Friday, January 6, 2017

रिलायंस जियो कम्पनी ने डकार लिया छ ग के वेंडरों करोड़ो की रूपये की रकम




रिलायंस जियो कम्पनी ने डकार लिया छ ग के वेंडरों करोड़ो की रूपये की रकम .
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** केबल का काम करवा कर रोक दिया भुगतान,वेंडरों की माली हालत बिगड़ी-- करीब साल भर से राज्य के 70-80 से अधिक वेंडरों के लगभग 100 करोड़ रूपये अटके-.
* कम्पनी से अपनी रकम मांगने को लेकर आंदोलन करने वेंडरों पँर जुर्म दर्ज रात भर थाने में गुजारकर सुबह जमानत करानी पड़ी .
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(नितिन सिन्हा की रिपोर्ट )
रायपुर:-भारत में मोबाइल क्रान्ति लाने वाली रिलायंस की जियो कम्पनी ने भले ही बीते कुछ महीनो से लोगों को मुफ्त मोबाइल सेवा प्रदान कर रही है.परन्तु कम्पनी प्रबन्धन की एक और बड़ी बदमासी तब सामने आयी जब अपनी मेहनत की रकम प्राप्त करने  के लिए लगभग एक साल से बिल और जरूरी दस्तावेज लेकर इधर-उधर भटक रहे राज्य के वेंडर कम्पनी के रवैये से परेसान होकर बीते दिन 4/1/17 राजधानी रायपुर की सड़कों पर उतर आये.

कम्पनी प्रबन्धन और उसके अधिकारियों के आचरण से उन्हें अब लगने लगा है कि उनके किये हुए काम का भुगतान करने की नीयत ही कम्पनी प्रबन्धन की नही है.अतः कम्पनी के अधिकारी व् इंजीनियर लगभग एक साल से उनके किये कामों का ना तो मूल्यांकन कर रहे है ना ही बिल स्वीकार रहे है,हर बार कुछ ना कुछ कमी बता कर ना हक वेंडरों को परेसान किया जा रहा है.जबकि कम्पनी का काम समय पर पूरा करने के लिए सभी वेंडरों ने बाजार से बड़ी रकम उधार लेकर अथवा घर की जमा पूंजी लगाकर काम किया है.ऐसे में प्रबन्धन के द्वारा उचित समय के अंदर भुगतान न करने पर सैकड़ो मजदूरों और पेटी कॉन्टेक्टरों की रकम भी फंसी हुई है.जियो कम्पनी के द्वारा वेंडरों की रकम रोके जाने की वजह से बाजार/बैंक से उधार ली हुई रकम पँर अतिरिक्त ब्याज के साथ आवश्यक मटेरियल्स की रकम चुकता होना भी बाकी है.ऐसी हालत में वेंडर कम्पनी का काम खत्म करने के बाद भी बकायदारों की रकम और मजदूरी सहित पेटी ठेकेदारों के तकादे झेलने पर मजबूर है

.रिलायंस जियो कम्पनी की ऐसी बेजा हरकत के कारण अधिकांश वेंडरों की माली हालत बेहद खराब होने लगी है.हताश और निराश होकर पीड़ित वेंडरों ने जियो कम्पनी प्रबन्धन के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के अलावा विरोध प्रदर्शन की मंशा बना ली है.
इस क्रम में पीड़ित कम्पनी वेंडर मो.सुहैल कुरैशी हिंदुस्तान इंफ्रा. और बिग बियर इंजिनयरिग राम मोहन सिंह ,एस वि कंस्ट्रक्सन व अन्य वेंडर सामने आ कर अपने रकम की मांग करने लगे है.इन वेंडरों ने साशन के विभिन्न विभागों सहित सभी सम्बन्धित पुलिस थानों के प्रभारियों को जियो रिलायंस 4g कम्पनी के अविधानिक कार्यों को उजागर करना प्रारम्भ कर दिया है.अपने द्वारा प्रस्तुत लिखित शिकायत में वेंडरों ने जियो के द्वारा राजधानी के किन-किन छेत्रों में अवैधानिक रूप से बिना उचित अनुमति के बिछाए गये केबल वायरों की सूचि भी जारी की है.

पीड़ित वेंडरों ने यह भी बताया कि किस तरह कम्पनी के बड़े अधिकारी उन्हें देर रात में अनुचित कार्य करने के लिए दबाव बनाते थे.इसे लेकर वेंडरों ने साशन से उनके भुगतान दिलावे जाने के अलावा कम्पनी के द्वारा कराए गए गलत कार्यो की जांच करते हुए उनके वीरूद्ध उचित कार्यवाही की मांग भी की है.ताकि कम्पनी के द्वारा धोखे से शासन की डुबाई हुई राजश्व राशी की वसूली भी की जा सके.

"आज से एक डेढ़ साल पहले रिलायंस की जियो 4जी कम्पनी ने हमे केबल नेटवर्क का काम करने का वर्क आर्डर दिया था.कम्पनी की साख को देखकर हम सब ने कम्पनी प्रबंधन के मार्गदर्शन और आदेशों का अक्छरशह पालन करते हुए रात-दिन एक कर काम किया.नियत तिथि तक काम पूर्ण हो जाने के बाद से आज लगभग एक साल से कम्पनी हमारे किये गए कार्यों का भुगतान नही कर रही है.
कम्पनी के अधिकारियों को दर्जनों बार हमने रिमांइडर भेजा बिल भेजे व्यक्तिगत सम्पर्क और मेल किया परन्तु कोई न कोई बहाने बना कर प्रबन्धन हमारी रकम देने से इंकार करने पँर लगा हुआ है.ऐसे में हम कह्ना जाए.क्या यही प्रधान मंत्री जी के द्वारा प्रचारित डिजिटल क्रान्ति लाने वाली जियो कम्पनी का आचरण है.?"-
पीड़ित वेंडर मो.सुहैल कुरैशी हिंदुस्तान इंफ्रा.रायपुर (छग)
विडम्बना देखिये देश में कथित मोबाइल क्रान्ति लाने वाली मोबाइल कम्पनी रिलायंस जियो 4 जी हम मेहनत कश लोगो की जिन्होंने रात-दिन एक कर छ ग में जियो का अस्तित्व जमाया है.उन्हें अपने काम किये हुए पैसों के लिए महीनों भटकना पड़ रहा है.जल्दी ही यदि जियो कम्पनी के अधिकारी हमारी रकम का भुगतान नही करेंगे तो हमे आंदोलन के साथ-साथ काँनूनी कारवाही का मार्ग अपनाना पड़ेगा.-
---बिग बियर इंजी.रायपुर

*** विशेष:-छ ग के रायपुर निवासी जिस वेंडर मो.सुहैल कुरैशी को जियो 4जी कम्पनी ने बेहतर कार्य करने के लिए सम्मानित किया था उसके ही करीब 1.5--2 करोड़ रूपये कम्पनी ने भुगतान नही किये..
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( नितिन सिन्हा की रिपोर्ट )
7.01.2017 

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