Wednesday, November 12, 2014

अभी जिंदा है मां, मुझे कुछ भी नहीं होगा

अभी जिंदा है मां, मुझे कुछ भी नहीं होगा


बिलासपुर (निप्र)। ''अभी जिंदा है मां, मुझे कुछ भी नहीं होगा। मैं घर से निकलता हूं तो दुआ भी साथ चलती है...'' कवि मुनव्वर राणा की यह पंक्ति पांच माह के उस रोशन के जीवन में चरितार्थ हो रही है, जिसकी मां नसबंदी कराने के बाद सिम्स के मेडिकल वार्ड में अपने बच्चे की खातिर जिंदगी के लिए मौत से संघर्ष कर रही है।
पेंडारी के शिविर में ग्राम डिघोरा की रामेश्वरी ने भी नसबंदी कराई थी। अन्य महिलाओं की तरह उसकी भी तबीयत बिगड़ी तो उसे भी सिम्स में लाकर भर्ती करा दिया गया। उसके पांच माह के लाडले रोशन को उसका ससुर संभाल रहा है। बुधवार को रोशन को उसका दादागोद में लिए बॉटल से दूध पीला रहा था। दादा की गोद में यह नन्हा कभी अठखेलियां करता तो मुस्कान भरता। फिर एक ही क्षण में मां को याद कर रोने लगता था। सिम्स के बाहर रोशन ही एकमात्र संतान नहीं है, जो अपनी की जिंदगी की दुआएं कर रहा है। उसके जैसे दो दर्जन से अधिक बच्चे हैं, जो परिजनों की गोद में हंसते, खेलते और रोते हुए सिर्फ अपनी मां का ही इंतजार कर रहे हैं।
जन्मोत्सव में लाई और किस्मत ही फूट गई
कबीरधाम जिले के घुघरी में रहने वाली रीना पटेल पति दलीचंद का इलाज सिम्स के मेडिकल वार्ड में चल रहा है। वह अपने भाई के बेटे के जन्मोत्सव में मायकाभिलौनी आई थी। अस्पताल के बाहर बैठी रीना की मां गनेशिया बाई ने बताया कि यहां आने पर उसे नसबंदी शिविर का पता चला तो उसने भी नसबंदी करा ली। इसके बाद तबीयत खराब होने के बाद उसे पहले जिला अस्पताल और फिर सिम्स में भर्ती कराया गया। इतना कहते ही मां गनेशिया की आंखें भर आईं और रुंधे गले से कहा कि काश... वह जन्मोत्सव पर नहीं आई होती तो यह हाल नहीं होता।
ऐसी आफत दुश्मन के घर भी न आए
ग्राम गतौरी की राजकुमारी पति प्रताप सिंह नेताम सिम्स के आईसीयू में भर्ती है। वह अपनी मायके ग्राम मोछ से नसबंदी कराने पहुंची थी। तीन बच्चों में से सबसे छोटा दो महीने का ही है, जो अपनी नानी के साथ घर में है। वार्ड के बाहर उसके मायके व ससुराल से आए परिजन पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। राजकुमारी के जेठ हरण सिंह ने कहा कि ऐसी आफत दुश्मन के घर भी न आए।
बेटी की तकलीफ सुन कैसे रह जाती
सकरी-बंधवापारा की शकुन पति शत्रुहन केंवट को गांव की मितानिन नसबंदी के लिए लेकर गई थी। घर आने के बाद तबीयत खराब होने लगी। ऐसे में पहले उसे जिला अस्पताल फिर सिम्स में भर्ती कराया गया। शकुन का एक पुत्र और एक पुत्री है। बुधवार दोपहर वार्ड के बाहर शकुन की मां सुशीला उसकी छोटी बच्ची आकांक्षा को लेकर बैठी हुई थी। दामाद से जैसे ही जानकारी मिली, मैं सीधे सिम्स आ गई। आखिर मां हूं, बेटी की तकलीफ सुनकर कैसे दूर रहती।
भगवान मेरी बहन को बचा ले..
मउहारपारा निरतू की राखी पटेल पति संजय पटेल का इलाज सिम्स में जारी है। उसके तीन बच्चे हैं। सबसे छोटी हर्षिता को उसकी बड़ी मां गोद में लेकर बहला रही है। उसने बताया कि बहन राखी को गांव की मितानिन बिना किसी को बताए शिविर में ले गई थी। अब वहां डॉक्टरों ने पता नहीं कैसा इलाज किया, तबीयत इतनी खराब हो गई। अब भगवान से यही प्रार्थना है कि मेरी बहन बच जाए।

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