Thursday, April 23, 2015

कनहर बांध : उप्र -छत्तीसगढ़ की सरहद पर दुश्मन देशों जैसे हालात

कनहर बांध : उप्र -छत्तीसगढ़ की सरहद पर दुश्मन देशों जैसे हालात 

[naiduniya]




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कनहर से लौटकर आवेश तिवारी। कनहर के किस्से का यह सबसे दुखदायी हिस्सा है, जब एक बांध दो प्रदेशों के बीच कभी न खत्म होने वाली दूरी बना रहा है। आलम यह है कि कनहर के सवाल पर यूपी छत्तीसगढ़ सीमा पर हालात दो दुश्मन देशों की तरह हो गए हैं।
कनहर का निर्माण न सिर्फ दो राज्यों को अलग कर रहा, बल्कि आदिवासी गिरिजनों के उस संवाद को भी तोड़ने का काम कर रहा है जिसमें वो सुख-दु:ख की हिस्सेदारी कर रहे थे। जबरदस्त तनाव, दहशत और भय के बीच उत्तर प्रदेश द्वारा छत्तीसगढ़ से कनहर बांध क्षेत्र की तरफ आने वाले हर व्यक्ति के लिए परिचय पत्र अनिवार्य किए जाने की सूचना मिल रही है।
बांध की छत्तीसगढ़ से सटी सीमा की ओर कंटीले तारों की बाड़ और चेक पोस्ट लगा दिया गया है। वहीं बांध निर्माण में जुड़े कर्मचारियों को फोटो युक्त परिचय पत्र दिए जा रहे हैं। समूचे इलाके में धारा 144 लगा दी गई है। कंटीले तारों को लेकर पुलिस और यूपी के सिंचाई विभाग का दावा है कि ऐसा मवेशियों के बांध क्षेत्र में प्रवेश रोकने और आए दिनों होने वाली ब्लास्टिंग से सुरक्षा के लिए किया गया है। लेकिन सच्चाई कनहर बचाओ आन्दोलन के संयोजक गांधीवादी नेता महेशानंद बताते हैं।
वे कहते हैं-यूपी पुलिस के लिए छत्तीसगढ़ से आने वाला हर व्यक्ति अब नक्सली है। बांध का निर्माण होने के बाद तो यूपी और छत्तीसगढ़ के सैकड़ों लोग हमेशा के लिए एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हो जाएंगे, लेकिन अभी से प्रशासन जिस तरह की कार्रवाई कर रहा है वह बेहद दुखद है। महेशानंद कहते हैं-पुलिस छत्तीसगढ़ से आने वाले हर आदमी को शक की निगाह से देख रही है।
लगभग आधा दर्जन लोगों को पिछले एक सप्ताह में बेमतलब पुलिस हिरासत में रखा गया है, जबकि सच्चाई यह है कि बलरामपुर जिले के सैकड़ों गांवों का बाजार हमेशा से दुद्धी ही रहा है। कनहर बांध प्रखंड के अधिशासी अभियंता रामप्रसाद से जब इन कंटीले तारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा-छत्तीसगढ़ से यूपी में आने के और रास्ते तो खुले हैं।
वे कहते हैं कि निषेधात्मक प्रक्रिया इसलिए अपनाई जा रही है, क्योंकि छत्तीसगढ़ की तरफ से उड़ाई गई किसी अफवाह का असर यूपी में न पड़े। नहीं भूलना चाहिए कि कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में बिजलीघरों में छत्तीसगढ़ी मजदूरों को उनके राज्य की पुलिस द्वारा सत्यापित परिचय पत्र के आधार पर ही दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करने की अनुमति दी गई थी।
बांध के साथ डूबेगा सैकड़ों साल का नाता
कनहर के डूब क्षेत्र में मौजूद छत्तीसगढ़ के बलरामपुर के विधायक बृहस्पति सिंह कहते हैं कि जो हालात पाकिस्तान और भारत की सीमा पर हैं, वही हालात छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमा पर पैदा हो गए हैं। वे कहते हैं-आज झारा, कुशफेर, सेमरवा, धौली, पचवल, लिबरा, कामेश्वरनगर, सनवाल, तेंदूआ डूगरू, कुदरू, तलकेश्वरपुर, चूना पत्थार, इंद्रावतीपुर, बरवाही, सुंदरपुर, मीनूवाखर और त्रिशूली इत्यादि गांवों में जो भय और दहशत का माहौल है उसे देख कर आप कांप जाएंगे।
बृहस्पति सिंह का कहना है कि छत्तीसगढ़ के गांवों में इस कदर दहशत है कि कब यूपी पुलिस वाले आ जाएंगे, कब क्या करेंगे किसी को पता नहीं है। उन्होंने बताया-मैं सेमारवा गांव से आ रहा हूं, लोगों ने घर बनाना बंद कर दिया है। गाँव में लोग खेतों में रोपनी नहीं कर रहे हैं। कुओं की खुदाई नहीं हो रही है।
बलरामपुर के झारा की शान्ति खरवार, जिनका हाथ पुलिस ने तोड़ दिया है, बताती हैं- लोग हमारे गांवों में रिश्तेदारी इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि लोगों को लग रहा है कि इनके घर-गांव तो कल डूब जाएंगे। शान्ति कहती है-यह बांध नहीं बन रहा, सरकार हमारा बाजार, हमारे नाते -रिश्तेदार, हमारे कहानी -किस्सों से हमें दूर कर रही। कनहर की कहानी का यह दुखद पहलू है कि जो गांव नष्ट हो रहे हैं उनकी पंचायतों और सभाओं ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित कर रखा है कि उन्हें बांध की कोई आवश्यकता नहीं है फिर भी यूपी सरकार यह बांध बनाने पर तुली हुई है।
दरअसल कनहर बांध के किनारे रहने वाले छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए मुख्य बाजार उत्तर प्रदेश में ही है। एक दूसरा रास्ता आसनडीह सीमा से भी है, लेकिन उस रास्ते से आवागमन करने पर किसी को भी लगभग 80 से 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि न सिर्फ डूब क्षेत्र के गांव, बल्कि वो सैकड़ों गांव जो डूब क्षेत्र में नहीं आ रहे हैं उनके लिए भी उत्तर प्रदेश की सीमा में घुसकर बाजार करना आसान नहीं होगा।
बांध के निर्माण की समय सीमा बढ़ी
ताजा, मगर चौंकाने वाली खबर यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कनहर बांध के निर्माण की समय सीमा को बढ़ाने की बात कही है। पहले यह समय सीमा दिसंबर 2016 थी। राज्य के सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता आनंद मोहन प्रसाद ने नईदुनिया से कहा है कि मौजूदा गतिरोध को देखते हुए इस बांध का निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा होना असंभव है। लेकिन हम इसे जल्द से जल्द बनाने को कटिबद्ध हैं।
नईदुनिया को जानकारी मिली है कि उत्तर प्रदेश सरकार बंद निर्माण स्थल की सुरक्षा व्यवस्था केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। गौरतलब है कि कनहर से महज से 40 किमी दूर स्थित रिहंद बांध की सुरक्षा व्यवस्था सीआईएसएफ के जिम्मे है।
वहीं छत्तीसगढ़ के डूब क्षेत्रों को मिलने वाले मुआवजे को लेकर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ ने मुआवजा खुद बांटने की बात कही है। अभी सर्वे करा रहे हैं, वे जो भी मुआवजे की रकम निर्धारित करेंगे, उनको दी जाएगी। कनहर के अभियंता कहते हैं कि अब तक मुआवजे को लेकर छत्तीसगढ़ ने कोई अनुरोध पत्र नहीं दिया है।
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