Monday, October 31, 2016

यह सरासर हत्या है और कुछ नहीं

* यह सरासर हत्या है और कुछ नहीं






* जेएनयू के नज़ीब को पंन्द्रह दिन में नहीं खोज पाई पुलिस और आठ लोगों को बारह घंटे में खोजकर एनकाउंटर कर दिया पुलिस ने.
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सिमी के आठ विचाराधीन केदियों की हत्या शिवराज सिंह की राष्ट्रवाद की दौड में आगे निकल जाने की मुहिम का हिस्सा है.
और यह भांड मीडिया जो लगातार ऊन्हे आतंकवादी कह रहा है वह जघन्य सामाजिक अपराध है, उन्हें किसी अदालत ने आतंकवादी नहीं कहा और न सजा दी.
उनका भागे जाने की कहानी और 12 घंटे में दस किलोमीटर  तक पहुच पाने ,उनके कपड़े ,जीन ,सफेद फक कमीज ,शानदार जूते और कभी कहते है हथियार कभी बिना हथियार की कहानी उनकी पोल खोल रही है .
हम छत्तीसगढ़ के लोग पुलिस की आधी अधूरी बकवास कहानी के आदी है.
कई मुस्लिम नौजवान दस दस पंन्द्रह पंन्द्रह साल की जेल के बाद निरपराध छूटे है ,कोर्ट में न सबूत पेश कर पा रही है पुलिस तो इस तरह की कहानी गढ कर इनकाउन्टर किया जा रहा है .
मध्यप्रदेश सरकार की कहानी पूरी तरह झूठी है यह सरासर हत्या है,  जांच वांच की मांग फालतू है ,जब जांच भी इन्हें ही करना है और मीडिया जज की तरह फैसला दे रहा हो तो इन सब का कोई मतलब नहीं है.
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