Wednesday, February 22, 2017

अगर आज चुप रहे तो आने वाली नस्लें नही बोल पाएगी...






अगर आज चुप रहे तो आने वाली नस्लें नही बोल पाएगी......

एबीवीपी व दिल्ली पुलिस के खिलाफ कल 11 बजे, 23 February अधिक से अधिक संख्या में दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर ITO पहुंचे।

आज डीयू में जो कुछ हुआ वो विभत्स और भयानक था। आज की घटना दिखाती है कि फासिस्ट ताकतें किस तरह से नंगा नाच कर रही हैं। आज की घटना दिखाती है कि किस तरह दिल्ली पुलिस आरएसएस के सामने दण्डवत है।

कल डीयू के रामजस कालेज में ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ विषय से दो दिवसीय सेमिनार अंग्रेजी विभाग द्वारा करवाया जा रहा था। कल उसके एक सेशन में अन्य वक्ताओं में उमर खालिद भी था जिसका विरोध एबीवीपी ने किया। एबीवीपी के विरोध के चलते उमर सेमिनार में नही आया। पर सेमिनार चलता रहा। इसी बीच दिल्ली पुलिस ने छात्रों की सुरक्षा के नाम पर सेमिनार रूम को बाहर से बंद कर दिया और एबीवीपी वाले बाहर से लगातार रूम में पथराव करते रहे। कई छात्रों-शिक्षकों को चोटें आयी पर दिल्ली पुलिस मूक दर्शक बनी रही।

इस पूरी घटना के विरोध में सभी जनवादी संगठनों ने आज एक प्रदर्शन रामजस कालेज से मोरिस नगर थाने तक रखा था। प्रदर्शन से पहले ही दिल्ली पुलिस ने सभी एबीवीपी वालों को कालेज के अंदर घुसा दिया पर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को अंदर नही जाने दिया गया। वहीं रामजस कालेज के छात्र अंदर ही बैठकर एबीवीपी की गुण्डागर्दी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। एबीवीपी ने फिर उनपर हमला किया। शिक्षकों तक को नही छोड़ा गया। सेमिनार आयोजित करने वाले प्रो. चक्रवर्ती को बुरी तरह से एबीवीपी के गुण्डों द्वारा पीटा गया। ये सब दिल्ली पुलिस के सामने ही हुआ। अंदर छात्रों को पिटता देखकर बाहर एकत्र हो रहे छात्रों ने भी एबीवीपी के विरोध में नारे लगाने शुरू कर दिए। तब एबीवीपी के गुण्डों ने बाहर आकर पुलिस के संरक्षण में छात्रों पर हमला बोला। वो लगातार पत्थर, लात-घूसों से हमला करते रहे। इस बीच छात्रों का जुलूस मोरिस नगर थाने पर पहुंचा और वहां रोड को जाम कर दिया। हम लगातार मांग कर रहे थे कि एबीवीपी के गुण्डों पर एफआईआर दर्ज की जाए पर पुलिस प्रशासन इंकार करता रहा। हमने एफआईआर ना लिखे जाने तक वही बैठने का फैसला किया। विभिन्न कालेजों के छात्र जो हमारे समर्थन में आ रहे थे पुलिस उन्हें मार के भगा रही थी पर एबीवीपी वाले थाने के सामने भी पत्थरबाजी करते रहे। इस बीच हमारी संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। लगभग 300 छात्र थाने के सामने नारेबाजी और गीत गाते हुए बैठे हुए थे। इसके बाद ही दिल्ली पुलिस ने अपनी बची हुयी इज्जत भी उतार के साइड में रख दी। प्रदर्शन कर रहे छात्रों को लात-घूंसों से पीटते हुए बसों में भरा जाने लगा। छात्राओं तक को नही छोड़ा गया। बस में चढाते हुए भी पुलिस वाले लगातार हमें पीट रहे थे और मां-बहन की गाली देते हुए कह रहे थे कि लो आजादी, ये लो आजादी। 3 बसों में भरकर हमें पूरी दिल्ली में घुमाया गया और उसके बाद हौज खास मेट्रो स्टेशन के बाहर छोड़ दिया गया।

इस पूरी घटना ने दिखाया है कि किस तरह फासिस्ट एबीवीपी व उनकी सहयोगी दिल्ली पुलिस छात्रों के बोलने के हक को भी छीन रही है। एबीवीपी और पुलिस की खुली गुण्डागर्दी के बावजूद डीयू के सैकड़ों छात्रों का 3 घण्टे तक सड़क जाम करके रखना एक सुखद एहसास था। ये दिखाता है कि संघी तानाशाही को आम छात्र सहने वाला नही है। डीयू को कल बंद कर दिया गया है और धारा 144 लगा दी गयी है। पर इसके बावजूद संघी गुण्डों के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

परिवर्तनकामी छात्र संगठन आप सभी जनवादी छात्रों, शिक्षकों से अपील करता है कि आज डीयू के छात्रों पर हुए फासीवादी हमले के खिलाफ अपने-अपने क्षेत्रों में प्रदर्शन करके डीयू के छात्रों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करें। दिल्ली के साथी कल अधिक से अधिक संख्या में 11 बजे ITO पहुंचे।

एबीवीपी मुर्दाबाद!
आरएसएस मुर्दाबाद!!
छात्रों पर हमला करने वाले एबीवीपी के गुण्डों को गिरफतार करो!!
गुण्डों को संरक्षण देने वाली दिल्ली पुलिस पर कार्यवाही करो!!
छात्र-शिक्षक एकता जिंदाबाद!!

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