क़ुर्बानी की निंदा पर पत्रकार पर मुक़दमा
- 27 दिसंबर 2014
मिस्र की जानी मानी पत्रकार और कवयित्री फ़ातिमा नाउत पर क़ुर्बानी की आलोचना के लिए मुक़दमा चलाया जाएगा.
फ़ातिमा पर आरोप है कि उन्होंने भेड़ की क़ुर्बानी की आलोचना कर इस्लाम धर्म का अनादर किया है.
बताया जाता है कि नाउत ने मुसलमानों के त्यौहार ईद-उल-अज़हा(जिसमें जानवरों की क़ुर्बानी दी जाती है) पर जानवरों की बलि दिए जाने की परंपरा को इंसान के हाथों अब तक का सबसे बड़ा संहार बताया है.
बुरा सपना
फ़ातिमा नाउत मिस्र में समाज के भीतर मौजूद वर्जनाओं पर अक्सर प्रहार करती रहती है.
पिछले साल एक टीवी कार्यक्रम में उऩ्होंने कहा था कि अरब क़ब्ज़े के बाद मिस्र के लोगों पर अरबी भाषा ज़बरदस्ती लाद दी गई.
इसके बाद फ़ेसबुक पर जब उन्होंने भेड़ की कुर्बानी की निंदा की तो उनके नाम से एक और विवाद जुड़ गया.
फ़ातिमा का कहना था कि भेड़ की कुर्बानी इसलिए दी गई क्योंकि, क़ुरान और बाइबिल में दिए गए अब्राहम और इस्हाक़ की कहानी के अनुसार, एक पिता ने अपने बेटे के बारे में बुरा सपना देख लिया था.
'स्वीकार और खंडन'
स्थानीय मीडिया का कहना है कि फ़ातिमा ने अपने फ़ेसबुक पेज पर इस संदर्भ में की गई टिप्पणी की बात स्वीकार तो की है लेकिन इस बात का खंडन किया है कि ऐसा कर उन्होंने इस्लाम का अपमान किया है.
मिस्र में इस्लाम का अनादर करना एक अपराध है और इसके लिए पांच साल की जेल हो सकती है.
दुनिया भर में मुसलमान ईद-उल-अज़हा के दिन जानवरों की क़ुर्बानी देते हैं.
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