Monday, December 29, 2014

मोदी के विकास का अडानी मॉडल ,सफलताओ की सीढ़ी चढ़ते और बेशुमार दौलत के आसामी अडानी का गहरा राज

मोदी के विकास का अडानी मॉडल ,सफलताओ  की सीढ़ी  चढ़ते और बेशुमार दौलत के आसामी अडानी का गहरा राज 










गुजरात  के बाद  छत्तीसगढ  को लूटने की  तैयारी ने लगे अडानी समूह के कई कारनामे सरे देश में पहले से ही उजागर हो रहे हैं मात्र कुछ सौ  रुपये लेकर डायमंड की छटनी  की नौकरी से शुरुवात करने  वाले अडानी आज भारत के सबसे बड़े अमीर लोगो में से एक हैं ,जिसे अंतराष्ट्रीय पत्रिका फोब्स  ने भारत का सबसे बड़ा 11 वां  अमीर  घोषित किया हैं ,अडानी आज 42000  करोड़ की व्यक्तिगत समपत्ति के  मालिक  ऐसे ही नहीं बन गए हैं ,इसके साथ वे बंदरगाह ,विद्युत उत्पादन ,कोयला माइनिंग ,ब्यापार ,तेल और गैस जैसे 50 कम्पनियो  के मालिक है,अडानी की सफलता का सबसे  बड़ा पड़ाव 2002  था ,जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बने ही थे ,इसके बाद अडानी की कम्पनी  की 12  साल में कमाई 20  गुना बढ़ गई। 

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के 6 महीने में ही उनके शेयर भाव 2.5  गुना बढ़ गए हैं ,ये कोई चमत्कार नहीं है बल्कि मोदी रड़नी के रिश्ते का परिणाम ही हैं ,इन रिश्ते को मिडिया ने भी  खूब उजागर किया हैं ,मोदी के चुनाव प्रचार  में अडानी की भूमिका सर्व विदित है ,मोदी ने इनके ही निजी हवाई जहाज में पूरा चुनाव प्रचार  किया था ,और वे मोदी के हर विदेशी देशी दौरे में मोदी के ही साथ दिखी देते हैं। अडानी  मिडिया को बताया था कि  सभी राजनैतिक दको के नेताओ और प्राशासनिक  अधिकारियो के साथ उनके गहरे सम्बन्ध है लेकिन मोदी के साथ उनकी गहरी दोस्ती विशिष्ट हैं। 

ओधोगिक तरक्की का अडानी मॉडल 

अडानी ने पूरे  देश में अवैध  तरीके से बहुत कम  क़ीमत  में जमींन  कब्जाई  है 2002  के  बाद  लगभग 70  गुना से भी अधिक जमींन  की बढ़ोतरी हुई हैं , आज वो करीब दो लाख एकड़ जमीन  के मालिक हैं ,जिसमे अधिकांस जमीन  बाजार मूल्य से बहुत कम  में ली गई हैं।  कही एक रुपये  एकड़  तो कही तीन रुपये  एकड़ के दाम  में। मुंद्रा बंदरगाह के लिए 35 -40  किलोमीटर  लम्बी तटीय जमींन  [ जो मुंबई शहर के बराबर  हें] मात्र 33 करोड़ में मिली जब की सरकारी कीमत [ रिकॉर्ड ] ही उसकी 3000 करोड़ थी ,
अपने प्रोजेक्ट के लिए 45 हजार एकड़ जमीन  उसे सिर्फ 1  से 16  रुपये  वर्ग फ़ीट की दर  से देदी गई ,इसी जमीन  को अडानी ने दुबारा इंडियन ऑइल  जैसी सरकारी कंपनी  को 600 रुपये  वर्ग फ़ीट में बेच दिया।  ऐसे ही मुंद्रा के लिया उसने गोचर की जमींन  को बिना ग्राम सभा को बताये कब्ज़ा कर  लिया। 

सरकारी मिलीभगत से साऱी  स्वीकृति  मिलना आसान ही था

अडानी हमेशा राजनेताओ सरकारी अधिकारियो के साथ ही दिखाई देते हैं और रिटायर्ड आईपीएस ,आईएएस या सार्वजानिक क्षेत्र के अधिाकरियो को भरी वेतन पे अपने यहाँ नौकरी  पे रखने का खेल बहुत पुराना  है ,ये अधिाकारी  विभिन्न  विभागों से स्वीकृतिया  आसानी से पास करवा लेते हैं ,अधिाकारी  और वरिष्ठ नेताओ के दबाब का स्तेमाल किया ही जाता हैं ,झूटी ग्रामसभा फर्जी जन सुनवाई के आधार पे प्रोजेक्ट  को पास करवाते समय या तो स्थानीय प्रशाशन चुप रहता है या दलाली की भूमिका अदा करता हैं ,पुलिस प्रशाशन से साथ मिल के इन सार्वजनिक सभाओ के समय आतंक का महो बना के वाजिब भूमि मालिको की आवाज़ को बुरी तरह दबा दिया जाता हैं। उदहारण के लिए छत्तीसगढ़  के नो -गो  हसदेव अरण्य  क्षेत्र  में जहां 16  से अधिक कोयला खदान आवंटित थी ,जिसका पर्यावरण मंत्रालय  लगातार  विरोध कर  रहा  था , में अडानी को तीन कोयला खदान परसा ईस्ट ,केते बासन का मायनिंग लायसेंस और परसा  ब्लॉक का प्रोस्पेक्टिंग लायसेंस मिल गया जब की दूसरी कम्पनियाँ देखती रह गई। 
परसा ईस्ट  केते बासन खदान जो राजस्थान राज्य विद्युत निगम को मिली थी उसके कांग्रेस की गहलोत सरकार ने 74 प्रतिशत शेयर  अडानी को देके गैरकानूनी रूप से मालिक बन दिया। छत्तीसगढ  सरकार ने भी परसा  कोयला खदान को छत्तीसगढ़ पॉवर जनरेशन कंपनी को आवंटित थी उसे अडानी के साथ जॉइंट वेंचर  बना के अडानी को लाभ पंहुचा के उसे इसका मालिक बना दिया। 
आसान  शर्तो पे भारी  क़र्ज़ , वो भी सार्वजनिक बेंको से ,

अडानी ग्रुप पे करीब 75 हजार करोड़ का क़र्ज़ बकाया है ,इसमें बहुत बड़ी मात्रा  सरकारी बेंको का क़र्ज़  हैं ,इस विशाल क़र्ज़ का अनुमान आप इसी से लगा  सकते है की यह पुरे देश में मनरेगा  के सालाना बजट 33000  करोड़ से दुगना से भी ज्यादा  हैं, जिसके लिया हाल  ही में केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट में कटौत्री का जिक्र  किया और छत्तीसगढ़  के वित्ती हालत का हवाला देते हुए वेतन भुगतान तक रोक दिया। अडानी का इन्ट्रेस्ट रेशो मात्र 1. 2  ही है ,यह बैंक लोन के लिया सबसे बड़ा मापदंड होता है  सामान्यतौर पर 1 . 5  से कम  पे लोन नहीं दिया जाता हैं ,इसी के चलते अडानी को आस्ट्रेलिया ने नई कोयला खदान के लिए लोन देने से मना  कर दिया था ,परन्तु मोदी के साथ आस्ट्रेलियादौरे पे गए अडानी की भारत की सबसे बड़ी सरकारी स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया ने 6000  करोड़ का ने लोन घोषित कर दिया ,

टैक्स चोरी तो सभी उद्योगपतियों का सबसे प्रिय शगल  रहा है तो अडानी को भी 31 मार्च 2014 तक 750 करोड़ से अधिक टैक्स चोरी के मामले लंबित थे ,गौतम अडानी के भाई राजेश अडानी  को 2010 में गिरफ्तार  किया गया था ,
अपने भाई राजेश अडानी सहित गौतम  अडानी 5 ,25 करोड़ के सालाना वेतन लेने वाले ये बधु अपने कजदूरो 

मुआवज़ा पुनर्वास  में भी घपला 

जहा जहा भी इनलोगो ने जमींन  ली है वहा  के लोग आज तक मुआवज़ा और पुनर्वास पैकेज के लिए भटक  रहे  है ,छत्तीसगढ़ के केते गॉव  के लोगो को मायनिंग के लगभग  दो साल बाद  भी पुनर्वास के लिए भटकना पड  रहा हैं ,जो कॉल मायनिंग के पहले ही दिया जाना था , मुश्किल ये भी है की पुनर्वास के लिए निर्धारित गॉव  खुद कोयला क्षेत्र  में है ,जहा से दुबारा विस्थापन की पूरी संभावना हैं  खनन के पहले दिया गया आश्वासन की वे नौकरी ,स्कूल ,अस्पताल ,बिजली पानी देंगे मुनका दूर दूर तक कोई सम्भावना नहीं दिखती ,. 


पर्यावरणीय  प्रभाव और स्थानीय आदिवासी  समुदाय  पे खतरा 

मुंद्रा बंदरगाह के लिए बने कोस्टल रेगुलेशन नियमो के विरुद्द बड़े पैमाने पे मैंग्रोव [ सदाबहार ]जंगल को काटा  गया जिसमे अतिसंवेदन शील क्षेत्र  में जैव विविधता का नाश हुआ हैं।  मुंद्रा बंदरगाह में सही तरीके से सफाई किये बिना गंदे पानी को समुंद्र  में छोडा  गया ,जिससे तटीय  क्षेत्र  में भारी  नुकसान  हुआ,और मछलिया  भी मरी गई और गरीब मछुआरों  की आजीविका प्रभावित हुई ,परियोजना में भूमि प्रदुषण के सुरक्षा प्रावधानों को नजरअंदाज किया गया ,जिससे मिटटी में समुद्री खारा  पानी का प्रवेश हुआ ,और भूमि का उपजाऊपन  खत्म हुआ,बिना पर्यावरणीय मंजूरी के मुंद्रा में काम शुरू किया गया ,जिसे गुजरात उच्च न्यायलय और सर्वोच्च न्यायलय ने गलत ठहराया ,लेकिन मोदी की सरकार आने के बाद अब विलम्ब से इसे स्वीकृति दे दी गई।  
2007  में अडानी ने महाराष्ट्र  के चन्द्रपारा में कोयला खदान ख़रीदा जिससे ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व पर भारी दुधप्रभाव होंगे और 40  से अधिक दुर्लभ टायगर  को खतरा है। छिन्दरा ने पिछले 10  सालो  से गरीब मजदुर किसान और आदिवासी गैरकानूनी बिजली उत्पादन सयंत्र तथा पानी के डायवर्सन के खिलाफ संघर्ष शील हैं ,आंदोलन कुचलने के लिए गॉव में अडानी के गुंडों ने हमला किया। ऑस्ट्रेलिया में भी कार्मिकैल कोयला माइन से विश्व स्तर पे महवपूर्ण ग्रेट बरियेव रीफ  को नुकसान पहुंचेगा ,जिससे कई दुर्लभ प्रजातियाँ  विलुप्त हो जाएँगी। इसके विरोध में कई स्थानीय और बाहरी लोगो ने संघर्ष शुरू किया हैं यही हाल  छत्तीसगढ  में परसा  केते वसन खदान में गन्दा पानी सीधे नदी तालाब में घुस रहा  हैं जिससे पुरे क्षेत्र का पानी दूषित हो गया हैं। 

अडानी ऐसे ही गुजरात के बाद छत्तीसगढ़ में ओधोगिक माहोल बिलकुल उनके मुताबिक ही है , खास कर कोयला खदान पे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अध्यादेश और भूमि अधिग्रहण  बिल के खिलाफ नए अध्यादेश ने उसका रास्ता और आसान  हैं ,

[ उपरोक्त जानकारी  विभिन्न स्रोतों से ली गई है जिसमे आउटलुक ,इकनॉमिक्स टाइम्स ,इंडियन एक्सप्रेस ,टाइम्स ऑफ़ इण्डिया ,गुलेल बेबसाइट  आदि से तथ्य लिया गये  है ,इसे पर्चे के रूप में छत्तीसगढ़  बचाओ आंदोलन के सम्मलेन में बांटा  गया हैं ],  ,






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