Thursday, September 24, 2015

आरक्षण की मलाई सब को चाहिये

आरक्षण की मलाई सब को चाहिये 

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मोहन भागवत समीक्षा की बात बिलकुल सही कह रहे है , में इसका पुरे मन से समर्थन करता हूँ .
ये क्या बात हुई की ब्राह्मण क्षत्री और बनिया जो हजारो साल से उनके लिए सारे पद आरक्षित थे ,
उन्हें इस संबिधान ने एक झटके से मरहूम कर दिया .
ये क्या बात हुई की यदि हमारे पूर्वजो ने अखूत संपत्ति कमा ली तो उन्हें इस मलाई से मरहूम कर दिया जाये
और कहे की हर वर्ग के गरीबो को आरक्षण देदो .
ये क्या बात हुई की धर्म के आधार पर आरक्षण हो जाये ,हम लोग ज्यादा है तो क्या हमें मरहूम कर दोगे .
ये क्या बात हुई की यदि हमारी जाति दबंग है तो हमें मलाई मत दो .
कोइ ऐसा फार्मूला निकालिए जिसका कोई कोर्ट या कोई समुदाय विरोध न कर सके .
नहीं नहीं में आर्थिक आधार पे आरक्षण की बात नहीं कह रहा हूँ ,
नहीं यो यही लोग कहेंगे की देखो BPL के लोग बिना योग्यता के ओपरेशन कर रहे है , ठीक जैसे अभी sc / st, के बारे में कहते है .
तो फिर ?
वंचित गरीब या अत्यंत पिछड़े शब्द तो इन्हें काटने को दोड़ते है .
मेरे पास एक फार्मूला है ,इससे सब खुश होंगे,
इसमें ब्राह्मण को , राजपूत को ,बनियों को , अती आमिर को भी ,दबंगों को भी और अगर आपकी दया हो तो कुछ sc/st /obc / अल्पसंख्यको को भी देदी जाये.
बहुत सिंपल फार्मूला है की अभी अभी जाती और धर्म की सेन्सस हुआ है .
बस जो जितना फीसदी वर्ग है उसे उतना ही फीसदी आताक्षण देदो , बस इतना सा है.
इससे ब्राहमणों जो 4 फीसदी राजपूत बनियों को 5 फीसदी अन्य बड़ी जातियों को 6 फीसदी मलाई मिल जाएगी .
Sc/st/obc/ मुस्लिम को मिलेगा सिर्फ 85 प्रतिशत .
और हां देश में जितने फीसदी करोड़पति अरबपति और जितने गरीब और मध्यम वर्ग को उसके हिसाब से आरक्षण दे देना चाहए.
इससे ज्यादा निरपेक्ष कोई फार्मूला किसी के पास हो बताइये.
जय मोहनभागवत .

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