Saturday, January 14, 2017

गांधी ने किया क्या खादी बिक्री के लिये .उनके फोटो ने नोट का अवमूल्यन भी करवा दिया .




महात्मन ,

आपको पता ही नही है कि खादी आयोग से यह चर्खा(जो आप फोटो में चला रहे है ) चलन से बाहर हुये कई बरस हो गये है .अब ऐसा चर्खा देश मे कही भी चलन में नही है ,इसका स्थान छ:, और बारह तकुआ वाले अम्बर चर्खा ने ले लिया है अब उस चर्खे का स्तेमाल सिर्फ फोटो खिंचवाने और कहीं कही़ आश्रम में प्रतीक के रूप में ही चल रहा है ,कारण यह है कि पुराने चर्खे से उत्पादन न के बराबर होता है ,यदि यह चर्खा  से सूत काता जायेगा तो दिनभर में पांच रूपये भी नही कमा सकते ,इसीलिए खादी आयोग ने इनका  उत्पादन बंद कर दिया है .
खादी की दुर्गति के लिये कांग्रेस ज्यादा जिम्मेदार है ,आप फोटो खिंचवाकर खामोखाँ उसका श्रेय अपने  गले में डाल रहे है .
खादी और उसके विचार से न तो आप कभी सहमत हुये और न आपकी पितृ संस्था संघ .
गांधी जी के प्रपोत्र तुषार गांधी ने बिल्कुल ठीक ही कहा कि खादी आयोग को बंद कर देना चाहिए ,क्योंकि अब आयोग और अधिकतम संस्थायें धागा मिल  से बना उपयोग करते है , अर्थात् धागा किसी भी प्रकार चर्खों में काता ही नही जाता वह सब मशीनो से बनता है तो वह  यह कपड़ा कहीं से भी खादी रहा ही नही तो फिर खादी का ढोंग  क्यों ?

किसी भी खादी भंडार पर चले जाईयें ,कोसा में चायनीज धागे का खुलेआम स्तेमाल हो रहा है .देश की लगभग सभी खादी संस्थाये़  बंद होने के कगार पर है , खादी की कोई भी संस्था का मुआयना कर लीजिए वहाँ खादी की बिक्री करोड़ों  में है तो खादी उत्पादन नहीं के बराबर है ,खादी भंडार बाजार से मिल का सामान लेके बेच रहे है .
खादी आयोग इन संस्थाओं को फर्जी खादी उत्पादन के नाम से अनुदान दे रहे है ,इस फर्जीवाडे में आयोग और संस्थाओ की मिलीभगत रहती है .
गांव में जो थोड़े बहुत खादी कातने और बुनने वाले बचे भी है उन्हें न पोनी मिल रही है और बुनने वाले को धागा नहीं मिल रहा ,इनकी श्रमकाई (भुगतान दर ) आदमकालीन बनी हुई है .

छत्तीसगढ़ में सबसे पुरानी संस्था रायपुर और बिलासपुर में ग्रामसेवा समिति और छत्तीसगढ़ खादी बोर्ड है  ,इनसब के हालात बहुत बुरे है,,इनके खादी भंडार लगभग बंद हो गये है और उत्पादन के नाम पर कातने और बुनने वाले लगभग नही के बराबर है .
इनकी दुर्गति यह है कि अपने कार्यकर्ता के लिये वेतन और बुनकर तथा कत्तिन के पास काम नही है .
उत्पादन जब लाखो में नही है तो बिक्री करोड़ों में कैसे हो सकती है .
जब सरकारी संस्थायें ही फर्जीवाड़े में शामिल है तो खादी का विकास कैसे हो सकता है .
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गांधी ने किया क्या खादी बिक्री के लिये .उनके फोटो ने  नोट का अवमूल्यन भी करवा दिया .
भाजपा के दमदार तर्क .
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भाजपा के इस तर्क में दम है कि खादी की बिक्री के लिये जो काम मोदी जी ने किया उतना काम गांधीजी ने कभी नहीं किया, यही बात हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री विज ने कही कि गांधी के नाम से जोडकर खादी आगे बढी नही .

तर्क तो यह भी है कि स्वदेशी उत्पादन के लिये जो काम बाबा  रामदेव ने किया वो मोदी मी नही कर पाये ,इसलिए खादी आयोग के कैलेंडर पर  बाबा रामदेव का पहला हक़  बनता है .

और यह तर्क तो  भाजपा के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के केबिनेट मिनिस्टर श्रीमान् विज का और भी  दमदार है कि  गांधी के फोटो के कारण नोट का अवमूल्यन होता गया ,अब उनका फोटो भी हटाया जायेगा .
नोटबंदी के लिये गांधी ने क्या किया,, और यह कहना भूल गये .

भई हमारा निवेदन सिर्फ इतना कि गांधी जी ने कभी किसी सरकार को आवेदन नही दिया कि उनकी फोटो नोट या कलैण्डर पर छापो .
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नोट : कही गांधी जी शब्द छप गया हो तो उसे सिर्फ गांधी पढ़े ताकि किन्हीं भक्तों की भावना को ठेस न पहुचे .
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भारत का नाम मोदीलैण्ड और भक्त बदलेंगे अपने पिता का नाम .
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खादी आयोग ने सफाई दी है कि मोदी जी ने खादी
की बिक्री दो फीसदी से बढा कर चालीस फीसदी कर दी ,इसलिऐ उनकी तस्वीर लगाना ठीक निर्णय है .
मोदी जी कहते  है जो काम सत्तर साल में नहीं हुआ वो में ने कर दिया है ,,तो कल को नोट पर भी मोदी जी दिखेंगे तो क्या गलत है .
भक्तों की मन की इच्छा त़ो यह  भी है की देश का नाम भी बदल कर मोदीलेण्ड कर देनी चाहिए क्योंकि जो काम भारत ने आजतक नही किया वो मोदी जी ने कर दिया है .
राष्ट्र पिता मोदी
नोट पर मोदी
देश का नाम मोदीलेण्ड
भक्तों की मंशा तो यह भी है कि उनके अपने पिता ने देश के लिये कुछ नही किया जो  मोदी जी ने तीन साल में कर दिय इसलिए   सब पुत्र अपने पिता का नाम भी बदल कर ........  रख लेंगे .
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