स्वास्थ्य सेवाएं बदतर, डॉक्टर के इंतजार में नहीं उठी अर्थी
- मुख्यालय में ही रहकर सेवाएं दें डॉक्टर
- झोलाछाप डॉक्टर कर रहे कैंसर का इल
- बजट बढ़ने के बाद भी जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में नहीं हो रहा सुधारअगले पांच साल में होगी 15 हजार डॉक्टरों की
- पहले से था टोटा, तीन अन्य को बाहर भेजा
पिनाकी रंजन दास, दंतेवाड़ा। चिकित्सकों के अभाव में दक्षिण बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति इस कदर बदतर हो चुकी है कि मरीजों के साथ मुर्दो को भी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
ताजा मामला बीजापुर विधायक महेश गागड़ा के गृहनगर भैरमगढ़ का है। जहां तालाब में डुबने से एक महिला की मौत के 24 घंटे बाद उसकी अर्थी को कं धे उस वक्त तक नसीब नहीं हुए, जब तक महिला के शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। चूंकि पीएम के लिए विधायक के गृहनगर में डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं थे।
शुक्रवार को भैरमगढ़ के छिंदभाटा में सुखमती नामक एक महिला की तालाब में डुबने से मौत हो गई थी। हादसा सुबह लगभग साढ़े 10 बजे हुआ था। खबर लगते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची थी। आधे घंटे के भीतर महिला का शव बरामद कर लिया गया था। पंचनामा के बाद अब बारी थी पोस्टमार्टम की, लेकिन उस वक्त भैरमगढ़ सामुदायिक अस्पताल में कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था।
बताया गया है कि ब्लाक में एकलौते एमबीबीएस डॉक्टर को बीएमओ का प्रभार है। किसी कार्यवश वे मुख्यालय से बाहर है। गैर मौजूदगी में भैरमगढ़ सीएचसी के मरीज दो आयुर्वेद डॉक्टर और एक आरएमए के भरोसे है।
इस प्रकार प्रभारी बीएमओ को छोड़कर पीएम के लिए अन्य कोई डॉक्टर ब्लाक में उपलब्ध नहीं है, लिहाजा शुक्रवार को वायरलेस पर इसकी सूचना बीजापुर सीएमएचओ डॉ पुजारी तक पहुंचाई गई। शुक्रवार का पूरा दिन इंतजार में बीत गया, लेकिन कोई भी डॉक्टर नहीं पहुंचा। शनिवार को महिला का शव उसके घर के आंगन में अर्थी पर रखा हुआ था।
परिजन अर्थी के पास क्रंदन कर रहे थे। इस तरह सुबह के लगभग साढ़े 10 बज चुके थे, उस वक्त तक हादसे को चौबीस घंटे बीत चुके थे। इसके बाद भी पीएम के लिए डॉक्टर नहीं पहुंचे। चूंकि हादसे को चौबीस घंटे बीत चुके थे। ऐसे में पीएम में देरी से शव से दुर्गंध भी उठनी शुरू हो गई थी।
शोकाकुल परिजनों को भी डॉक्टर का इंतजार उन पर दुखों का पहाड़ जैसा महसूस होने लगा था। संवेदना प्रकट कर रहे लोग विधायक के गृहनगर में स्वास्थ्य सेवाओं की बुरी स्थिति के लिए सीधे सरकार को दोष देते दिखे। अस्पताल की बदहाली से लेकर क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को दयनीय बताते वे थक नहीं रहे थे। इस तरह दोपहर के लगभग दो बजे थे, अंततः डॉक्टर के पहुंचने के पश्चात् करीब ढाई बजे शव का पोस्टमार्टम मुमकिन हुआ। तब कही जाकर अर्थी को कंधे नसीब हुए।
---
No comments:
Post a Comment