Monday, December 29, 2014

कार्पोरेट के लिये एक और बड़ा फैसला ,कोयला खदानो की नीलामी [ अध्यादेश ] के बाद भूमि अधिग्रहण पे भी अध्यादेश मंत्रिमंडल ने मंजूर किया ,एक के बाद एक जन विरोधी आध्यादेश .

कार्पोरेट के लिये एक और बड़ा फैसला ,कोयला खदानो की नीलामी [ अध्यादेश ] के बाद भूमि अधिग्रहण पे भी अध्यादेश मंत्रिमंडल ने मंजूर किया ,एक के बाद एक जन विरोधी आध्यादेश .





अभी अभी केन्द्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ एक  आध्यादेश की स्वीकृति दी है , इसमे पांच स्थितियो मे किसी भी प्रकार की  किसी से भी कन्सेण्ट नहीं ली जायेगी ,अर्थात ग्रामसभा ,ग्राम पंचायत,किसी भी विभाग यथा पर्यावरण विभाग  जन जाति विभाग या राज्य सरकार से भी अनुमती नहीं मांगी जायेगी ,यानी बिना जनसुनवाई ,पर्यावरण असिसमेंट रिपोर्ट के जमीन का अधिग्रहण कर लिया जायेगा , इन पांच स्थितियो मे सबसे महत्वपूर्ण है इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और या ऐसी जमीन किसकी मालिकी सरकार के पास होगी ,यानी जो जमीन सरका रपने लिये लेगी उसके लिये भी किसी से अनुमती नहीं ली जायेगी , पहले 80 प्रतिशत जमीन मालिको की अविकृति की जरूरत थी अब य्दी 100 पेअटिशत लोग भी जमीन लेने के खिलाफ हो तो भी जमीन ली जा सकती हैं , वैसे तो सेना के लिये और भवन के लिये भी इन सबकी कोई जरूरत नहीं हैं .
सिर्फ याद दिलाने के लिये क़ी पिछले भूमि अधिग्रहण बिल को संसद मे  सर्वसम्मति से पास क्या गया था जिसमे भाजपा भी शामिल थी ,  भूमि अधिग्रहण बिल भी आदिवासियो और जन संघटनो के बड़े संघर्षो के बाद बन पाया गया था , ऐसे ही श्रॅम कानूनो मे बदलाव ,पेसा कानून , वनाधिकार कानून जैसे कानून पे बदलाव करने क़ी तैयारी क़ी जा रही हैं , ये सारे कानून कार्पोरेट क़ी एक तरफा लूट को कुछ हद तक रोकने का काम करते थे , अब जैसे कोयला खदानो को सुप्रीमकोर्ट ने निजी उद्योगो क़ी लूट से बचाया था, उसे ऐसे ही एक आध्यादेश ने दुबारा लूट के लिये खोल दिया , 

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