई कार्यवाही होती दिखाई नही दे रही हैं, जब यह जाँच हो ही गई है की मीना की हत्या पुलिस ने की और वो नक्सली नही थी ,और किसी प्रकार की मुठभेड़ ही नही हुई और पोस्टमार्टम में बलात्कार की पुष्टि हुई है तो फिर हत्यारे पुलिस कर्मियों के खिलाफ
हत्या का मुक़दमा दर्ज़ करके उन्हें गिरफ्तार करने में सीआईडी की जाँच की क्या जरुरत है ,जाँच पे जाँच का मतलब सिर्फ यही है की अभी साढ़े चार साल फिर सीआईडी की जाँच में कई साल और बाद यही रिपोर्ट की ,माना की मीना की हत्या पुलिस ने की है लेकिन यह नहो पता चला है की वे पुलिस वाले थे कोन ,
यही न्याय का नाटक होता रहा है और आगे भी होता रहेगा ,कोई पुलिस के हत्यारे ,बकतकरी कभी पकडे नही जाएँगे।
मीना खालको |
5 जुलाई 2011 को सरगुजा के गॉव करचा में आदिवासी युवती मीना खलको की हत्या चांदो थाना के पुलिसकर्मियों ने बलात्कार के बाद कर दी थी ,पुलिस ने प्रचारित किया की वो नक्सली थी और उसे एनकाउंटर में मार गिराया गया, उसने कहानी गढ़ी की 15 ,20 नक्सलियों से पुलिस की मुठभेड़ हुई थी , हत्या के तुरंत बाद गॉव के लोग ,परिवार और सामाजिक संघटनो ने इस मुठभेड़ को नकली बताया था और कहा था की मीना अपने घर मित्र से मिलने शाम 6 बजे के आसपास निकली थी , उसे रात को करीब 3 बजे बलात्कार के बाद नजदीक से दो गोलिया मार दी ,जिससे उसकी मौत हो गई
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छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलनकी जाँच टीम ने भी इसकी पुष्टि ही की औए स्थानीय अख़बार भी मीना की हत्या की बात कर रहे थे , मेजरस्ट्रियल जाँच की भी घोषणा की गई ,और तो और मुख्यमंत्री ने भी मीना के परिवार को 2 लाख का मुआवज़ा देने की बात की ,और दिए भी ,निजी बातचीत में उसके परिवार से कहा भी की हम मीना को तो वापस नही कर सकते ,लेकिन जिम्मेदार पुलिस कर्मियों को सजा जरूर मिलेगी।
जनता के भारी दबाब से 16 पुलिस कर्मियों को लाईन अटेच किया भी गया ,लेकिन उनके खिलाफ बाद में किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई ,और उन्हें बहाल भी कर दिया गया।
सरकार ने विपक्ष और जनसंघटनो की मांग पे न्यायिक जाँच की घोषणा की और न्यायधीश अनीता झा को नियुक्त कर दिया और उन्हें तीन महीन का समय दिया की वो अपनी रिपोर्ट पेश करे , सात बार अपना कार्यकाल बढ़ाने के बाद पुरे चार साल 9 महीने बाद कल अपनी जाँच रिपोर्ट मंत्रिमंडल में प्रस्तुत की ,रिपोर्ट में उन्होंने वही सब माना जो गॉव के लोग और उसके परिवार के लोग बता रहे थे ,यानि उस दिन गॉव में कोई मुठभेड़ नहीं हुई ,और न ही मीना का कोई सम्बन्ध नक्सलियों से ही था ,और यह भी मन की उसे पुलिस की गोली से मारा गया , रिपोर्ट में सिर्फ बलात्कार का कोई जिक्र नहीं किया गया ,और न ही ये बताया गया की मीना घटनास्थल पे पहुंची कैसे । रिपोर्ट में यह नहीं लिखा गया की जब कोई मुठभेड़ हुई ही नहीं और कोई नक्सली आये ही नहीं तो फिर पुलिस ने उसे मारा क्यों ? और कैसे ?
राज्य सरकार ने अजीब निर्णय लिया की जाँच के आधार पे आपराधिक प्रकरण दर्ज़ करके सीआईडी से जाँच कराइ जाएगी ,और इसपे एक्शन टेकन रिपोर्ट आगामी विधान सभा में प्रस्तुत की जाएगी , इस पूरी रिपोर्ट को सरकार ने सार्वजानिक नहीं किया है , 80 पेज की रिपोर्ट में से मंत्री अजय चंद्राकर ने सिर्फ एक लाईन कही की मीना खलको की मोत पुलिस की गोली से हुई हैं , आयोग को छह बिन्दुओ पे अपनी रिपोर्ट करने को कहा गया था ,लेकिन आयोग ने वही कहा जिसका दावा पुलिस कर रही थी।
आयोग ने हत्या की परिस्थियो और दोषियों की शिनाख्त की जिम्मेदार एक बार फिर सीआईडी पे दाल दी है ,यानो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही फिर पुलिस की सीआईडी ही करेगी , जब की इस मामले की जाँच सीआईडी पहले ही कर चुकी है , दुष्कर्म और हत्या के आरोप लग्न एके बाद सीएआइडी ने ेचांदो थाने के 25 पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया था ,और उन्हें लाईन अटैच किया था ,पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि होने के बाद इन सब लोगो के डीएनए के नमूने भी लिए गए थे ,बाद में पता चला की जो कपडे फोरेंसिक जाँच के लिया भेजे गए थे वो मृतिका के ही नहीं थे ,और जाँच में कुछ पाना ही नहीं था ,बाद में इन सब पुलिस कर्मियों को वापस काम में ले लिया गया।
अब जब जाँच रिपोर्ट आ गई है और उसके आधार पे फ़िलहाल कोई कार्यवाही होती दिखाई नही दे रही हैं, जब यह जाँच हो ही गई है की मीना की हत्या पुलिस ने की और वो नक्सली नही थी ,और किसी प्रकार की मुठभेड़ ही नही हुई और पोस्टमार्टम में बलात्कार की पुष्टि हुई है तो फिर हत्यारे पुलिस कर्मियों के खिलाफ
हत्या का मुक़दमा दर्ज़ करके उन्हें गिरफ्तार करने में सीआईडी की जाँच की क्या जरुरत है ,जाँच पे जाँच का मतलब सिर्फ यही है की अभी साढ़े चार साल फिर सीआईडी की जाँच में कई साल और बाद यही रिपोर्ट की ,माना की मीना की हत्या पुलिस ने की है लेकिन यह नहो पता चला है की वे पुलिस वाले थे कोन ,
यही न्याय का नाटक होता रहा है और आगे भी होता रहेगा ,कोई पुलिस के हत्यारे ,बकतकरी कभी पकडे नही जाएँगे।
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