Monday, October 17, 2016

तरह-तरह के सेक्स अपराधों से सत्ता का संबंध, कई राज्यों में - सुनील कुमार ,संपादक छत्तीसगढ़

दैनिक 'छत्तीसगढ़' का संपादकीय
16 अक्टूबर 2016
*तरह-तरह के सेक्स अपराधों से
सत्ता का संबंध, कई राज्यों में*
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में एक दलित शादीशुदा महिला का अपहरण करके उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई, और उसके बदन में ठीक उसी तरह लोहे की छड़ घुसा दी गई, जिस तरह दिल्ली में निर्भया के साथ किया गया था। शिकायत के बाद दो लोग गिरफ्तार हो गए हैं, और इन सबका बयान यह है कि भाजपा के एक नेता के बेटे ने यह सब योजना बनाकर किया, और अब वह कार लेकर फरार है। ऐसा नहीं कि ऐसा करने वाले लोग सिर्फ भाजपा के हैं, लेकिन कुछ समय पहले मध्यप्रदेश में सेक्स रैकेट में भाजपा का एक नेता गिरफ्तार हुआ, जिसकी तस्वीरें प्रधानमंत्री से लेकर मध्यप्रदेश के बड़े-बड़े भाजपा नेताओं के साथ सोशल मीडिया पर सजी हुई हैं, गुजरात में दो दिन पहले एक सेक्स रैकेट पकड़ाया जिसमें भाजपा का एक नेता भी पकड़ाया है।
इन बातों से एक नतीजा यह निकलता है कि इस तरह के धंधे और इस तरह की भयानक हरकतें करने का हौसला उन लोगों में अधिक होता है जो कि सत्ता के करीबी लोग हैं। इसका एक मतलब यह भी निकलता है कि ऐसे धंधों पर और ऐसे लोगों पर कार्रवाई जिस पुलिस को करनी चाहिए, उस पर सत्ता से जुड़े मुजरिमों को यह भरोसा रहता है कि उन पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी। हम छत्तीसगढ़ में भाजपा के लंबे शासनकाल के बाद अब जगह-जगह यह बात देखते हैं कि कई तरह के संगठित और नियमित अपराध भाजपा के स्थानीय नेताओं के साये तले चलते हैं। कुछ जगहों पर सत्तारूढ़ भाजपा नेता सट्टेबाजी से लेकर धान के घोटाले और सरकार को चूना लगाने तक के पीछे जाहिर तौर पर हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। सरगुजा में दो दिन पहले मंत्री के बेटे ने दुर्गोत्सव के समारोह में चल रहे अश्लील नाच के बीच अपने अंगरक्षक या दोस्त के साथ पहुंचकर वहां बंदूक से गोलियां चलवाईं, और उस पर न तो मंत्री का कोई जिम्मेदार बयान आया, और न ही पुलिस-प्रशासन का। नतीजा यह है कि पार्टी के छोटे लोग भी ऐसे रूख से यह मानकर चलते हैं कि वे भी मनमानी कर सकते हैं। और पूरे प्रदेश में सड़कों पर यह दिखता है कि नंबर प्लेट पर भाजपा के रंग की पट्टी लगवाकर हर छोटे-बड़े कार्यकर्ता सायरन बजाते हुए चलते हैं, और अगर पुलिस रोकने की कोशिश करती है, तो कई जगह वह मार भी खा चुकी है।
यह पूरा सिलसिला मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निजी चाल-चलन और उनकी निजी सोच के ठीक खिलाफ है। छत्तीसगढ़ में ऐसा भी नहीं है कि भाजपा संगठन रमन सिंह की पहुंच से परे की कोई समानांतर सत्ता हो। उनको भाजपा के लोगों की मनमानी और अपराधों से उनके रिश्ते पर कड़ाई से रोक लगानी चाहिए, क्योंकि सरकारी अफसर तो कार्रवाई करने से कतरा सकते हैं लेकिन जब जनता का वोट देने का मौका आता है, तो वह चुप नहीं रहती है। और यह केवल छत्तीसगढ़ की बात नहीं है, बहुत से प्रदेशों में, सभी प्रदेशों में यह देखने में आता ही है कि जब किसी एक पार्टी की सरकार लंबे समय तक रहती है, तो वह सत्ता की ताकत से आने वाली बददिमागी का शिकार हो ही जाती है, और चुनाव में नुकसान झेलती है। छत्तीसगढ़ में पिछले कई चुनावों में ऐसा नुकसान भाजपा को नहीं झेलना पड़ा क्योंकि कांग्रेस की गुटबाजी ने भाजपा की मदद की। लेकिन डॉ. रमन सिंह को तरह-तरह के जुर्म और अराजकता से भाजपा के लोगों के रिश्ते को तोडऩा होगा, वरना ये तो पब्लिक है, यह सब जानती है।

*-सुनील कुमार*

No comments:

Post a Comment