Thursday, September 25, 2014

नए शहर की चकाचौंध में गुम हो गई नया रायपुर के गांवों की रौनक

Be lost in the glare of the new town charm of the villages of Naya Raipur

राजकुमार सोनी [ पत्रिका ]

Be lost in the glare of the new town charm of the villages of Naya Raipur
9/26/2014 7:57:54 AM






रायपुर। वे अपने खेतों से बिछड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन सरकार उनकी जमीन पर विशालकाय भवनों को खड़ा करना चाहती थी, इसलिए पहले खेती की जमीन ली गई और बाद में मकानों को भी अधिगृहीत कर लिया गया। घर और जमीन से महरूम होने वाले किसानों को मुआवजा तो मिला, लेकिन वह बहुत जल्द खर्च हो गया। हालत यह है कि अधिकतर किसान आज दड़बे में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर बन गए हैं। यही सच्चाई है नया रायपुर के 27 गांवों के किसानों की।
नई राजधानी के ग्रामीण कहते हैं, इससे ज्यादा खराब स्थिति क्या हो सकती है कि पेट भरने के लिए घर की इज्जत-आबरू को रोजी-रोटी की तलाश में भटकना पड़ रहा है। अफसरों और ठेकेदारों की घुसपैठ के चलते गांव की लड़कियां धोखे के मकड़जाल में फंसने को विवश हुईं और गांव का सामाजिक ताना-बाना ध्वस्त हुआ।
मुआवजे की राशि खर्च
कोटराभाठा के किसान जयराम पांच एकड़ जमीन के मालिक थे। नई राजधानी के निर्माण के लिए एनआरडीए ने जमीन ले ली। मुआवजे में 28 लाख रूपए मिले। मुआवजा राशि से पक्का मकान बनवा लिया। बच्चों ने गाडियां खरीद लीं और राशि खत्म हो गई। यही हाल गांव के अन्य किसानों का भी हुआ। राखी गांव की जिस जमीन पर मंत्रालय और संचालनालय बना है वह गांव अब उजड़ चुका है।
कुछ घरों में जो लोग रह रहे हैं उनका आरोप है कि एनआरडीए ने बगैर किसी सूचना के झोपडियों पर बुलडोजर चलवा दिया। विरोध पर जेल की हवा खानी पड़ी। गांव के उपसरपंच विष्णु राय बताते हैं कि पहले एनआरडीए ने सिंचित और असिंचित जमीन का अलग-अलग मूल्य देने का वादा किया था, लेकिन बाद में सभी को 5.90 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा मिला। गांव के रामआसरा सेन ने बताया कि जो मकान मिला है उसमें भेड़-बकरी भी ठीक से नहीं बांधी जा सकती, वहां 22 सदस्यों के साथ रहने की मजबूरी है।
साढ़े आठ अरब खर्च
नई राजधानी के निर्माण के लिए एनआरडीए ने जुलाई 2006 से मार्च 2013 तक कुल 6381 किसानों से 4962.316 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की और इसके लिए 8 अरब 45 करोड़ 98 लाख 80 हजार रूपए का खर्च होना बताया है। राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति से जुड़े सदस्य मानते हैं कि इस खर्च में गांवों की बुनियादी जरूरतों का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया। भवनों की चकाचौंध देखकर लगता है कि शहर अट्टहास कर रहा है और गांव रो रहा है।
गांवों से लड़कियां गायब!
नया रायपुर क्षेत्र के 27 गांव मंदिरहसौद और राखी थाना क्षेत्र के अधीन हैं। इन थानों में गुमशुदगी के कई मामले दर्ज कर फाइलें बंद कर दी गई हैं। थानेदार मानते हैं कि क्षेत्र की तमाम लड़कियां इधर-उधर चली गई हैं। लेकिन नई राजधानी किसान कल्याण समिति के सचिव कामता प्रसाद रात्रे पूरे मामले को सामाजिक ताने-बाने के ध्वस्त हो जाने से जोड़कर देखते हैं। वे कहते हैं, विकास की वजह से कुछ विसंगतियां भी उपजीं। कामकाज के सिलसिले में ठेकेदारों और अफसरों की घुसपैठ गांवों में हुई तो गांव की भोली-भाली लड़कियां उनके चक्रव्यूह में फंसने को मजबूर हुई और वे इधर-उधर जा बसीं। बाद में कुछ लड़कियों को धोखा मिला तो वे अपने घरों को लौट आई।

No comments:

Post a Comment