Tuesday, September 29, 2015

कोसमपाली में खाक हो गई जिंदगी , भयावह मौंते , जलती खदान की आंच से जीवन हुआ दूभर :कोयला बना इनके लिये अभिशाप .

कोसमपाली में खाक हो गई जिंदगी , भयावह मौंते , जलती खदान की आंच से जीवन हुआ दूभर :कोयला बना इनके लिये अभिशाप .

















रायगढ़ के तमनार में बसा कोसमपाली की आबादी कुल पांच सौ है, यहाँ कदम कदम पे बेबसी और लाचारी का मंजर है .
यहाँ हर परिवार में कोयला खदान से फैले ज़हर के कारण मौत से कराह रहा है , जीवन दुश्वार है क्योकि पानी मिट्टी हवा सब ज़हर उगल रहा है .
फ़िलहाल क़ानूनी चक्कर में पडी यहाँ की खदान बंद पड़ी है .
इसके पहले इसी खदान ने लगभग हर आदिवासी किसान की पूरी जमीन हड़प ली थी ,इस बंद खदान से निकल रही हानिकारक गैसों के उत्सर्ग ने यहाँ के लोगो की खुशियाँ छिन गई है .
सरपंच शिव लाल भगत कहते है की पूरा गाँव बिधवा महिलाओ की बस्ती बन गया है , पांच साल में 63 महिलाओ ने अपने पति खोये है . बेतरतीव खनन ने जिन्दगी को कितना काला बना दिया है , उसका जीता जागता उदहारण कोसमपाली है .खुशहाली का लालच दिखाकर यहाँ के किसानो की पूरी जमीन अधिग्रहण कर उसका पूरा काला सोना निकाल लिया .
सामाजिक कार्यकर्ता रिन चिन ने कहा की हमने हवा की शुद्दता की जाँच की है , इसमें मानक पैमाने पी एम् 2.5 लेवल से बहुत खतरनाक स्थिति पर 403 स्तर पाया गया है .यहाँ हवा में सिलिकोन , मैग्नीज निकिल और लैड जैसे हानिकारक तत्वों की अधिकता पाई गई हैं .

न कोख् में सुरक्षित न जन्म के बाद

हवा और पानी में घुल रहे ज़हर से शिशु न तो कोख में सुरक्षित है और न जन्म लेने के बाद .
संत राम और उनकी पत्नी सावित्री राठिया ने अपने पांच नवजात शिशुओ कोखोया है , चैतराम और गीता ने अभी पीछे महीने ही अपने कलेजे के टुकड़े को खोया है .
बसंत राठिया कहते है की यहाँ हर माँ को डर है की उसका बच्चा कोख या उसके आँचल में बच पायेगा की नही, महिलाये गर्भवती तो हो रही है लेकिन गर्भापात की शिकायते आम हो रही है .कई परिवार प्रसव के बाद माँ और बच्चे को किसी रिश्तेदार के यहाँ भेजने को मजबूर हो जाते है .

अंधकार हो गई है जिन्दगी 


पति को खो चुकी नीलम को अपना जीवन अंधकार में दिखाई देता है ,पहले खदान में हमारी सब जमीन चली गई और अब पति चला गया ,अब साँस लेने में दम घुटता है, नीलम जैसी कम उम्र में विधवा होने वाली महिलाओ की संख्या बहुत हो गई है .

45 साल की उत्तरा बताती है की विधवाओ के सामने उनका जीवन पहाड़ सी हो गई है ,खदान से पुरे परिवार पर मौत मंडराने लगी है, इसके बाद 35 परिवार पलायन कर गए है , सरपंच बताते है की विधवाओ के पास सिर्फ विधवा पेंशन ही उनका एकमात्र सहारा रह गया है , जो उनके पालन के लिए बिलकुल अपर्याप्त है.

भयावह तस्वीर : पांच साल .बेहिसाब मौतें 
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सरपंच शिवपाल भगत ने बताया कि खनन से प्रति एकड़ दो लाख रुपये मुआवजा दिया था , इसके बाद लोगो ने काम करना बंद कर दिया ,ज्यादातर लोग नशे के आदी हो गये , खदान में प्रदुषण और नशे ने मौत की बाढ़ आ गई , करीब 40 लोगो की मौत सुखा और टीबी से हुई , 85 साल की देववती का कहना है की इतनी बेहिसाब मौतें उन्होंने कभी नहीं देखी .
कन्हाई राम पटेल बताते है की 10 साल पहले मुआवजा राशी हड़पने के लिए कई कंपनियों ने गाव में जाल बिछा दिया , रकम डूबने के बाद प्रभावित लोग बेहद निराश और हताश हो गये और इसके बाद आत्महत्या की बाढ़ आ गई .
सामाजिक कार्यकर्त्ता डिग्री चौहान कहते है की हमने प्रशाशन को कोसमपाली की स्थिति से बार बार अवगत कराया है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई .
गाव में घुसते ही दिखने लगता है की कैसे माकन की दीवालें दरक गई है विस्फोट से, नियम कायदों को दर किनारे करके कोयला निकाल लिया गया और पुरे गाव को खोखला कर दिया गया , यहाँ तक की शमशान को भी खदान में मिला लिया गया इनके पूजा स्थल को भी खदान में जोड़ लिया गया , तीन तरफ का रास्ता बंद कर दिया पूरा गाव टापू बना दिया अब वे नदी को पार करके बाहर जाना पड़ता है 
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(कोसमपाली से लौट के श्वेता शुक्ला )

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