Friday, April 3, 2015

महाराष्ट्र में पूर्ण गोहत्या बंदी लागू करी गयी है .

महाराष्ट्र में पूर्ण गोहत्या बंदी लागू करी गयी है .

हिमांशु कुमार 


महाराष्ट्र में पूर्ण गोहत्या बंदी लागू करी गयी है .
लेकिन सरकार के इस कदम के पीछे खेती में बैलों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का कोई उद्देश्य नहीं है .
पुलिस द्वारा नागरिकों को अपनी गाय बैलों के फोटो पुलिस थाने में जमा कराने के आदेश दिए जा रहे हैं .
इससे किसी की गाय मर जाने या खो जाने पर पुलिस का दमन गरीब नागरिकों पर किये जाने का रास्ता साफ़ हो जायेगा .रिश्वतखोरी बढ़ जायेगी .
गोहत्या के फर्ज़ी आरोप लगा कर मुस्लिम युवकों को जेलों में डाले जाने का अंदेशा है .
यह कदम पूरी तरह से हिंदू समुदाय को गोपालक , भारतीय संकृति का रक्षक , अहिंसक और मुस्लिम समुदाय को आतातायी , क्रूर हिंसक और गोभक्षक रूप में चित्रित करने की गंदी योजना के तहत उठाया गया खतरनाक कदम है .
एक तरफ सरकार अपने लालच के लिए गाय काटने के बड़े बड़े कत्लखाने चला रही है .
महाराष्ट्र में ही देओनार में एक बड़ा कत्लखाना चलता है जिसका पूरा मांस दूसरे देशों को भेजा जाता है .
सरकार मुनाफा कमाने के लिए उस कारखाने को आज भी चालू रखे हुए है .
इस कत्लखाने में जान बूझ कर टांगें तोड़ तोड़ कर बढ़िया बैलों को लाकर विकलांग कह कर काटा जा रहा है .
मैंने अपने विद्यार्थी काल में सर्वोदय आंदोलन के दौरान गोरक्षा के लिए उपवास किया था . हमारे साथ अनेकों मुस्लिम साथी भी गोहत्या के विरोध में उपवास पर थे .
उसके बाद बस्तर में मैंने अट्ठारह साल उन आदिवासियों के साथ काम किया है जो गाय का मांस खाते थे .
मुझे आदिवासियों का गाय खाना कोई गलत काम नहीं लगा .
आदिवासी गाय पालते थे उससे खेती भी करते थे , ज़रूरत होने पर खा भी लेते थे .
उससे उनकी खेती के तरीकों या अर्थ व्यस्था पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता था .
मैं आज भी मानता हूँ कि अगर छोटे किसान को जिंदा रखना है तो खेती को ट्रैक्टर और महंगे रासायनिक उर्वरकों से करने के बजाय गाय बैलों और भैंसों से करने को बढ़ावा देना
चाहिये .
लेकिन मैं गाय बचाने के इस तरह के सरकारी दमनात्मक और साम्प्रदायिक तरीकों का विरोध करता हूँ .

No comments:

Post a Comment