Wednesday, February 15, 2017

मीना खलको प्रकरण में बाकी के 25 आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं


मीना खलको प्रकरण में बाकी के 25 आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं : कांग्रेस

Written by BlastNews |
 February 15, 2017 |

रायपुर/ प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि सुशासन का दावा करने वाली रमन सरकार के राज में 66 माह बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता, मीना खलको प्रकरण इसका उदाहरण है।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन ज्ञानेश शर्मा ने जारी बयान में कहा है कि बस्तर में ऐसे ही कितनी महिलाओं के शोषण और उन्हें फर्जी मुठभेड़ में मारने के मामले हैं, जिन पर अभी तक कारवाई नहीं हुई है। मीना खलको प्रकरण में तो 66 माह बाद पहली गिरफ्तारी हुई है। इससे साफ जाहिर होता है कि बस्तर में नक्सलियों के प्रति कठोर होने का दावा करने वाली राज्य सरकार आततायी पुलिस कर्मचारियों के लिए कितनी रहमदिल है।
उन्होंने कहा कि जुलाई 2011 को घटित मीना खलको प्रकरण में टीआई की गिरफ्तारी 66 माह बाद अब जाकर हुई है, जबकि राज्य सरकार द्वारा गठित अनिता झा के नेतृत्व में न्यायिक आयोग ने साल 2015 में ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसमें 25 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इसके बावजूद सरकार ने उस रिपोर्ट की सिफारिशें नहीं मानी थी। इन पुलिस कर्मचारियों को तत्कालीन तौर पर तो लाइन अटैच कर दिया था, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि होने के बाद इन सब लोगो के डीएनए के नमूने भी लिए गए थे। बाद में पता चला कि जो कपड़े फोरेंसिक जाँच के लिए भेजे गए थे वो मृतका के ही नहीं थे। बाद में इन 25 पुलिसकर्मियों को वापस काम पर ले लिया गया। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि बस्तर में ऐसे पुलिसकर्मियों को ऊपर तक का संरक्षण हासिल रहता है। यही कारण है कि बस्तर में निर्दोष आदिवासियों की हत्या के 10 से ज्यादा मामले कोर्ट पहुंच चुके हैं।
संरक्षण देने वालों में तो जून 2014 से आईजी कल्लूरी ही अब तक थे, इसके अलावा और कौन ऐसे पुलिसकर्मियों को संरक्षण देते आ रहे हैं, यह भी जांच का विषय है।

शर्मा ने कहा कि ऐसे पुलिसकर्मियों के हौसले कितने बुलंद है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि पहले ही इतने मामले चल रहे उसके बाद भी हाल ही में एक युवती से बलात्कार कर, उसे और उसके मंगेतर को फिर एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। प्रशासन-व्यवस्था में ढीली-ढाली रमन सरकार कांग्रेस के आरोपों को महज विपक्ष के आरोप कहकर टाल देती रही है, लेकिन न्याय व्यवस्था कांग्रेस के आरोपों को सत्य प्रमाणित करती आ रही है।
ताड़मेटला कांड में भी यही हुआ था लेकिन सीबीआई के हलफनामे ने आखिर राज्य सरकार की ही पोल खोल दी थी। बस्तर में लगातार आदिवासियों पर अत्याचार होते आ रहा है, आदिवासी महिलाओं से बलात्कार कर फर्जी मुठभेड़ हो रहे हैं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर पत्रकारों को धमकी दी जा रही है और रमन सरकार चुप्पी ओढ़कर ऐसे लोगों का न केवल बचाव कर रही है बल्कि उन्हें संरक्षण भी दे रही है। कांग्रेस ऐसा नहीं होने देगी।

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