Tuesday, September 15, 2015

कश्मीर में तीन निर्दोष युवको को सेना के छ;जवानो ने गोली मारी ; सभी को आजीवन कारावास की सजा



कश्मीर में तीन निर्दोष  युवको को सेना के छ;जवानो ने गोली मारी ; सभी को आजीवन कारावास की सजा 
[हिमांशु कुमार ]

कश्मीर में छह सेना के जवानों को उम्र कैद की सज़ा दी गयी है .
इनमे से एक कर्नल रैंक का अधिकारी भी शामिल है .
सेना के इन लोगों ने तीन कश्मीरी लड़कों को फुसलाया और कहा कि चलो तुम्हें आर्मी में नौकरी दिलवाएंगे .
इसके बाद सेना के इन लोगों ने तीनों युवकों को बार्डर के पास ले जाकर गोली मार दी .
भारत के नागरिकों की रक्षा के लिए बनाई गयी सेना भारत के निर्दोष नागरिकों की हत्या करे तो यह चिंता की बात है
सवाल यह पूछिए कि सेना को अपने ही देश के नागरिकों को मारने की ज़रूरत क्या है ?
क्या आप जानते हैं की सेना और पुलिस के जवानों को हत्या करने के बदले में क्या मिलता है
सेना और पुलिस के जवानों को हत्या करने के बदले में तरक्की मिलती है
सेना और पुलिस के जवानों को हत्या करने के बदले में मैडल मिलते है
पुलिस के जवानों को हत्या के बदले पैसा मिलता है
अगर हम पुलिस वालों को लाशों के बदले में पैसा इनाम और तरक्की देंगे तो वो निर्दोष और कमज़ोर नागरिकों की हत्या करने के लिए प्रेरित होंगे ही
ऊपर जो मामला उजागर हुआ है वह इस तरह का कोई अकेला मामला नहीं है
इस मामले के उजागर होने के पीछे ख़ास बात यह रही कि इसमें कश्मीर पुलिस ने ही सेना के द्वारा करी गयी इन हत्याओं के खिलाफ बयान दिए
अभी कुछ दिन पहले ही पुलिस ने दंतेवाडा में एक गाँव में एक आदिवासी को खाना खाते समय गोली मार दी थी
पुलिस ने गोली मारने वाले अधिकारी को पच्चीस हज़ार रूपये का नगद इनाम दिया
यह वैसा ही है जैसे अमेरिका, न्यूजीलैंड और आस्ट्रलिया में एक आदिवासी को मारने पर इनाम मिलता था
वहाँ लोग आदिवासी की लाश दिखा कर सरकार से पेमेंट ले लेते थे
ठीक वैसा ही हमारी आज की सरकार भारत में कर रही हैं
किसी इंसान को मारने पर इनाम देना अमानवीय और क्रूर हरकत है
असल में तो मारने वाले के खिलाफ जांच होनी चाहिए
लेकिन भारत में पुलिस और सेना द्वारा निर्दोष लोगों की हत्याओं पर कितनी जांच करी जाती है सब जानते हैं
शर्म की बात यह है की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं ने कहा था कि कभी कभी फर्जी मुटभेड भी ज़रूरी हो जाती है
दुनिया भर में एक सर्वे किया गया जिसमे पूछा गया कि पुलिस द्वारा थाने में प्रतारणा और आरोपी की हत्या कर देने को आप कितना सही मानते हैं
इस सर्वे में भारत के लोगों ने पुलिस द्वारा इस तरह की हत्याओं को सबसे ज्यादा समर्थन दिया
फिल्मों में जब पुलिस वाला हीरो किसी को गोली मारता है तो भारतीय दर्शक खूब तालियाँ बजाते हैं
हम बुनियादी तौर पर ताकत की पूजा करने वाले असभ्य लोग हैं
हम न्याय , प्रक्रिया और लोकतंत्र के असली तौर तरीकों के बारे में ना तो जानते हैं ना उनके बारे में हमारे मन में कोई इज्ज़त है
इसलिए हमारे ही भाई और बेटे पुलिस और सेना में जाकर निर्दोषों को बिना सोचे समझे मारते हैं
अब लोकतान्त्रिक बन जाइए
अब मानव बन जाइए
अब सभ्य बन जाइए
दुनिया भर से ज़हालत का दौर जा रहा है
भारत को भी अब सभ्य बनना चाहिए

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