Thursday, January 12, 2017

राष्ट्रपति को ज्ञापन सौपकर कांग्रेस ने की छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग.

     
राष्ट्रपति को ज्ञापन सौपकर कांग्रेस ने की छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग.
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रायपुर/12 जनवरी 2017। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौपकर छत्तीसगढ़ राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बाहुल्य राज्य है, जहां आदिवासियों की जनसंख्या 30.6 प्रतिशत है। बस्तर और सरगुजा संभाग मूलरूप से आदिवासियों का ही क्षेत्र है और नक्सली समस्या से ग्रस्त है।
राज्य में विगत 13 वर्षो से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और डाॅ. रमन सिंह मुख्यमंत्री है। पिछले एक दशक में राज्य सरकार पर आदिवासियों की प्रताड़ना के कई गंभीर आरोप लगे है और साबित भी हुए है।
वर्ष 2004 से 2009 के बीच राज्य सरकार ने नक्सल विरोधी अभियान के तहत पुलिस के अलावा स्थानीय युवाओं को हथियार देकर विशेष पुलिस अधिकारी ( एसपीओ ) का दर्जा दिया गया था, इस अभियान की आड़ में सुरक्षाबलों और एसपीओ ने बस्तर में आदिवासियों के गांव जलाएं, उनकी हत्याएं की और उन्हें गांव खाली करने को मजबूर किया गया, अनुमान है कि बस्तर में ही कम से कम 900 गांव आदिवासियों से खाली करवा दिए गए और उनके घरों को जला दिया गया। आदिवासियों को अमानवीय परिस्थितियों में नौ कैंपों में रहने को मजबूर किया गया, आरोप लगे कि अभियान के दौरान सैकड़ों आदिवासियों को मार दिया गया। इन आरोपों पर मानवाधिकार आयोग ने वर्ष 2008 में जांच की और पाया कि नक्सलियों के नाम पर ग्रामीणों की भी हत्यायें की गयी और आवश्यक सुविधायें मुहैया नहीं करवाई गई बाद में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को अभियान बंद करने के निर्देश दिए लेकिन इसके बाद भी आदिवासियों की प्रताड़ना खत्म नहीं हुई।


वर्ष 2015 के नवंबर से जनवरी के बीच छत्तीसगढ़ पुलिस ने बीजापुर जिले के पांच गांवों पेड्डापल्ली, चिन्नागेलूर, पेद्दागुलूर, मुंडम और बुडगीवेरू में नक्सली कार्रवाई के नाम पर हमला किया। पुलिस बलों ने गांवों में लूटपाट की, महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया, उनका यौन शोषण किया और शारीरिक क्षति पहुंचाई, महिलाओं के प्रति होने वाली यौन हिंसा और शारीरिक के शोषण के विषयों पर काम करने वाली संस्था (ॅैै) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस घटना की विवरण दिए थे और इसके आधार पर दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित किया था, इस खबर का स्वयं संज्ञान लेते हुये राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसकी जांच करने का निर्णय लिया था।

मानवाधिकार आयोग ने गत सात जनवरी 2017 को एक अंतरिम रिपोर्ट जारी की है इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, आयोग ने पाया कि राज्य के पुलिसकर्मियो ने 36 महिलाओं के साथ बलात्कार किया। उनकी यौन प्रताड़ना की और शारीरिक क्षति पहुंचाई। कुल 36 महिलाओं के साथ यौन हिंसा हुई थी जिसमें से 20 महिलाओं के ब्यान अभी शेष है। आयोग ने कहा है कि प्रथमदृष्टया मानवाधिकार का हनन हुआ और इसके लिये राज्य सरकार प्रतिनिधिक तौर पर जिम्मेदार है।
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की पुलिस पर लगे ये इकलौते आरोप नहीं है इससे पहले वर्ष 2011 में बलरामपुर जिले में एक नाबालिग आदिवासी बालिका मीना खल्कों को अगुवा कर पुलिस कर्मियों द्वारा सामूहिक बलात्कार और फिर नक्सली बताकर फर्जी मुठभेड़ में मारने का आरोप लगा, एक न्यायिक आयोग ने इसे सही पाया और 25 पुलिस कर्मियों को दोषी माना, लेकिन अब तक इस मामले में किसी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार नहीं किया गया है, इसी तरह वर्ष 2011 में दक्षिण बस्तर के सुकमा जिले में पुलिसकर्मियों ने नक्सल विरोधी कार्रवाई की आड़ में आदिवासियों के घर जला दिए और उनके साथ हिंसा की, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने जांच की और इस आरोप को सही पाया।

इस तरह से देखें तो मानवाधिकार आयोग न्यायिक आयोग और सीबीआई जैसी तीन संवैधानिक संस्थाओं ने अलग-अलग पाया है कि राज्य में पुलिस बल आदिवासियों पर अत्याचार कर रहे है।

इसके अलावा हाल ही में बस्तर के दंतेवाड़ा जिले के दो स्कूली बच्चों को नक्सली बताकर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया, इसके बाद बकायदा एसपी ने प्रेस कांफ्रेंस करके पुलिस दस्ते को ईनाम देने की घोषणा की जब कांग्रेस विधायक के हस्तक्षेप के बाद मामला हाईकोर्ट गया तो राज्य की पुलिस ने कह दिया कि वे बच्चे नक्सली नहीं थे और अज्ञात लोगों ने उनकी हत्या की।
कोण्डागांव में एक युवक को घर से निकालकर फर्जी नक्सली मुठभेड़ में मार दिया गया। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने इस मामले में भी राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित है जिसमें दो आदिवासी महिलाओं ने आरोप लगाए है कि राज्य पुलिस और सुरक्षा बलों का भय इतना है कि उनके आते ही महिलाएं बच्चों को लेकर गांव से भाग जाती है।

इसके अलावा बस्तर में आदिवासियों को नक्सली बताकर प्रताड़ित करने और जेल में डालने यहां तक फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की दर्जनों शिकायतें है, पुलिस की ओर से आदिवासियों को लालच देकर नक्सली बताकर आत्मसमर्पण करवाने की भी शिकायतें हैं, राज्य आत्मसमर्पण नीति के नाम पर दुर्दांत नक्सलियों को भी पुरस्कृत किया जा रहा है, झीरम कांड जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित 29 लोगों की हत्या की गई थी, उसमें शामिल नक्सलियों को पुरस्कृत कर पुलिस का पद भी राज्य सरकार की ओर से दिया गया है।

कुल मिलाकर राज्य में कानून व्यवस्था ठप पड़ गई है और जिन पर सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वह पुलिस बल आदिवासियों की हत्या, यौन हिंसा और प्रताड़ना में लिप्त है, राज्य की रमन सिंह सरकार दोषी पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर रही है।
मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह संयुक्त कमान के प्रमुख है और पुलिस सुरक्षा बलों की ओर से आदिवासियों के प्रति जो भी ज्यादतियों हो रही है वह उनके निर्देश पर ही हो रही है इसलिये वे दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की जगह उनकी तारीफ कर रहे है।
चूंकि पुलिस बल का दबाव के कारण छत्तीसगढ़ में घट रही इन घटनाओं के परिपेक्ष में कहा कि इन घटनाओं की ठीक तरह से रिपोर्टिंग मीडिया में नहीं हो पा रही है। एक रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि, सामाजिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है और उनको बस्तर से हटाने के लिये दबाव डाला जा रहा है।

उपरोक्त के प्रकाश से स्पष्ट है कि रमन सरकार राज्य में कानून व्यवस्था कायम रखने में विफल रही है और उसके शासन काल मे माननीय राष्ट्रपति के संरक्षण प्राप्त आदिवासी समुदाय की भी जान खतरे में है। बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी इलाकों में मानवाधिकार का हनन हो रहा है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी महामहिम राष्ट्रपति जी से छत्तीसगढ़ में हस्तक्षेप करने का आग्रह करती है और विनम्र अनुरोध करती है कि धारा 356 लागू कर राज्य सरकार को तत्काल बर्खास्त करें यह लोकतंत्र के व्यापक हक में होगा।

ज्ञापन सौपने वालो में राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, पूर्व मंत्री अमितेष शुक्ला, विधायकगण अरूण वोरा, अमरजीत भगत, भोलाराम साहू, दलेश्वर साहू, अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष डाॅ. शिवकुमार डहरिया, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम, गंगा पोटाई, मीडिया विभाग के चेयरमेन ज्ञानेश शर्मा, दीपक कर्मा, मलकीत सिंह गैंदू, पूर्व विधायक गण रमेश वल्र्यानी, पदमा मनहर, अंबिका मरकाम एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
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विकास तिवारी  ,प्रवक्ता
 छत्तीसगढ़प्रदेश कांग्रेस कमेटी

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