Thursday, April 30, 2015

छत्तीसगढ़ की सरहद पर उत्तरप्रदेश में कन्हर बांध निर्माण का मामला : छत्तीसगढ़ के किसानों-ग्रामीणों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी: डॉ. रमन सिंह

छत्तीसगढ़ की सरहद पर उत्तरप्रदेश में कन्हर बांध निर्माण का मामला : छत्तीसगढ़ के किसानों-ग्रामीणों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी: डॉ. रमन सिंह
 Posted on 30/04/2015
मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव ने उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव को लिखा पत्र
डूब क्षेत्र के विस्तृत सर्वेक्षण और मुआवजा आदि प्रकरणों का निराकरण नहीं होने तक बांध निर्माण स्थगित रखने का आग्रह
छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय सोच अपनाकर किया सहयोग, लेकिन उत्तरप्रदेश का रूख असहयोगात्मक
शर्ताें का पालन किए बिना और छत्तीसगढ़ के हितों की अनदेखी कर उत्तरप्रदेश ने बांध निर्माण शुरू किया 

रायपुर, 30 अप्रैल 2015
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के ग्राम अमवार में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कन्हर नदी में निर्माणाधीन सिंचाई बांध के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार किसी भी हालत में अपने राज्य के किसानों और ग्रामीणों के हितों की अनदेखी नहीं होने देगी। छत्तीसगढ़ के प्रभावित होने वाले परिवारों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने इस मामले में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन को चिट्ठी लिखी है। श्री ढांड ने अपने पत्र में उनसे आग्रह किया है कि इस परियोजना में जब तक सहमति की शर्तों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के डूब क्षेत्र के विस्तृत सर्वेक्षण के बाद मुआवजा इत्यादि के मामलों का निराकरण नहीं हो जाता, तब तक कन्हर बांध का निर्माण स्थगित रखा जाए। 

छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव के पत्र में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वेक्षण के अनुसार इस परियोजना में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के चार गांवों की भूमि प्रभावित हो रही है। उत्तरप्रदेश सरकार ने द्वारा 4/89 में डूूूबान क्षेत्र के मुआवजा निर्धारण के लिए कलेक्टर सरगुजा को प्रस्ताव दिया गया था। इस प्रस्ताव के अनुसार बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के चार गांव - झारा, कुशफर, सेमरूवा और त्रिशूली की 106.203 हेक्टेयर राजस्व भूमि, 9.368 हेक्टेयर निजी भूमि, 142.834 हेक्टेयर वन भूमि इस प्रकार कुल 258.405 हेक्टेयर भूमि सहित ग्रामीणों की अन्य परिसम्पतियां एफ.टी.एल. 265.552 मीटर तक आंशिक रूप से प्रभावित हो रही है। परियोजना से प्रभावित 142.834 हेक्टेयर वन भूमि में ग्राम झारा की 54.44 हेक्टेयर, ग्राम कुशफर की 28.34 हेक्टेयर, सेमरूवा की 25.40 हेक्टेयर, त्रिशूली की 4.104 हेक्टेयर वन भूमि सहित 30.55 आरक्षित वन क्षेत्र शामिल हैं। सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण के अनुसार डूब क्षेत्र 263.40 हेक्टेयर अनुमानित है, जिसके वर्गीकरण के अनुसार 86 हेक्टेयर राजस्व भूमि, 56.40 हेक्टेयर निजी भूमि और 121 वन भूमि शामिल हैं।
श्री ढांड ने पत्र में लिखा है कि सर्वेक्षण के आधार पर उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा पुनरीक्षित प्रस्ताव कलेक्टर सरगुजा (छत्तीसगढ़) को अब तक नहीं भेजा गया है। इस निर्माणाधीन बांध के संबंध में तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की 263.4 हेक्टेयर भूमि के डुबान हेतु 27 मार्च 1999 के पत्र में सशर्त सहमति दी गई थी। शर्तों का पालन करने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा सात अप्रैल 1999 को दोनों राज्यों की सचिव स्तरीय बैठक में सहमति व्यक्त की गई थी। इसके बाद केन्द्रीय जल आयोग के परामर्श पर बांध के एफ.आर.एल. और एफ.टी.एल. के मध्य डुबान में आने वाली छत्तीसगढ़ राज्य की 41.60 हेक्टेयर जमीन को डूब से बचाने के लिए सुरक्षात्मक रिंग बांध बनाने के उत्तरप्रदेश सरकार के सुझाव को मान्य कर छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा नौ जुलाई 2010 को सशर्स्त सहमति दी गई थी। इसमें निर्धारित शर्तों का पालन नहीं होने पर अनापत्ति प्रमाण पत्र स्वमेव निरस्त होने का उल्लेख है।
श्री ढांड ने अपने पत्र में यह भी जानकारी दी है कि उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा 28 जनवरी 2015 को सर्वेक्षण के लिए 40 लाख रूपए दिए गए हैं। इस राशि से सर्वेक्षण प्रारंभ कर दिया गया है और एफ.आर.एल. तथा एफ.टी.एल. लाइनों पर सर्वेक्षण पूर्ण कर डूब क्षेत्र, सम्पत्ति आदि के मूल्यांकन के लिए कार्य प्रगति पर है। सर्वेक्षण के बाद प्राप्त होने वाले विवरण के आधार पर भू-अर्जन प्रकरण, विस्थापन प्रकरण और केन्द्रीय वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वन भूमि प्रकरण निराकरण के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे। इसी तारतम्य में प्रकरण से संबंधित जन-सुनवाई भी आयोजित की जा सकेगी।
छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव ने 29 अप्रैल को उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में लिखा है  कि इन तथ्यों से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ राज्य ने राष्ट्रीय सोच अपनाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य के साथ लगातार सहयोग किया है, लेकिन उत्तरप्रदेश राज्य द्वारा असहयोगात्मक रूख अपनाकर पूर्व निर्धारित शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है और छत्तीसगढ़ राज्य के हितों की अनदेखी कर बांध का निर्माण शुरू कर दिया गया है। इससे छत्तीसगढ़ के संबंधित गांवों में अनिश्चितता की स्थिति और भारी असंतोष तथा आक्रोश व्याप्त है। पत्र में श्री ढांड ने उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव से आग्रह किया है कि इस मामले में जब तक सहमति की शर्तों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के डूब क्षेत्र के विस्तृत सर्वेक्षण के बाद मुआवजा इत्यादि के मामलों का निराकरण नहीं हो जाता है, तब तक कन्हर बांध का निर्माण स्थगित रखा जाए।

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