Monday, April 27, 2015

कन्हार बाँध परियोजना – दलित आदिवासी किसानों की जायज़ मांगों को दबाने तथा विरोध को कुचलने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की बर्बरतापूर्ण दमन कार्यवाही, छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसानों के साथ धोखा



कन्हार बाँध परियोजना – दलित आदिवासी किसानों की जायज़ मांगों को दबाने तथा विरोध को कुचलने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की बर्बरतापूर्ण दमन कार्यवाही, छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसानों के साथ धोखा 






– छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के सोनेभद्र जिले में कन्हार बाँध परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है जिससे उत्तर प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा I परियोजना के निर्माण में भारी गड़बड़ियाँ हैं जिनके खिलाफ स्थानीय आदिवासी तथा दलित किसानों ने एक शांतिपूर्ण आन्दोलन छेड़ रखा है I स्थानीय लोगों की आवाजों को दबाने  तथा आन्दोलन को कुचलने के लिए उत्तर प्रदेश प्रशासन लगातार बर्बरतापूर्ण दमन कार्यवाही कर रही है I वहीँ दूसरी ओर, पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए और छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसानों को अँधेरे में रखकर छत्तीसगढ़ शासन ने एक अजब चुप्पी साधी हुई है I इन्हीं सब तथ्यों की जांच करने के लिए छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन ने घटना स्थल तथा प्रभावित गांवों का दौरा कर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की है जोकि दोनों राज्यों के प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाती है 

I जांच दल में छत्तीसगढ़  बचाओ आन्दोलन के आलोक शुकला, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, जंगसाय पोया, डिग्री प्रसाद चौहान तथा बिजय गुप्ता शामिल थे I

बाँध परियोजना के मुख्य तथ्य – वर्ष 1976 में परिकल्पित कन्हार बाँध परियोजना से उत्तर प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ का एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है I इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के 11 गांवों में भू-अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई और 1983 में कुछ लोगों को लगभग 2700 रूपये प्रति एकड़ की दर से मुआवज़ा राशि दी गयी I परंतु विभिन्न कारणों से यह परियोजना स्थगित की गयी और लगभग 30 से अधिक वर्षों तक यहाँ कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ और सभी स्थानीय किसान भूमि पर निवासरत रहे I परंतु, दिसम्बर 2014 में बाँध का निर्माण शुरू कर दिया गया जिसके लिए कोई नयी पर्यावरणीय या वन स्वीकृति नहीं ली गयी I 2013 के भूमि-अधिग्रहण कानून के अनुसार इस परियोजना के लिए भूमि-अधिग्रहण प्रकरण पुनः शुरू किया जाना था I वनाधिकार कानून 2006 के तहत वनाधिकार पत्रकों का भी निराकरण नहीं किया गया और सरकार ने 30 साल पहले दिए गए मुआवज़े का हवाला देकर किसानों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की I इसके विरोध में 23 दिसम्बर 2014 से बाँध निर्माण स्थल के पास स्थानीय किसान एक निरंतर शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हुए हैं I परंतु स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के बावजूद निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है I

प्रशासन की दमन कार्यवाही – 23 दिसम्बर 2014 को धरने की शुरूआत से ही आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की जा रही है और निर्माण स्थल पर पी.ए.सी. के 500-1000 जवानों का एक बड़ा जत्था तैनात है I लगातार लोगों को डराने के लिए उन पर हिंसात्मक कार्यवाही की जा रही है और झूठे केस में फंसाया जा रहा है I 14 अप्रैल 2015 को तो धरना प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोली चला दी जिसमें एक आदिवासी के सीने के आरपार गोली निकली और 39 लोग घायल हुए जिसमें से 12 लोग गंभीर रूप से घायल हैं I परंतु जब इससे भी धरना प्रदर्शन खत्म नहीं हुआ तो 18 अप्रैल 2015 को पी.ए.सी. तथा स्थानीय पुलिस ने धरना स्थल को घेर लिया और धरना का पंडाल हटाकर प्रदर्शनकारियों को बर्बरता से पीटा I इसके बाद वे गांवों में घुस आये और महिलाओं समेत अनेकों ग्राम-वासियों को बुरी तरह पीटा तथा उनके घर तथा घरेलू सामान को भी बर्बाद कर दिया I इस घटना में अनेकों लोग गंभीर रूप से घायल हुए और कई लोगों को तो उनके परिजनों की सूचना तक नहीं मिल पाई है I पूरी तरफ भय का माहौल है, स्थानीय नेताओं को जेल में बंदी बनाया गया है तथा 956 से अधिक लोगों के खिलाफ फर्जी केस दर्ज किये गए हैं I इस मुद्दे के तथ्यों को समझने के लिए आ रहे लोगों को भी रोका जा रहा है और दिल्ली की एक अन्य फैक्ट फाइंडिंग टीम को रोका गया और परेशान किया गया I

छत्तीसगढ़ के सम्बन्ध में कन्हार बाँध परियोजना – एक अत्यंत गंभीर और चौकाने वाली बात में छत्तीसगढ़ के प्रभावित गांवों को इस परियोजना के प्रभाव के बारे में पूरी तरह भ्रम में रखा जा रहा है I छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रामचन्द्रपुर ब्लाक के इन गाँवों में पिछले गृह मंत्री श्री रामविचार नेताम लगातार प्रचार कर रहे हैं और आश्वासन दे रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कोई डूबान नहीं होगा न ही कोई गाँव प्रभावित होगा I उत्तर प्रदेश में हुई  गोलीबारी की हिंसा के बाद  छत्तीसगढ़ के कुछ अधिकारियों द्वारा सर्वे कार्य शुरू किया I 18 अप्रैल को अचानक एक इंजिनियर ने झारा गाँव में आकर बताया कि केवल 250 एकड़ ज़मीन डूबान में आएगी जिसमें से 100 एकड़ ही निजी भूमि है I परंतु यह भी साफ़ झूठ प्रतीत होता है क्योंकि एक गाँव में लगे पोस्टर में छत्तीसगढ़ में आ रहे डूबान क्षेत्र का एक नक्शा मिला जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ का एक बहुत बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा -19 गाँव पूरी तरह से और 8 गाँव आंशिक रूप से डूबान में आयेंगे I इससे क्षेत्र के 50,000 लोगों पर सीधा प्रभाव पड़ना निश्चित है I यह पूरा क्षेत्र घने जंगल और समृद्ध जैव-विविधता से परिपूर्ण है और तेंदुआ, हाथी, भालू, चिंकारा, जकाल जैसे महत्वपूर्ण संरक्षित जानवरों का भी आवास स्थल है जिससे यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है I तथा प्रभावित क्षेत्र में राज्य सरकार दुवारा विकास के लिए निर्माण कार्य भी करवाए जा रहे हे I

इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ शासन की भूमिका पर कई गंभीर सवाल उठते हैं –
  • जब उत्तर प्रदेश में बांध का निर्माण कार्य पुनः शुरू हुआ तो छत्तीसगढ़ सरकार दुवारा परियोजना के संबंध में कोई भी अनापत्ति या सहमति दी गई हे क्या ?
  • यदि परियोजना के लिए छत्तीसगढ़ सरकार दुवारा सहमति दी गई है तो क्या इससे पूर्व सभी आवश्यक कार्यवाही संपन्न की गई जैसे – क्या यह सुनिश्चित किया गया की यु.पी. सरकार के पास परियोजना से संबंधित सभी आवश्यक अनुमतियाँ उपलब्ध हैं ? क्या बांध से छत्तीसगढ़ में होने वाले डूब क्षेत्र की समस्त जानकारी राज्य सरकार ने प्राप्त की थी ? क्या छत्तीसगढ़ के डूब प्रभावित ग्रामसभाओ से सहमति प्राप्त की गई ? क्या वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के क्रियान्वयन की कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है ?
  • यदि इसमें छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति नहीं थी, तो क्यों नहीं उसने ने उत्तर प्रदेश में निर्माण कार्य शुरू होने के समय ही आपत्ति दर्ज कराई ?
  • कई महीनों के जन-विरोध तथा मामले के तूल पकड़ने के बाद, अब क्यूँ सर्वे किया जा रहा है, जबकि यदि छत्तीसगढ़ को पता नहीं था की राज्य पर इस परियोजना का क्या प्रभाव होगा, तो फिर उसने छत्तीसगढ़ के लोगों के अधिकारों तथा हितों के संरक्षण के लिए पहले प्रयास नहीं किये ?
  • और सबसे अहम् सवाल की निर्माण प्रभावित गाँव वालों को क्यूँ धोखे में रखा जा रहा है और लगातार झूठी दिलासा दी जा रही है ?
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन उत्तर प्रदेश में चल रही सुनियोजित प्रशासनिक दमन कार्यवाही का पुरज़ोर विरोध करता है और मांग करता है कि –
  1.  राज्य सरकार को तुरंत गैरकानूनी व अवैध तरीके से चल रहे बांध निर्माण कार्य को बंद करवाने के लिए  केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की जानी चाहिए I 
  2. पूरी कन्हार बाँध परियोजना के पर्यावरणीय तथा सामाजिक प्रभाव का सम्पूर्ण समग्र अध्ययन किया जाये तथा नियमनुसार सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन हो I इसके पूर्ण होने तक बाँध कार्य पर पूर्ण रोक लगाई जाए I
  3. उत्तर प्रदेश के परियोजना प्रभावित दलित तथा आदिवासी किसानों की मांगों पर प्रशासन द्वारा उनसे साकारात्मक चर्चा की जाए तथा उनकी अत्यंत जायज़ मांगों को स्वतः स्वीकार कर बाँध कार्य आरम्भ से पूर्व ही ज़रूरी निराकरण किया जाए I
  4. 14 अप्रैल तथा 18 अप्रैल को पी.ए.सी. तथा स्थानीय पुलिस द्वारा की गई दमनात्मक कार्यवाही की न्यायायिक जाँच कर दोषी अधिकारियो पर कार्यवाही की जाये  I ग्रामीणों पर दर्ज सभी फर्जी केस वापस लिए जाएँ I
  5.  छत्तीसगढ़ सरकार इस पूरे मामले के सभी तथ्यों प्रभाव क्षेत्र के बारे में सही जानकारी सार्वजनिक करे I किसी भी कीमत पर प्रदेश के लोगों के हितों के संरक्षण से कोई समझोता न किया जाये I
  6. परियोजना के लिए भूमि-अधिग्रहण से पूर्व सामाजिक प्रभाव आंकलन किया जाए, प्रभावित ग्राम सभाओं से स्वीकृति ली जायें, वनाधिकार मान्यता प्रक्रिया पूर्ण की जाए, तथा जन-सुनवाई जैसे सभी महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए I
भवदीय


  सुधा भारद्वाज                  कामरेड संजय पराते                         आलोक शुकला
अधिवक्ता (जनहित)               राज्य सचिव, माकपा               संयोजक, छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन 
    9926603877                                             9424231650                                                                  9977634040

छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन

No comments:

Post a Comment