Monday, October 10, 2016

विधायक के परिवार और सोनी सोढ़ी को मिल रही पुलिस अफसरों की धमकी

छत्तीसगढ़ में छात्रों के परिजन, विधायक के परिवार और सोनी सोढ़ी को मिल रही पुलिस अफसरों की धमकी
* पुलिस अधिकारी ने अपनी की सफाई भी दी ।

 October 10, 2016
Prabhat Singh
भूमकाल समाचार से साभार

सरकारी नक्सलवाद के खिलाफ 22 को आवाज बुलंद करेगा बस्तरिया आदिवासी

छत्तीसगढ़ सरकार में अफसरों के मैडल और प्रमोशन के लिए करवाई जा रही आदिवासियों की लगातार हत्याओं के बाद आदिवासियों के उठते आवाज को दबाने की नाकाम कोशिश में बस्तर पुलिस के अफसर लगे हुए है | इसके लिए ये कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं | बुरगुम फर्जी मुठभेड़ में छात्रों की हत्याओं के मामले में सुलेंगा और गड़दा में जाकर पुलिस ने ग्रामीणों को धमकी दी है | वहीँ छात्रों के नजदीकी रिश्तेदार सुदराम कश्यप बारसूर के नजदीक स्थित पोटाकेबिन हितामेटा में अनुदेशक के पद पर कार्यरत है | इसी पोटाकेबिन के छात्रों की हत्या छत्तीसगढ़ सरकार की बस्तर पुलिस ने कर दी है | इस मामले की लीपापोती करने पोटाकेबिन हितामेटा और गड़दा गाँव में पुलिस लगातार गाड़ियाँ लेकर पहुँच रही हैं |

सुखराम कश्यप का कहना है कि “डीएसपी मंडावी आश्रम में दो-तीन बार आ चुके हैं | वे हम पर दबाव बनाने आ रहे हैं | वे कह रहे थे कि जो हुआ उसे भूल जाओ, गलती से हो गया, पार्टी-उर्टी के चक्कर में मत रहो, कोर्ट-कचहरी में जाने से नेतागिरी करने से कुछ नहीं होगा, ये नेता लोग सिर्फ राजनीति करेंगे, हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते हैं, इससे अच्छा है कि इसे यही ख़त्म कर दो, हम तुम्हे इससे अच्छी नौकरी देंगे, पैसे देंगे, गाँव में पुलिस वाले जाकर बोल रहे थे कि थाने आकर चावल, दाल, पैसा ले जाओ, मामले को आगे बढ़ाने से कुछ भी नहीं मिलेगा |”



छात्रों के परिजनों ने रविवार को मीडिया के सामने कांग्रेस भवन में बताया कि “पिछले माह शोक-संदेश देने दोनों बच्चे अपनी बहन के पास गए थे जहां सर्चिंग पर निकली फोर्स ने सोते बच्चों को उठाकर ले गई और जंगल में मार दिया अब उन्हें नक्सली बता रही है और हमें बयान बदलने कह रही है ऐसा नहीं करने पर जेल में डालने की धमकी भी दे रहे है । पुलिस हमारे बेटों को घर से उठा कर ले गई और जंगल में मार दिया अब बच्चों को नक्सली बताकर हमें जेल भेजना चाहती है हमारी जान को खतरा है, इसलिए सुरक्षा के लिए एक सप्ताह से दंतेवाड़ा आकर विधायक की पनाह में हैं हम नक्सली नहीं हैं | मारडूम थानेदार शुक्ला लगातार बयान बदलने के लिए दबाव बना रही है । विधायक सहित परिजनों ने मृतकों के शव पोस्टमार्टम पर भी सवाल उठाएं उन्होंने कहा कि किसी भी पुलिस प्रकरण में पोस्टमार्टम के दौरान परिजनों की उपस्थिति और सहमति जरूरी होती है | लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करने के बाद परिजनों को मारे जाने की सूचना दी थी | परिजनों में बिजलु के पिता नड़गू, सोनकू के पिता पायकू, बहन मासे और जीजा लक्ष्मण शामिल थे |”



विधायक देवती कर्मा का कहना है कि “डीएसपी मंडावी उन्हें और उनके पुत्र को लगातार धमकी दे रहे हैं कि उन्होंने नक्सली सहयोगियों को घर में पनाह दी है | नक्सल समर्थकों का सहयोग करने के मामले में वे विधायक और उनके पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेज देंगे | असल में जो मुठभेड़ होते हैं उसका विरोध हम कभी नहीं करते हैं लेकिन मुठभेड़ के नाम पर आदिवासियों को मारा जा रहा है | कुछ पुलिस अधिकारी मैडल पाने व कद बढाने की चाहत में फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देकर आँकड़े बढ़ाने में लगे हैं | जिन्होंने ने मासूम बच्चों को मारा है उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो | यदि भविष्य में कर्मा परिवार पर हमला हुआ तो आईजी कल्लूरी और एसपी आरएन दाश जिम्मेदार होंगे |”

छविन्द्र कर्मा का कहना है कि “पुलिस वाले परिजनों को बयान वापस लेने दबाव बना रहे हैं | डीएसपी भाल सिंह मंडावी ने मुझे फोन किया | तो मैंने कहा चाय दूकान में हूँ आ जाइए मामाजी | हालचाल पूछे और बोले मैं बुरगुम वाले केस में जांच अधिकारी हूँ | इस मामले में जिन्होंने इन्हें शरण दिया है उनके खिलाफ भी एफआईआर होगा | मैंने बोला पुलिस द्वारा गलत किये जाने के बाद पीड़ित परिवार जनप्रतिनिधियों के पास नहीं जायेगा तो किसके पास जायेगा | फिर वे कहने लगे वो सप्लाई टीम के सदस्य थे | मैंने बोला किसी को भी नक्सली बता दोगे क्या | ये लोग दबाव बनाने के लिए कई कांग्रेसी नेताओं को फोन कर रहे हैं और मिल रहे हैं | और कह रहे हैं कि इस मामले को निपटाओ | आप ही बताइये कैसे निपटायें | जिन्होंने हत्या की है उनके उपर 302 का अपराध दर्ज होना चाहिए | पुलिस मेरे परिवार पर एफआईआर कराने की धमकी दे रही है | जबकि हमारा परिवार नक्सलियों के खिलाफ रहा है, जिसके कारण हम हमेशा नक्सलियों के निशाने पर रहे हैं | हम छत्तीसगढ़ सरकार में आदिवासियों की नक्सलियों के नाम पर हो रही हत्याओं का विरोध करते हैं | इस सरकार से न्याय की उम्मीद बेमानी है यदि सरकार ने कारवाई नहीं की तो मामले को न्यायालय में ले जायेंगे|”  डीएसपी भाल सिंह मंडावी से संपर्क तो नहीं हो पाया किन्तु उनके नाम से एक स्टेटमेंट सोशल मीडिया में जरूर जारी हुआ है जिसमें वे अपने आदिवासी गोंड समुदाय से होने की दुहाई दे रहे हैं और कर्मा परिवार के करीबी होने के कारण ऐसा कृत्य करने से इनकार कर रहे हैं |

सोनी सोढ़ी ग्रामीणों से मिलने मारडुम थाना क्षेत्र के इन गाँवों के दौरे पर गई थी | सोनी सोढ़ी ने कहा है कि “इससे पहले हिड़मो पिता बुडोड़ी वाले मामले में मैं इसे पुलिस मुख्यालय में डीजीपी तक ले गई, जो मारडुम थाने के अंतर्गत ही था तो मेरे उपर केमिकल अटैक हुआ | इस बार भी मैं मारडुम क्षेत्र के गाँव गई थी तो गाँव वालों से पता चला कि इस बार मुझे पुलिस वाले मार डालेंगे | एक गाँव में सभा आयोजित कर मारडुम पुलिस के थानेदार शुक्ला ने यह सब कहा है | यह सब बोलने की छुट छत्तीसगढ़ सरकार और बस्तर आईजी कल्लूरी के कहने पर मिली है | इससे पहले भी हिड़मो वाले मामले को मैं सामने लाई तो मुझे धमकीयाँ मिली और इस बार भी जान से मारने की धमकी मिल रही है

आपको मालुम होगा कि इससे पहले छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगे कि सुलेंगा गांव से बीते 03 फरवरी 2016 की सुबह सोते हिड़मो को मारडुम पुलिस उठाकर ले गई और एक लाख रुपए का इनामी माओवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ बताकर हत्या कर अखबारों में प्रकाशित करवा दिया | बस्तर पुलिस ने अपना टार्गेट पूरा करने के लिए सात बच्चों को अनाथ बना दिया। एक बार पहले भी हिड़मो को पुलिस पकड़ कर ले गई थी। जिसमें उसे बरी कर दिया गया था। आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधि मंडल के साथ पीडि़त परिवार ने पुलिस महानिदेशक एएन उपाध्याय को शिकायत की थी जिस पर पुलिस महानिदेशक ने जांच कर कारवाई का भरोषा जताया था | किन्तु जांच और कारवाई में देरी के कारण पुलिसिया हत्याओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है |

आपको यह भी बताते चले कि पिछले माह बुरगुम के सांगवेल में मुठभेड़ में दो नाबालिग छात्रों को नक्सली बताकर पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था | मौके पर मुआयना करने गए आदिवासी नेताओं ने सरकारी हत्या के शिकार लड़कों को हितामेटा पोटाकेबिन का छात्र बताया था | जिनके निवास, जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाने की वजह से पढ़ाई छोड़ दी थी और प्राइवेट परीक्षा की तैयारी कर रहे थे | घटना स्थल जाने के दौरान कांग्रेसी विधायक दल को पुलिस ने रोकने की भी कोशिश की थी । छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने मांग की है कि कथित एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जाये, बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लूरी को तत्काल बर्खास्त किया जाये तथा दोनों मृत बच्चों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाये |

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उसी पुलिस अधिकारी ने अपनी सफाई निम्न रूप से दी भी है ।
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मैं एक गोंड आदिवासी हूँ। मैं पूर्व में 1992 से 1997 तक दंतेवाड़ा में गुरूजी था। 1997 से पुलिस विभाग में सेवाएं दे रहा हूँ। हाल ही में रक्षित निरीक्षक से पदोन्नत होकर उप पुलिस अधीक्षक के पद पर बस्तर जिले में कार्यरत हूँ।

       मुझे पत्रकारों से पता चला की  श्रीमती देवती कर्मा जी द्वारा उनको एवं उनके परिवार के सदस्यों को मेरे द्वारा धमकाये जाने का आरोप लगाया गया है, जो की संपूर्ण रूप से झूठा एवं राजनीतिक फायदा लेने के आशय से लगाया गया है।
                             
      स्वर्गीय शहीद श्री महेंद्र कर्मा जी मेरे परम् मित्र थे और उनके परिवार से मेरा पारिवारिक रिश्ता है। श्रीमती देवती कर्मा जी को मैं "दीदी" बुलाता हूँ। बंटी और छविंद्र मुझे मामा कहकर बुलाते हैं। इन लोगो के साथ में घर आना जाना लगा हुआ है। हाल में माई जी के दर्शन हेतु मैं दंतेवाड़ा गया था। वहाँ मेरे भांजे छविंद्र कर्मा से मेरा मुलाकात हुआ, उसके द्वारा हाल में परिवार की छवि धूमिल होने के सम्बन्ध में सलाह मांगे जाने पर मैंने कहा था कि स्वर्गीय श्री महेंद्र कर्मा जी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हमेशा नक्सलियों का विरोध किया था, और उन्ही से लड़ते हुए, दूसरो की जान बचाने की नीयत से अपने प्राण का भी शहादत दिया। जनता का जो सम्मान आपके परिवार के प्रति है, वह स्वर्गीय श्री महेंद्र कर्मा जी के कारण ही है। जनता यह उम्मीद करती है कि  नक्सलियों के विरुद्ध जो लड़ाई,उन्होंने शेर की तरह लड़ा,वह लड़ाई उनका परिवार भी लड़े। विगत तीन सालों से जिस प्रकार आपका परिवार नक्सली मामलो में बयान दे रहा  है , जनता में यह चर्चा है कि कर्मा परिवार राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है। मैंने यह भी सलाह दिया था कि राजनीतिक पद सामयिक रहता है, किन्तु व्यक्ति की छवि अमर होती है। जनता की भावनाएं मामा के नाते उनको अवगत कराते हुए,मैं अपनी बात रखा था।

      मै आदिवासी हूँ। आदिवासी संस्कृति में रिश्ते की क्या मान्यता है, मैं अच्छी प्रकार समझता हूँ। व्यक्तिगत फायदे के लिए रिश्तो को अपमान करना,आदिवासी संस्कृति कभी भी स्वीकार नही करती है। जिस प्रकार राजनीतिक फायदा लेने के आशय से मेरी दीदी श्रीमती देवती कर्मा जी  द्वारा मेरे नाम का इस्तेमाल मिडिया में किया गया है, उससे मैं अत्यंत  दुःखी हूँ,और अपमानित महसूस कर रहा हूँ।

                          भार सिंग मंडावी
                       उप पुलिस अधीक्षक
                             जिला बस्तर
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