Tuesday, April 21, 2015

कोयला खदान के आवंटन और वनाधिकार कानून को नकारने के खिलाफ धरना और प्रदर्शन ,कोरबा में आंदोलन


कोयला खदान के आवंटन और वनाधिकार कानून को नकारने  के खिलाफ धरना और 
प्रदर्शन  ,कोरबा  में आंदोलन 


आज दिनाँक 20 अप्रैल 2015 को कोरबा ज़िला मुख्यालय में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति और छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन ने एक संयुक्त रूप से एक दिवसीय धरने का आयोजन किया I केन्द्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा हसदेव अरण्य क्षेत्र में माइनिंग के लिए नो-गो क्षेत्र के प्रावधान तथा प्रभावित ग्राम सभाओं के आवंटन के पूर्व एकमत से पारित प्रस्तावों को नज़रंदाज़ करते हुए कोयला खदानों के आवंटन के विरोध में यह धरना किया गया I साथ ही धरने में मुख्य रूप से वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत सामुदायिक एवं व्यक्तिगत अधिकारों के क्रियान्वयन की मांग की गयी I धरने में हसदेव अरण्य क्षेत्र के पतुरियाडांड, गिद्मुडी, मोरगा, धजाक, खिरटी, उच्लेंगा, मदनपुर, पूटा, परोगिया, जामपानी, कैरहियापारा, भुल्सिभावना, साल्ही, घाटबर्रा, हरिहरपुर, फतेहपुर, इत्यादि जैसे 20 से अधिक गांवों के 500 आदिवासियों तथा अन्य परम्परागत वनवासियों ने धरना प्रदर्शन किया I इसमें विशेष रूप से इन गाँवों के चुने हुए जन-प्रतिनिधियों (जनपद सदस्य, सरपंच, उप-सरपंच, इत्यादि) ने बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया I
जैसा की आपको ज्ञात है कि हसदेव अरण्य के सम्पूर्ण वन क्षेत्र को सघन वन, जैव-विविधता, दुर्लभ जीव-सम्पदा, तथा कई महत्वपूर्ण वन प्राणियों की उपस्थिति के कारण 2009 में खनन के लिए “नो-गो” क्षेत्र घोषित किया था – यह देश के कोयला-क्षेत्रों में पर्यावरणीय दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण वन क्षेत्र माना गया है I परंतु वर्तमान सरकार ने अध्यादेश लाकर यहाँ के कोयला खदानों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर 6 कोयला ब्लोक्कों का आवंटन कर दिया जिससे हसदेव अरण्य की समृद्ध वन सम्पदा, आदिवासी संस्कृति और आजीविका का विनाश होगा तथा हसदेव बांगो बाँध पर भी इसका दुष्प्रभाव होगा I
हसदेव अरण्य की 18 ग्राम-सभाओं ने कोयला खदानों के आवंटन के पूर्व विशेष-ग्राम सभाओं का आयोजन कर कोयला खदानों के आवंटन या नीलामी का विरोध किया था, परंतु सरकार ने विधिवत आयोजित ग्राम-सभाओं के प्रस्तावों को नज़रंदाज़ कर गिद्मुडी, पतुरिया, पर्सा, पर्सा ईस्ट, केते बासन कोल ब्लोक्कों का आवंटन किया है जोकि पाँचवी अनुसूची क्षेत्रों की ग्रामसभाओं के अधिकारों का हनन है I
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा हसदेव अरण्य क्षेत्र में वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के क्रियान्वयन को भी नज़रंदाज़ किया जा रहा है I कोरबा जिले स्थित हसदेव अरण्य क्षेत्र के 12 गांवों के सामुदायिक वन-अधिकार के दावे उपखंडस्तरीय समिति में प्रस्तुत किये गए हैं, परंतु दावा पत्र जमा करने के कई महीनों बाद भी दावों के निराकरण हेतु कार्यवाही नहीं की गई और ना ही इस सम्बन्ध में ग्राम-सभाओं को कोई भी जानकारी से अवगत नहीं कराया गया है I
इन्ही सभी विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई और पुर-जोर विरोध प्रकट किया गया I छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के संयोजक आलोक शुकला ने कहा कि “सरकार ने सभी कानूनों, लोक-तांत्रिक व्यवस्था, संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रख कर केवल कॉर्पोरेट मुनाफे के लिए खदानों का आवंटन किया है जोकि पेसा कानून 1996, वनाधिकार कानून 2006 का उल्लंघन है” I हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक तथा पोढ़ी-उप्रोढा से जनपद सदस्य श्री उमेश्वर सिंह अर्मो ने कहा कि “एक तरफ तो छत्तीसगढ़ शासन पिछले एक सप्ताह से लोक-स्वराज अभियान चला रही है परंतु दूसरी ओर ग्राम सभाओं को पूरी तरह दरकिनार कर रही है और उनके अधिकारों का हनन करती जा रही है जिसके कारण गांवों से बढ़ी संख्या में लोगों को इतनी दूर कड़ी धूप में शहर में विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है” I किसान सभा के उपाध्यक्ष का. नंदकुमार कश्यप ने हालही में हुए बारिश के कुप्रभाव से किसानो को हुए नुकसान का उदाहरण देते हुए उन्होंने भविष्य में होने वाले फ़ूड सिक्यूरिटी के सवाल से लोगो कको अवगत कराया I समाज सेवी श्री लक्ष्मी-चौहान ने कहा “मोदी सरकार ने सारे जन-पक्षीय कानूनों को तहस-नहस कर अंग्रेजों से भी खतरनाक स्थिति पैदा करने मुहीम छेड़ ली है I देश की उर्जा सुरक्षा के लिए कोल इंडिया के पास पर्याप्त कोयला ब्लाक है और इसके लिए हसदेव अरण्य क्षेत्र को उजाड़ने की बिलकुल ज़रुरत नहीं है” I धरना प्रदर्शन के दौरान उमेश्वर सिंह अर्मो जनपद सदस्य पोड़ी-उपरोड़ा, चन्द्रावती पैकरा सरपंच पतुरियाडांड, वीर साय सरपंच गिदमुड़ी, ह्रदय तिग्गा सरपंच धजाक, देव साय सरपंच मदनपुर, इत्यादि कई जन-प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे I

धरने के अंत में कलेक्टर कार्यालय को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें निम्न मुख्य मांगे रखी गयी :-
  •  पांचवी अनुसूची क्षेत्र की ग्रामसभाओ को दिए गए विशेष अधिकार के तहत पारित किये गए प्रस्ताव, समृद्ध वनसंपदा एवं पर्यायवरण को ध्यान में रखते हुए पतुरियाडांड और गिदमुडी कोयला खदान के आबंटन को रोकने के लिए आदेश पारित करने की कृपया करे lभविष्य में  हसदेव अरण्य क्षेत्र में अन्य किसी भी कोल ब्लॉक का आवंटन या नीलामी पर स्थाई रोक लगाई जाए I
  • सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन के पर्यावरणीय,  सामाजिक तथा भौगोलिक प्रभाव का सम्पूर्ण एवं समग्र अध्ययन किया जाए I इससे होने वाले हसदेव बांगो बाँध और उससे छत्तीसगढ़ की सींचित भूमि के  होने वाले प्रभाव का भी आंकलन किया जाए I
  •  इस क्षेत्र के कोरबा ज़िले 
    के सभी 12 गाँव के लंबित सामुदायिक वनाधिकार दावों पर कार्यवाही कर ग्राम सभाओं को उन्क्के अधिकार पत्रक प्रदान 
    किया जाए I
  • व्यक्तिगत वनाधिकार मान्यता कानून के क्रियांवयन की प्रक्रिया शीघ्र सुनिश्चित करते हुए समय सीमा में निराकरण करे I
  •  हसदेव अरण्य के पूरे क्षेत्र में वन को संरक्षित एवं संवर्धित किया जाए तथा इसके लिए ग्राम सभा की अनुमति एवं निर्देश का पालन किया जाए I ग्राम सभा की अनुमति के बिना कोई अवैध कूप कटाई या फेंसिंग का कार्य ना किया जाए I  कंपनी के हित के लिए क्षेत्र में खदान खोलने के लिए वन के घनत्व को कम करने के उद्देश्य से की जा रही जंगल ककी कटाई पर शीघ्र पूर्ण विराम लगाया जाए I
भवदीय,

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति                                                   छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन

No comments:

Post a Comment