Wednesday, February 22, 2017

गमपुड़ गाँव में न्याय की दुहाई मांग रहे आदिवासी महिलाओं और पुरुषो पर बस्तर के सुरक्षा बलों द्वारा हमला,

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22 फरवरी 2017
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गमपुड़ गाँव में न्याय की दुहाई मांग रहे आदिवासी महिलाओं और पुरुषो पर बस्तर के सुरक्षा बलों द्वारा हमला, हिंसक प्रताड़ना, महिला अत्याचार का घिनोना मामला
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बीजापुर जिला के गमपुड़ गांव के सुखमती के साथ बलात्कार और हत्या तथा भीमा कड़ती की फर्जी मुठभेड़ में हत्या के बाद बस्तर पुलिस का नारी उत्पीड़न का एक और घिनोना मामला सामने आया है ।
28 जनवरी को सुखमती और भीमा की हत्या के बाद उनके परिजनों और ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों पर हत्या, बलात्कार का केस दर्ज करने, दोबारा पोस्टमार्टम और गिरफ्तारी की मांग को लेकर किरंदुल थाना जाना और दन्तेवाड़ा कलेक्टर से गुहार लगाना ग्रामीणों पर भारी पड़ गया है ।
पुलिस नही चाहती है कि उनके अपराध की सजा उन्ही को मिले उलटे ऐसी मांग करने वालों को सजा देने में कोई कसर नही छोड़ रहे है ।
अपने भाई भीमा की हत्या के खिलाफ आवाज उठाने वाले बामन कड़ती को माओवादी बताकर घटना के दो दिन बाद ही जेल में डाल दिया । और अब 15-16 फ़रवरी को किरंदुल और दंतेवाड़ा में धरना देने वाले ग्रामीणों के घरो में घुसकर हिंसा का तांडव गमपुड़ में 17-18 फ़रवरी को बस्तर के सुरक्षा बलों ने मचाया है । गाँव के आदिवासी महिलाओं और पुरुषों को बुरी तरह बन्दूक को बट से और लाठियो से पीटा गया । अनेक महिलाओं के कूल्हों, जाँघ, अंदरुनी अंग, स्तन आदि में गम्भीर चोटें आयी है ।
बुरी तरहसे घायल महिलाओं और पुरुषों को लेकर आम आदमी पार्टी की नेत्री सोनी सोरी, रोहित सिंह आर्य, लिंगाराम कोडोपी आदि साथियो के साथ जगदलपुर के महारानी अस्पताल में 22 घायलों का उचित मेडिकल उपचार करवाने के लिये आज 22 फ़रवरी की सुबह पहुंच गई है ।

पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है -

28 जनवरी को भीमा कडती अपने नवजात बच्चे की छट्ठी कार्यक्रम की पूजा की तैयारी हेतु अपनी साली सुखमती हेमला के साथ अपने ग्राम गमपुड़ से किरंदुल की ओर निकले ।
किरंदुल बाजार में पूजा सामग्री खरीदने हेतु साथ लायी सल्फी को उन्होंने बाजार में बेचा लेकिन वे दोनों घर वापस नही लौट पाये ।
29 जनवरी को भीमा के बड़े भाई बामन को पुलिस ने सुचना दी कि भीमा और सुखमती माओवादी थे और पुरंगेल के जंगल में मुठभेड़ में मारे गए, उनकी लाश दन्तेवाड़ा के अस्पताल से उन्हें दी गई ।

भीमाके परिजनों ने पाया कि सुखमती के देह पर तरह तरह के निशान थे, जिससे उसके साथ बलात्कार किये जाने की पुष्टि हुई, उनके शवों के साथ छेड़छड़ भी गया प्रतीत हुआ हुआ ।
बामन कड़ती ने अपने निर्दोष भाई और उसकी साली को सुरक्षा बलों द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मार दिए जाने की शिकायत उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों से करने का फैसला लिया ।
31 जनवरी की पुलिस ने उसे घर से उठाकर थाना बन्द में बन्द कर दिया । बामन के साथ पुलिस ने जमकर मारपीट की, उसके घटनों को चाकू जैसे धारदार हथियार से काट डाला । पुलिस ने उसे माओवादी घोषित कर दिया ।
फर्जी मुठभेड़ और जबरन गिरफ्तारी की मांग मीडिया में फैली, गांववालों ने आम आदमी पार्टी की नेत्री सोनी सोरी से पूरे मामले की शिकायत की और निवेदन किया कि उनकी टीम गाँव का दौरा करे ।
सोनी सोरी ने मामले की प्रारम्भिक जानकारी इकट्ठा कर पाया कि भीमा और सुखमती निर्दोष थे, भीमा बचपन से खेती कर अपने परिवार का गुजर बसर करता था और उसका भाई बामन किरंदुल में ठेका श्रमिक का काम करता था । सुखमती मात्र 15 साल की थी और उसका परिवार भी ग्राम गमपुड़ में रहता है, उसकी बड़ी बहन की शादी भीमा से लगभग 8 साल पहले हुई थी, जिसकी बड़ी लड़की होने के बाद बेटा एक माह पूर्व हुआ था । भीमा की पत्नी की एक आँख से नही दिखता है ।
भीमा और उसके परिवार की जाँच करने के बाद सोनी सोरी आप के साथियों और दो पत्रकारों के साथ रविवार 12 फ़रवरी को लगभग 15 किमी की पैदल पहाड़ी रास्ता तयकर गमपुड़ पहुंची ।
जहां भीमा की बेवा पत्नी ने रो रोकर पूरी घटना का विवरण दिया । सारे गांववाले भीमा के घर एकत्रित हो गए थे, सभी में सरकार के प्रति जबरदस्त नाराजगी थी, वे लोग बलात्कार और दोनों हत्याओं के दोषी सुरक्षबलों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे । उपस्थित सैकड़ो ग्रामीणों ने दोनों के सहेजकर रखे गये शवों को दिखाया । ग्रामीणों का कहना था जब तक इन दोनों की हत्या के अपराध में सुरक्षा बलों पर एफआईआर दर्ज नही हो जाता तब तक वे मृतकों का आदिवासी रीति रिवाज अंतिम संस्कार नहीँ करेंगे ।

ग्रामीणो ने सोनी को बताया कि पुलिस ने जब शवो को परिजनों को सुपुर्द किया तभी लगा कि मृतकों के शव से आँखे निकाली गई थी । दोनों के शवों की चीरफाड़ की गई थी, शव क्षत विक्षत हो गए थे ।
ग्रामीण सोनी सोरी के नेतृत्व में इन हत्याओं की एफआईआर कराने की मांग करने लगे ।
15 फ़रवरी को लगभग 600 ग्रामीण पैदल चलकर किरंदुल पहुंचे । जहां सोनी सोरी के नेतृत्व में थानेदार से माँग किये की पूरे मामले की रिपोर्ट दर्ज हो, दोबारा पोस्टमार्टम हो और यदि वे दोनों माओवादी थे तो उनके खिलाफ दर्ज रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध करायें । थानेदार ने तीनों मांगों को अस्वीकार कर दिया ।
15 फ़रवरी की रात किरंदुल में गुजारने के पश्चात् 16 फ़रवरी को ग्रामीण और भीमा के परिजन सोनी सोरी के साथ दंतेवाड़ा कलेक्टर से अपनी मांगों को लेकर मिले । भीमा और सुखमती की माताओं की ओर से ज्ञापन सौंपा गया,तब कलेक्टर ने कहा की इस मामले की जाँच कोर्ट के आदेश पर ही सम्भव है, क्योंकि पुलिस एफआईआर दर्ज़ कर अपने स्तर पर जाँच कर चुकी है ।
16 फ़रवरी की रात को भीमा और सुखमती के व्यथित परिजनों को सोनी सोरी ने अपने सहयोगी रिंकी के साथ बिलासपुर हाईकोर्ट रवाना किया । बाकी ग्रामीण अपने गाँव की ओर लौट गए ।
17 फ़रवरी को रायपुर से आप नेता डॉ संकेत ठाकुर भीमा-सुखमती की माताओ, एक भाई और बहन को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट पहुंचे । बिलासपुर जाने के रस्ते पर सोनी सोरी ने सुचना दी कि भारी संख्या में पुलिस फ़ोर्स गमपुड़ के लिये बीजापुर से निकल गई है और वहाँ जाकर शवो का अग्नि संस्कार करवा सकती है, क्योंकि यह खबर फैली हुई थी कि ग्रामीणों ने शवो को अपने पास ही रखा है । तत्काल एक आवेदन बिलासपुर से भीमा और सुखमती की ओर फेक्स किया गया कि दिनों शवों से छेड़छाड़ उनकी अनुपस्थिति और अनुमति के बिना नहीं किया जाये ।
18 फ़रवरी की रात्रि को बिलासपुर में हाईकोर्ट के लिये याचिका तैयार कर भीमा के परिजन अपने गाँव वापसी के लिये रवाना हो गए ।
19 फ़रवरी को गमपुड़ पहुँचने पर भीमा के परिजनों को पता चला कि उनकी अनुपस्थिति में सुरक्षा बलों ने गाँव में घुसकर ग्रामीणों और रिश्तेदारों से खूब मारपीट की । सुरक्षा बलों ने किरंदुल थाना घेराव करने का आरोप लगाकर ग्रामीणों को बन्दूक के कुन्दो से खूब पीटा । लगभग 40 ग्रामीणों और भीमा के रिश्तेदारों को सुरक्षा बलों से मार पड़ी जिनमे से 15 महिलाओं सहित अनेको की हालत गंभीर हो गई ।
इस मारपीट की सुचना सोनी सोरी को दी गई, 21 फरवरी को सोनी सोरी घायलों से मिलने गमपुड़ अपने साथियो के साथ गई, 22 घायलों जिनमे 15 महिलायें शामिल हैं, को उनका इलाज कराने अपने साथ लायी । उन्हें बताया गया कि 4 घायलों को खाट में लिटाकर गांव से किरंदुल तक लाया गया ।
आज सुबह सभी घायल की इलाज के लिये जगदलपुर के महारानी अस्पताल लाया जा रहा है ।
सुरक्षा बलों के इस अपराधिक कृत्य पर पर्दा डालने बस्तर के प्रभारी आईजी लगातार झूठ बोल रहे है कि वे दोनों निर्दोष आदिवासी माओवादी थे । बस्तर में रमन सरकार का दमन चरम पर पहुँच चूका है । अब तो फर्जी मुठभेड़ की शिकायत करना भी अपराध बन गया है,जिसकी भयंकर सजा आदिवासियों को दी जा रही है ।
बस्तर के पूर्व आईजी कल्लूरी को बदल देने से आदिवासियों पर अत्याचार कम नही हुए है, माओवाद के नाम पर आदिवासियों की हत्या, अत्यचार बदस्तूर जारी है । इसलिये रमन सिंह सरकार को तत्काल बर्खास्त किये जाने की मांग आम आदमी पार्टी करती है ।*****
संकेत ठाकुर की वाल से
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