Wednesday, September 30, 2015

आखिर संतोष यादव को कल्लूरी उठा ले ही गया ..

आखिर संतोष यादव को कल्लूरी उठा ले ही गया .. 

[ कमल शुक्ल ]

संतोष यादव दरभा क्षेत्र में वर्षों से ईमानदारी से आंचलिक पत्रकारिता कर रहा है , जैसे कि पुरे देश में आंचलिक पत्रकार किसी अखबार का एजेंसी लेकर ग्रामीण रिपोर्टिंग कर पत्रकारिता करते हैं वैसे ही संतोष भी दैनिक नवभारत व दैनिक पत्रिका की एजेंसी लेकर जीवन यापन कर रहा था | पिछले एक साल से अधिक समय से दरभा पुलिस उसे थाने में कई बार बुला कर नक्सलियों के बारे में सूचना मांगने और मुखबिरी करने के लिए बाध्य कर रही थी | सात या आठ माह पहले भी उसे मुखबिरी के लिए बाध्य करने अन्यथा नक्सली मामले में फसा देने की धमकी दी गई थी | पुलिस द्वारा बार बार परेशान करने के कारण उसने तब बस्तर में निर्दोष लोगो को पुलिस मामले में फ़साने के खिलाफ काम कर रही समाज सेवी संस्था “लीगल एड’’ से संपर्क किया था | तब “लीगल एड’’ के अधिवाक्ताओं ने उसके पक्ष में कुछ क़ानूनी कार्यवाही भी की थी | 

इस सम्बन्ध में पत्रकार संतोष यादव ने पहले भी मुझे जानकारी दी थी | संतोष की पहली गलती यह थी कि दरभा का ही रहने वाला होने के कारण बहुचर्चित " दरभा घाटी काण्ड " के समय वह अपने प्रेस से मिले आदेश के परिपालन में सबसे पहले घटना स्थल पहुँच गया था | पीयूसीएल के बुलेटीन के अनुसार इसी साल अगस्त माह में उसे कल्लूरी ने पांच लाख रूपये का लालच देकर कुछ फर्जी नक्सलियों के बारे में बयान देने और जानकारी देने को कहा था | संतोष ने बताया था कि उसे नक्सलियों के खिलाफ पुलिस मुखबिर बनने को लेकर किये जा रहे जबरदस्ती को लेकर अपनी जान जाने का ख़तरा था | अभी अभी दरभा से संतोष यादव की पत्नी पूनम यादव ने बताया की कल दोपहर बाद कुछ पुलिस जवान घर आये और ‘कल्लूरी’ साहब बुला रहे है बोल कर अपने साथ ले गए | चूँकि कल्लूरी नाम का कोई पुलिस वाला साहब पहले ही उसे उलाती ही रहता था , इसलिए उसने गम्हिर्ता से नही लिया | उस समय संतोष दरभा में ही ग्राम बाडरी महू से सैकड़ो की संख्या में पुलिस सुरक्षा मांगने आये ग्रामीणों की खबर बनाने और उसे पत्रिका और नवभारत को भेजने की तैयारी कर रहा था | ज्ञात ही कि कल 28 सितम्बर को पुलिस विभाग ने इन ग्रामीणों के स्वागत और सत्कार के लिए बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था, जैसे कि पूर्व में कई अनेक स्थानों पर हो चुका है | 

संतोष यादव के मित्रो और पत्नी पूनम यादव ने बताया कि रात 9 बजे तक जब संतोष नही लौटा तो वे थाने में पता करने गये तो पुलिस वालो ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और संतोष के बारे में कोई जानकारी होने की बात कही, किन्तु थानेदार दुर्गेश शर्मा ने उन्हें जगदलपुर जा कर पता करने के लिए कहा | पूनम के अनुसार जगदलपुर पुलिस ने भी आज दोपहर में संपर्क करने पर संतोष के बारे में किसी प्रकार के जानकारी से इंकार कर दिया | इस सम्बन्ध में मैने जिला पुलिस अधीक्षक अजय यादव( ९४२५२६६८६६ ) से बात किया तो उन्होंने पहले तो किसी संतोष यादव के पकडे जाने से ही इंकार कर दिया, पर बाद में उन्होंने स्वीकार किया की दरभा से कुछ लोगो को पूछताछ के लिये हिरासत में लिया गया है, जिन्हें बाद में छोड़ दिया जायेगा | इस सम्बन्ध में नवभारत के जगदलपुर के ब्यूरो चीफ से संपर्क नही हो पाया किन्तु पत्रिका के प्रमुख जिनेश जैन(9993599969) से बात हुई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि छोटे-मोटे जगहों में वे कोई पत्रकार नही केवल एजेंट रखते है और यदि वे किसी पुलिस प्रकरण में फसे तो हम उनसे संस्थान का सम्बन्ध अलग कर लेते है, यह पत्रिका का पूरे देश में नीति है | 

इस सम्बन्ध में विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 28 सितम्बर की शाम 7 बजे से संतोष यादव व ग्राम बाडरी महू के कुछ लोगो को जगदलपुर के निकट परपा थाने में रखा गया है, और रात में इनके साथ कई घंटो तक ‘कल्लू मामा स्टाइल’ में पूछ ताछ की गई है | पता तो यह भी चला है कि संतोष यादव कि हालत चिंताजनक है | 

No comments:

Post a Comment