Tuesday, April 28, 2015

आयता का इंतज़ार

आयता का इंतज़ार

[himanshu kumar ]
आयता एक आदिवासी युवक है .
आयता अपने इलाके में बहुत लोकप्रिय है .
आयता छत्तीसगढ़ में रहता है .
छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों की ज़मीन छीनना चाहती है .
सरकार लोकप्रिय आदिवासियों से डरती है .
सरकार को लगता है कि जो लोकप्रिय आदिवासी है है वह आदिवासियों को संगठित कर सकता है
सरकार मानती है कि लोकप्रिय आदिवासी सरकार द्वारा ज़मीन छीनने का विरोध कर सकता है .
इसलिए सरकार लगातार लोकप्रिय आदिवासी नेताओं को जेलों में ठूंसने का काम करने में लगी हुई है .
इसी तरह बस्तर के आई जी कल्लूरी ने आयता को बुला कर कहा कि तुम बहुत आगे बढ़ रहे हो , तुम ज़रूर नक्सलियों से मिले हुए हो तो तुम हमारे सामने सरेंडर कर दो .
आयता ने कहा मैं तो अपनी खेती करता हूँ . और साहब मेरे खिलाफ़ पुलिस के पास कहीं कोई शिकायत है क्या ?
आई जी ने कहा बहुत बोल रहा है . तुझे एक हफ्ते का टाइम दे रहा हूँ . मेरे सामने सरेंडर कर देना .
एक हफ्ते बाद पुलिस का दल एक बोलेरो और दो मोटर साइकिलों पर सवार होकर आयता के घर उसे पकड़ने पहुँच गए .
आयता घर पर नहीं था . पुलिस ने आयता की पत्नी सुकड़ी को उठाया गाड़ी में डाला और चल दिए .
गाँव वालों ने पुलिस को आयता की पत्नी सुकड़ी का अपहरण करते हुए देख लिया .
आदिवासियों को इस घटना से अपना बहुत अपमान लगा .
अगले दिन आदिवासी जमा हुए और आदिवासियों ने सुकड़ी को छुड़ा कर लाने का फैसला किया .
पन्द्रह हज़ार आदिवासियों ने पुलिस थाने को घेर लिया .
घबरा कर पुलिस झूठ बोलने पर उतर आयी .
पुलिस ने कहा कि हमने सुकड़ी को नहीं उठाया . हो सकता है नक्सलवादियों ने सुकड़ी का अपहरण किया हो .
लेकिन आदिवासियों ने तो अपनी आँखों से पुलिस को सुकड़ी का अपहरण करते हुए देखा था .
आदिवासी थाने के सामने ही जमे रहे तीन दिन तीन रातों तक आदिवसियों ने थाने को घेरे रखा .
अब सरकार घबराने लगी .
तीसरे दिन सोनी सोरी ने जाकर प्रशासन से कहा कि अगर आज रात पुलिस ने सुकड़ी को वापिस नहीं किया तो कल से मैं और मेरे साथ आदिवासी उपवास शुरू करेंगे .
इस पत्र के दो घंटे बाद ही सरकार ने कहा कि हमें सुकड़ी मिल गयी है ,
सरकार ने झूठ बोलते हुए कहा कि उन्हें सुकड़ी एक गाँव में मिली है .
हांलाकि सुकड़ी ने बाद में बताया कि सुकड़ी को पुलिस ने थानों में और सुरक्षा बलों के कैम्पों में रखा था .
लेकिन सुकड़ी की अपहरण की रिपोर्ट पुलिस ने आज तक नहीं लिखी है .
आदिवासियों ने अपनी जीत की खुशी मनाई और सुकड़ी को निर्विरोध रूप से अपने गाँव का सरपंच चुन लिया .
पुलिस ने आदिवासियों को उनकी हिम्मत की सज़ा देने के लिए तीन दिन बाद गाँव पर हमला किया और आदिवासी बुजर्ग महिलानों तक को इतना मारा कि उनकी हड्डियां टूट गयीं .
पन्द्रह आदिवसियों को नक्सली कह कर जेल में डाल दिया .
सोनी सोरी आयता और सुकड़ी को लेकर प्रदेश की राजधानी रायपुर पहुँच गयी .
आयता और सुकड़ी ने पत्रकारों को सब कुछ बताया .
आयता सोनी सोरी के साथ छत्तीसगढ़ के डीजीपी से मिलने गए .
लेकिन डीजीपी आयता से नहीं मिले .
कुछ हफ़्तों बाद पुलिस ने एक और आदिवासी युवक को घर से उठा लिया .
फिर दस हज़ार आदिवासियों ने फिर से थाने का घेराव किया .
आदिवासियों की हिम्मत देख कर गुस्से में पुलिस और सुरक्षा बलों ने आदिवासियों पर वहशी हमला किया .
इस हमले के विरोध में आदिवासियों ने जिला मुख्यालय सुकमा तक अस्सी किलोमीटर तक पदयात्रा करने का फैसला किया .
इस बार सोनी सोरी के साथ आयता भी इस पदयात्रा में आगे आगे थे .
आदिवासी राजनैतिक नेताओं के आश्वासन के बाद सभी आदिवासी रैली स्थगित कर अपने अपने घर जा रहे थे .
गाँव के रास्ते में पुलिस ने आयता को घेर लिया और और थाने में ले आये .
पुलिस ने बयान दिया कि उन्होंने एक 'फरार नक्सली ' को पकड़ा है .
आयता को जेल में डाल दिया गया .
अब आयता जगदलपुर जेल में है .
आयता पर चार फर्ज़ी मुकदमे लगा दिए गए हैं .
आज़ादी की लड़ाई में भी जेल यात्रा से लोग आज़ादी की लड़ाई के नेता बनते थे
आज बस्तर में भी जेल से निकल कर अनेकों आदिवासी अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता बन रहे हैं .
आयता बस्तर के लोग बाहर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं .

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