Friday, November 14, 2014

स्टॉक में सभी दवाएं, तो क्या कमीशनखोरी के लिए हुई खरीदी?

स्टॉक में सभी दवाएं, तो क्या कमीशनखोरी के लिए हुई खरीदी?


रायपुर (निप्र)। पेंडारी नसबंदी कांड में इस्तेमाल दवाओं की जांच जारी है। 6 दवाओं की बिक्री पर शासन ने रोक लगा दी है, वहीं 2 दवाएं जांच के लिए कोलकाता सेंट्रल लेबोरेट्री भेजी गई हैं। रिपोर्ट आने से ही साफ हो सकेगा कि मौत का कारण दवा है या फिर कुछ और...। लेकिन 'नईदुनिया' पड़ताल में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) सभी दवाएं उपलब्ध हैं फिर भी स्थानीय खरीदी की गई। शासन ने (सीजीएमएससी) को दवाओं की खरीदी के लिए अधिकृत किया है तो फिर क्यों संस्था प्रमुख (मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक, सभी जिला सीएमएचओ) दवाओं की स्थानीय खरीदी करते हैं? यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि पेंडारी नसबंदी कैंप के लिए दवाओं की स्थानीय खरीदी हुई थी। दवाएं गुणवत्ताहीन थी, यही संदेह जताया जा रहा है।
पड़ताल के दौरान सीजीएमएससी की वेबसाइट पर जाकर दवाओं का स्टॉक देखा गया तो सीजीएमएससी द्वारा प्रदेश के सभी 9 वेयर हाउस में पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध हैं। वे दवाएं भी भारी मात्रा में हैं, जिसकी स्थानीय खरीदी बिलासपुर सीएमएचओ कार्यालय ने टेंडर बुलाकर की थी।
तो क्या यह सब कमीशनखोरी के लिए किया जा रहा है? सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में 5 दवा निर्माता कंपनियां हैं, जो सिर्फ सरकारी सप्लाई के लिए दवाओं का निर्माण कर रही हैं। इनकी सीधी पहुंच संस्था प्रमुखों तक है। दो कंपनियां धमतरी, दो रायपुर और एक बिलासपुर में है। रायपुर मेडिकल कॉम्प्लेक्स के दवा विक्रेताओं का कहना है कि वे इन कंपनियों से दवाएं नहीं खरीदते।
इसलिए हुआ है सीजीएमएससी का गठन-
राज्य शासन ने 2012 में सीजीएमएससी का गठन किया, इस उद्देश्य से कि दवाओं की केंद्रीय खरीदी हो, इसका फायदा यह होगा कि पूरे प्रदेश के लिए एक साथ दवा खरीदी होगी। कमीशनखोरी और करप्शन से बचा जा सकेगा। यह संस्था दवाओं की खरीदी से पहले गुणवत्ता की जांच करेगी। सभी संस्था प्रमुख सीजीएमएससी को अपनी आवश्यकता की जानकारी भेजेंगे और वह सप्लाई करेगी। 9 जिलों में वेयर हाउस भी बनाए गए हैं। सारी खरीदी, स्टाफ ऑनलाइन वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
इन दवाओं पर लगा है प्रतिबंध- स्थानीय खरीदी थी
टैबलेट-आईबुप्रोफेन 400 एमजी, बैच नम्बर टीटी-450413 निर्माता- मेसर्स टेक्नीकल लैब एण्ड फार्मा प्रा.लिमि. हरिद्वार। टैबलेट सिप्रोसीन 500 एमजी, बैच नम्बर 14101सीडी, निर्माता- मेसर्स महावर फार्मा प्रा.लिमि. खम्हारडीह रायपुर। इंजेक्शन लिग्नोकेन एचसीएल आईपी बैच नम्बर-आर.एल.108, निर्माता-मेसर्स रिगेन लेबोरेटरीज हिसार। इंजेक्शन लिग्नोकेन एचसीएल आईपी बैच नम्बर- आरएल 107, निर्माता- मेसर्स रिगेन लेबोरेटरीज हिसार। एब्जारबेंट कॉटन वुल आईपी बैच नम्बर- 0033, निर्माता-मेसर्स हेम्पटन इंडस्ट्रीज, संजय नगर रायपुर । जिलोन लोशन, बैच नम्बर जेई-179, निर्माता-मेसर्स जी. फार्मा 323, कलानी नगर, इंदौर (मध्यप्रदेश)।
'नईदुनिया' पड़ताल, सीजीएमएससी स्टॉक में हैं उपलब्ध-
टैबलेट आईबुप्रोफेन 400एमजी- प्रदेश में 41812 का स्टॉक, बिलासपुर में 3233 टैबलेट उपलब्ध।
टैबलेट सिप्रोसीन 500एमजी- प्रदेश में 7090 टैबलेट, बिलासपुर में 499 का स्टॉक।
इंजेक्शन लिग्नोकेन हाईड्रोक्लोराइड 500 एमजी- प्रदेश में 23019 इंजेक्शन, 1660बिलासपुर में।
(एब्जारबेंट कॉटन और जिलोन लोशन की खरीदी सीजीएमएससी ने नहीं की है।)
नहीं खरीदते दवाएं
जिन कंपनियों की दवाएं बैन की गई हैं, 99फीसदी दवा विक्रेता वे दवाइयां नहीं खरीदते। दवाओं के दो टेस्ट महत्वपूर्ण हैं क्वालिटी और टाइम, जो प्रदेश में नहीं होते हैं।
ठाकुर राजेश्वर सिंह, अध्यक्ष, रायपुर ड्रग एवं केमिस्ट एसोसिएशन
हमारे पास सभी दवाओं का स्टॉक है
सीजीएमएससी के पास स्टॉक की कोई कमी नहीं है। जो दवाएं शासन ने नसबंदी कांड के बाद बैन की, वे स्थानीय खरीदी होगी, सीजीएमएससी से सप्लाई नहीं हुई है। हमारे पास वे सभी दवाएं हैं, जो बैन की गई हैं। (पूछे जाने पर की फिर स्थानीय खरीदी की जरूरत क्यों पड़ी, बोले...) मैं इस बारे में क्या कह सकता हूं।
स्वागत साहू, जनरल मैनेजर, सीजीएमएससी

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