कोयलीबेड़ा में पुलिस झूठे आरोप में जेल में ठूंस रहीं, परिजनों का आरोप
..............................
आंदोलन की चेतावनी | परिजनोें व क्षेत्रवासियों ने बैठक लेकर गिरफ्तारी को फर्जी बताया
..............................
कोयलीबेड़ा क्षेत्र से गिरफ्तार ग्रामीणों के परिजनों व क्षेत्रवासियों ने सप्ताह भर पूर्व एक बैठक की जिसमें आरोपों को निराधार बताते गिरफ्तारी को फर्जी बताया गया। परिजनों ने कहा पुलिस झूठे आरोप में उन्हें जेल में ठूंस रही है। बैठक में जेल में बंद उनके परिजनों को छोड़ने की मांग करते ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपने का निर्णय लिया गया। मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी गई।
बंदियों के परिजनों ने इन्ही मुद्दों को लेकर 27 मार्च को ग्राम चीलपरस में एक बैठक आयोजित की। परिजनों ने कहा पुलिस ग्रामीणों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें नक्सली बना रही है। वर्ष 2008 से ऐसा ही सिलसिला क्षेत्र में चल रहा है। पुलिस द्वारा किसी को घर से, किसी को बाजार से, किसी को बस से, किसी को रास्ते से, किसी को राशन दुकान से तो किसी को आफिस कार्य से कोयलीबेड़ा बुलाकर गिरफ्तार किया जा रहा है। इतना ही नहीं जिन ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया है उन्हें जेल में परिजनों से भी ठीक तरह से मिलने नहीं दिया जा रहा है।
उनका यह भी आरोप है कि बंदी को परिजनों से बात करने नहीं दिया जाता है। जेल में महिला बंदियों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है। जेल बंदियो का स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रखा जाता जिससे वे आए दिन बीमार रहते हैं। उन्हें भोजन आदि भी ठीक तरह से नहीं दिया जाता है। ओढऩे बिछाने पर्याप्त बिस्तर नहीं दिया जाता है। रोजमर्रा के उपयोग के सामान नहीं दिए जाते हैं। जेल बंदियो के साथ भाई चारा नहीं निभाया जाता।
इन बंदियों के परिजनों ने की बैठक : बैठक के बाद परिजनों ने एक सूची भी सौंपी है जिसमें जेल में बंद उनके रिश्तेदारों का नाम लिखा है। जिसके अनुसार ग्राम बोगान के सन्नूराम नुरेटी को 2008 में, लखूराम नुरेटी को 2013 में, ग्राम मरापी के समधेर आंचला को 2012 में, ग्राम गुंदूल के रामदास वड्डे को 2014 में, रमोती पोटाई को 2012 में, सुकमाय आचले को 2012 में, ग्राम पानीडोबिर के रामजी नवगो को 2014 में, भरोष नवगो को 2014 में गिरफ्तार किया था।
इसी प्रकार लक्ष्मण ध्रुर्वे को 2014 में, नोहर सिंह बघेल को 2015 में, केहलाबेड़ा की सुकालु बाई को 2014 में, गुड़ाबेड़ा के सुकालू को 2015 में, प्रताप कतलाम को 2010 में, महेंद्र उसेंडी को 2010 में, महरूराम उसेंडी को 2010 में, उजयर सिंह गावड़े को 2014 में, केसेकोड़ी के संतलाल मंडावी को 2014 में, गट्टाकाल के रामप्रसाद उसेंडी को 2014 में, संतलाल ध्रुर्वा को 2014 में, लखनू उसेंडी को 2015 में, मनाय नुरेटी को 2015 मेें, ग्राम बुट्टा कच्छार के रामजी उसेंडी को 2014 में, सुकालू दुज्गा को 2014 में गिरफ्तार किया गया है। इनके ही परिजनों ने उन्हें छुड़ाने बैठक की है। जेल में परिवार के मुखिया के बंद होने से उनके परिजनों के सामने भूखे मरने की स्थिति निर्मित हो गई है। इनके परिजनों ने कहा घर में कमाने वाला नहीं होने से काफी परेशानी हो रही है। खेत में फसल नहीं ले पा रहे हैं। जैसे तैसे परिवार चल रहा है। जमा पूंजी और अनाज खत्म हो जाने से उनके सामने पालन-पोषण की परेशानी आ खड़ी हुई है।
No comments:
Post a Comment