Tuesday, September 30, 2014

काम के पहले ही निकले थे 40 लाख ,फर्जीवाड़े का हुआ था खुलासा


काम के पहले ही निकाले थे 40  लाख ,फर्जीवाड़े का हुआ था खुलासा 

उपयंत्री व एसडीओ को 3 साल की कैद

0 सालेकेरा घोटाला मामले में न्यायालय का फैसला
0 मामले में कार्यपालन यंत्री सहित चार अधिकारी के विरुद्घ जारी है स्थाई वारंट
जशपुरनगर(निप्र)। बहुचर्चित सालेकेरा पुलिया घोटाला मामले में दो आरईएस उपयंत्री व एसडीओ को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय ने सालेकेरा घोटाला मामले में दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल कारावास से दंडित किया है। इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दो-दो हजार के अर्थदंड की भी सजा सुनाई है।
गत 31 जनवरी 2012 को सालेकेरा पुलिया घोटाला मामले में आरईएस के कार्यपालन अभियंता सहित चार एसडीओ व एक सब इंजीनियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। इसमें पहले 40 लाख के घोटाले की बात सामने आई थी, जिसे नईदुनिया ने10 जनवरी 2012 को खुलासा करते हुए प्रमुखता से प्रकाशित किया था। समाचार प्रकाशित होने के बाद ग्राम सालेकेरा सहित आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में लामबंद हो गए। इस दौरान ग्रामीणों ने चूल्हा नहीं जलाकर जिला मुख्यालय में धरना दिया। जिस दिन ग्रामीण जिला मुख्यालय में धरने पर बैठे उसी दिन जिला प्रशासन द्वारा जांच के बाद आरोपियों के विरुद्घ जुर्म दर्ज करने का निर्देश दिए गया और गत 31 जनवरी 2012 को घोटाले से जुड़े आरईएस के ईई सहित 6 अधिकारियों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया। जिन अधिकारियों के विरुद्घ जुर्म दर्ज किया गया, उसमें आरईएस के कार्यपालन अभियंता जीएस राही, उपयंत्री डीएल सोनवानी, उपयंत्री एआर निकुंज, एसडीओ एलएस सक्सेना, एसडीओ एलके असाटी और एसडीओ एचके विश्वकर्मा आदि प्रमुख थे। मामले में उपयंत्री डीएल सोनवानी व एसडीओ एलएस सक्सेना की गिरफ्तारी हुई, वहीं अन्य चार अधिकारी अभी भी फरार हैं और उनके विरुद्घ न्यायालय द्वारा स्थाई वारंट जारी किया गया है। गिरफ्तार उपयंत्री डीएल सोनवानी व एसडीओ एलएस सक्सेना के विरुद्घ निर्णय सुनाते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अजय सिंह राजपूत ने दोनों को धारा 409, 420, 120 बी के तहत तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। सभी सजा आरोपियों को साथ-साथ भुगतने के आदेश के साथ ही दोनों ही आरोपियों को दो-दो हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है। अर्थदंड न पटाए जाने पर दोनों आरोपियों को अतिरिक्त तीन-तीन माह के कारावास आदेशित किया है।
23.99 लाख का निकला गबन
जब नईदुनिया ने 10 जनवरी 2012 को खबर प्रकाशित किया तो सालेकेरा ग्राम सहित आसपास के ग्रामीण मामले को लेकर लाम बंद हो गए। इसके बाद कलेक्टर जशपुर द्वारा जांच समिति गठित की गई, जिसमें लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग व प्रधानमंत्री योजना इकाई के कार्यपालन अभियंता शामिल थे। संयुक्त समिति की जांच रिपोर्ट के बाद अवलोकन में पाया कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग जशपुर को 49.5 लाख का आवंटन पुलिया निर्माण के लिए उपलब्ध कराया गया था। जांच समिति ने पाया कि इस कार्य में 23.99 लाख का गबन कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। समिति द्वारा मौके पर जाकर मूल्यांकन किए जाने पर 21.82 लाख का मुल्यांकन पाया गया, जबकि 23.99 लाख अधिक मूल्यांकन दर्ज कराया गया। इस प्रकार आरोपियों द्वारा 23.99 लाख का गबन किया गया था। एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के परियोजना प्रशासक डीएस पटेल समिति के जांच प्रतिवेदन पर आरईएस के कार्यपालन अभियंता जीएस राही, उपयंत्री डीएल सोनवानी, उपयंत्री एआर निकुंज, एसडीओ एलएस सक्सेना, एसडीओ एलके असाटी और एसडीओ एचके विश्वकर्मा को भ्रष्टाचार में दोषी बताते हुए जशपुर कोतवाली में 31 जनवरी 2012 को प्राथमिकी दर्ज कराई। उक्त सभी 6 आरोपियों के विरुद्घ धारा 409, 420 व 34 के तहत जुर्म दर्ज किया गया था।

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