Friday, October 28, 2016

बीजापुर की पुलिस प्रताड़ित महिलाओं ने अपनी व्यथा मीडिया के सामने रखी

छत्तीसगढ़ पीयूसीएल की आज पत्रकार वार्ता में बीजापुर की पुलिस प्रताड़ित महिलाओं ने अपनी व्यथा मीडिया के सामने रखी.


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1. ग्राम कोडेनार दिनांक 21.5.2016
मनोज हपका और उसकी पत्नी ताती पाण्डे को शाम को पुलिस और कुछ आत्मसमर्पित नक्सली गाँव मे आये और सब के सामने घर से पकड़ कर ले गये। जब घरवालों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें आत्मसमर्पण के लिये ले जा रहे हैं। उन दोनों के हाथ पीछे रस्सी से बाँधे गये थे और उनसे संबंधित सारा सामान भी परिवार वालों को लाने के लिये कहा गया। दूसरे दिन जब परिवार के लोग थाने में जानकारी लेने पहुँचे तो उन्हें बताया गया कि इस दम्पति को छः लाख की ईनामी नक्सली थी इसीलिये उन्हें मार दिया गया जब कि वे पिछले पाँच साल से इसी गाँव से सामान्य नागरिक की तरह रहे थे।
2. ग्राम पालनार दिनांक 5.7.2016
घटना दिनांक की सुबह सीतू हेमला अपने परिवार के साथ अपने खेत में हल चला रहा था, जब अचानक जंगलों में से भारी संख्या में सुरक्षा बल के जवान आये और उसे घसीटते हुए जंगल ले गये। जब उसके परिजन उसके पीछे आना चाहते थे, तो उनको बुरी तरह से पूरे गाँव के समक्ष पीटा गया। इसके पश्चात्  उसकी माँ अपनी बेटियों को लेकर चेरपाल और गंगालूर पुलिस के पास गई पर वे कोई मदद नहीं कर पाये। उसी शाम सीतू को जंगल के मध्य पेड़ों से बाँध कर उसके हाथों में कीले ठोक दी गई और उसे मार दिया गया। जब अगले दिन उसके परिजनों ने उसकी लाश देखी तो उसपर कई प्रकार के प्रताड़ना के निशान थे जबकि वह पूर्ण रूप से निर्दोष था।
इस घटना में मारे गये सीतू की माँ सुकली हेमला उपस्थित हैं।

3. ग्राम कोरचोली दिनांक 25.11.2015
दिनांक 24.11.2015 को ग्राम ईतावर का सुक्कू कुंजाम अपने भाई सोमा कुंजाम के साथ खेत में धान उठा रहा था जब गाँव में पुलिस आई। पुलिस द्वारा प्रताड़ना के भय से अन्य पुरुषों के साथ सुक्कू भी जंगलों मे भाग गया। अगले दिन वह पास के गाँव कोरचोली में अपने रिश्तेदारों के घर खाना खा रहा था, कि पुलिस का गश्त वहाँ भी पहुँच गया। उसी घर से थोड़ी दूर पर जब वह गाँव के दो अन्य युवकों के साथ जा रहा था, पुलिस ने उन पर बिना किसी कारण या किसी घोषणा के गोलियाँ बरसा दी जिस कारण सुक्कू की मौत हो गई और उनके साथी के पाँव में गोली लग गई। इस घटना के कोरचोली में कई चश्मदीद गवाह है।
4. ग्राम अंड्री दिनांक 16-19 फरवरी, 2016
दिनांक 16.02.16 को गंगा कोहड़ामी सहित दो अन्य लड़के जंगल में सियाड़ी पत्ता तोड़ रहे थे जब वहाँ छिपे हुए पुलिस के जवानों ने उन पर गोलियाँ चलानी शूरु कर दी। अन्य दोनों युवक वहाँ से भागने में समर्थ हुए पर गंगा गोलियों से घायल होकर जंगल के ही गड्ढे में गिर गया, और उसकी वहीं मौत हो गई। दो दिनों बाद गाँव वालों को उसकी लाश वहीं मिली। तीसरे दिन पुलिस फिर गाँव आई और लगभग 8-9 साल के बालक सोढी सन्नू, जो उस समय टमाटर की खेती कर रहा था – उसे गोलियों से मार दिया। वह बालक कहाँ मरा, उसकी लाश कहाँ है, उसके परिजनों को आज तक नही पता चला, बीजापुर पुलिस ने उनको थाने के अंदर आने भी नहीं आने दिया।
सोढी सन्नू (बालक) के पिता सोढी हुर्रा आज उपस्थित हैं।

5. ग्राम तोड़का दिनांक 6.9.2016
बरसात के महीने में सुरक्षा बल ग्राम तोड़का आये, जिन्हे देख कर समस्त गाँव वाले जंगलों मे भाग गये। महिलाओ ने देखा कि फोर्स के लोग तीन अन्य महिलाओं के साथ लेकर आ रहे हैं, हमें लगा कि पुलिस के लोग हमारे साथ भी अनाचार कर सकते हैं, यह सोच कर हम लोग भी गाँव छोड़कर भाग गये। शाम के समय  फोर्स के वहाँ से जाने बाद हम सब वापस आये और हमने देखा कि पाँच घरों को सुरक्षा बलों ने लूटा था, जिनमें से चार घरों को पूरी तरह से तोड़ा भी गया था, उनके सारे बर्तन भी तोड़ दिये थे, उनके धान के बोरों को भी जमीन पर फेंक दिये थे। उन दिनों बहुत बारिश हो रही थी  जिस कारण बिना छत के कच्चे घरों मे भी रहना संभव नही था। धान के अभाव मे और बिना बर्तनों के इन परिवारों को रहने में बहुत कठिनाई हुई। जो साम्न फोर्स ने नष्ट नहीं किया, वह बारिश में भीगकर खराब हो गया।

इस गाँव से बुधरी मडियम और ताती मंगी, जिन दोनों के घर तोड़े गये थे, आज उपस्थित हैं।

6. ग्राम पेद्दा कोरमा दिनांक 22.10.2016
दिनांक 21.10.2016 को मंगू कोड़मे अन्य गाँववालों के साथ जंगल में बंदर भगाने और बाँस काटने गया था। बंदर को देखकर उसके पीछे मंगू पेड़ पर चढ़ गया, और उसके अन्य साथी चिल्ला चिल्ला कर बंदर को डराने की कोशिश कर रहे थे। तभी आवाज सुनकर वहाँ अचानक पुलिस वाले आ गये जिन्हें देखकर बाकी गाँववाले भाग गये, परंतु मंगु पेड़ से उतर नहीं सका और पुलिस द्वारा पकड़ं गया।  पुलिस उसे एक पूरा दिन गाँव गाँव घुमाती रही, उसके साथ बहुत मारपीट की, और फिर दिनांक 22.10.2016 को उसे गोलियों से मार दिया गया।
मृतक मंगू कोड़मे के परिवार से उसकी भाभियाँ सुक्की कोड़मे और शान्ति कोड़मे आज उपस्थित हैं।
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