Wednesday, November 12, 2014

एक मां का श्राप है, जिम्मेदार कभी सुखी नहीं रहेंगे

एक मां का श्राप है, जिम्मेदार कभी सुखी नहीं रहेंगे

A mother`s curse, the responsible will never be happy

 
A mother`s curse, the responsible will never be happy
11/13/2014 4:35:16 AM
बिलासपुर। "मां" सरकारी लापरवाही का शिकार हो गई। बच्चों से ममता छिन गई। उनकी जिम्मेदारी विकलांग पिता पर आ गई जो खुद मुश्किल से जीवन चला रहा है। ये हालात हैं ग्राम लोखंडी में दिनेश पटेल के घर। मंगलवार को दिनेश की पत्नी दुलौरिन (22 वर्ष) की मौत हो गई। दिनेश की मां लछन बाई बिलखते हुए सवाल कर रही है, बिन मां के बच्चों की परवरिस कौन करेगा, बेटी शादी होकर चली जाएगी। पता नहीं मेरी आंख कब बंद हो जाए, क्या मुख्यमंत्री इन बच्चों को उनकी मां वापस दिला पाएंगे, क्या वे परवरिस की जिम्मेदारी लेंगे। एक मां का श्राप है कि इसके जिम्मेदार कभी सुखी नहीं रहेंगे। उसने मामले के दोçष्ायों को सख्त सजा देने की मांग की है। राष्ट्रीय कार्यक्रम में बरती गई लापरवाही ने न सिर्फ एक दर्जन जिंदगियों को लील लिया, बल्कि कई दूधमुंहे और मासूम बच्चों के सिर से मां का आंचल छीन लिया।
सबकी एक ही मांग है कि जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उधर चिंता इस बात की भी है कि अब बिना मां के मासूमों का लालन-पालन कैसे होगा। शहर से लगे ग्राम लोखंडी में दिनेश पटेल के यहां दो माह पहले ही एक बेटे का जन्म हुआ। परिवार में खुशी का माहौल था। इस बीच मंगलवार को दिनेश की पत्नी दुलौरिन (22 वर्ष) की मौत से माहौल गमगीन हो गया। बुधवार की सुबह जब सरकारी वाहन से शव घर के दरवाजे पर पहुंचा तो परिवार के लोग बिलख पड़े। सास लक्षन बाई और ननद भुवनेश्वरी व परिवार के अन्य लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था। चार साल का बेटा सूर्यकांत अपनी मां को उठाने की कोशिश करने लगा। भला मां कैसे उठती, वह भी रोने लगा। दो माह के भतीजे को कांधे पर लिए बुआ भुवनेश्वरी ने शांत किया।
मजदूरी करके करते थे पालन-पोषण
दिनेश की मां लक्षन बाई ने बताया कि दिनेश और दुलौरिन रोजी मजदूरी करके परिवार का पालन पोष्ाण करते थे। गांव की मितानिन के कहने पर दुलौरिन नसबंदी के लिए तैयार हो गई। बहू के कहने पर वह और उसका बेटा भी तैयार हो गए, उन्हें क्या पता था कि घर से सही सलामत गई दुलौरिन की लाश वापस आएगी।

No comments:

Post a Comment