गोल्डन रिफैक्ट्रीज का उत्पादन बंद
Factories stop producing Golden Rims
10/17/2014 7:11:16 AM
रायगढ़। पर्यावरण विभाग की टीम ने गोल्डन रिफैक्ट्रीज में कार्रवाई करते हुए उसके उत्पादन को बंद करवा दिया है। विदित हो कि इस फैक्ट्री में 'ाट्र्ज पत्थर की पिसाई की जाती है। ऎसे में पर्यावरण विभाग की जांच के दौरान यह पाया गया कि वहां पर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा था।
इसके अलावा जहां वर्किग जोन था वहां डस्ट की मात्रा भी काफी ज्यादा था। वहीं वर्किग जोन में वेंटिलेशन की भी व्यवस्था नहीं थी। सबसे खास बात यह थी कि वहां पर लगा हुआ फिल्टर भी खराब था। इसे देखते हुए पर्यावरण विभाग ने फैक्ट्री में उत्पादन को बंद करवा दिया है।
विदित हो कि सराईपाली व आस-पास के गांव में मजदूरों के बीच फैल रहे टीबी और उनकी हालत की स्थिति पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। ऎसे में खुद मजदूरों ने बताया था कि उन्हें टीबी की बीमारी फैक्ट्री में काम करने के कारण हो रही थी।
इसका कारण वहां सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होना और अत्यधिक डस्ट को बताया जा रहा था। राजरोग के कहर से जूझता यह क्षेत्र सराईपाली का है। जो जानकारी सामने आ रही है उसे अनुसार इस क्षेत्र में टीबी से अबतक छह लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि दर्जन भर से ज्यादा लोग पीडित हैं।
हैरानी इस बात की है कि स्वास्थ्य अमले को इस विषय में कोई जानकारी नहीं है। जब क्षेत्र के बीएमओ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि क्षेत्र में टीबी का प्रभाव तो हैं लेकिन कौन-कौन और किस गांव में इसका प्रभाव है यह वह नहीं बता सकते हैं। वहीं मजदूर भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि उस फैक्ट्री में काम करने वाले अधिकांश टीबी से पीडित हैं।
उठाया था मामला
सराई पाली सहित आसपास के गांवों में टूटते राज रोग के कहर के मामले को पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। इसके बाद पर्यावरण विभाग की ओर से इस फैक्ट्री में जांच की गई और अनियमितताओं को देख उसे बंद करवाया गया है। ऎसे में जितने भी टीबी से प्रभावित हैं वह गोल्डन रिफेक्ट्रिज में काम करते थे। पीडितों ने बताया कि यहां बाहर से भी कई लोग कार्य करते थे। उन्हें भी टीबी हुआ। ऎसे में वो लोग काम छोड़कर चले गए।
गोल्डन रिफेक्ट्रीज की जांच की गई है। ऎसे में वहां कई अनियमितताएं पाई गई है। उस फैक्ट्री में काफी मात्रा में डस्ट पाई गई, कोई वेंटिलेशन नहीं था इसके अलावा जो फिल्टर लगा था वह भी खराब था। इसे देखते हुए उस फैक्ट्री के उत्पादन को बंद करवा दिया गया है। यह मामला टीबी से जुड़ा है या नहीं मैं यह नहीं बता सकता। आरके शर्मा, पर्यावरण अधिकारी
इसके अलावा जहां वर्किग जोन था वहां डस्ट की मात्रा भी काफी ज्यादा था। वहीं वर्किग जोन में वेंटिलेशन की भी व्यवस्था नहीं थी। सबसे खास बात यह थी कि वहां पर लगा हुआ फिल्टर भी खराब था। इसे देखते हुए पर्यावरण विभाग ने फैक्ट्री में उत्पादन को बंद करवा दिया है।
विदित हो कि सराईपाली व आस-पास के गांव में मजदूरों के बीच फैल रहे टीबी और उनकी हालत की स्थिति पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। ऎसे में खुद मजदूरों ने बताया था कि उन्हें टीबी की बीमारी फैक्ट्री में काम करने के कारण हो रही थी।
इसका कारण वहां सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होना और अत्यधिक डस्ट को बताया जा रहा था। राजरोग के कहर से जूझता यह क्षेत्र सराईपाली का है। जो जानकारी सामने आ रही है उसे अनुसार इस क्षेत्र में टीबी से अबतक छह लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि दर्जन भर से ज्यादा लोग पीडित हैं।
हैरानी इस बात की है कि स्वास्थ्य अमले को इस विषय में कोई जानकारी नहीं है। जब क्षेत्र के बीएमओ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि क्षेत्र में टीबी का प्रभाव तो हैं लेकिन कौन-कौन और किस गांव में इसका प्रभाव है यह वह नहीं बता सकते हैं। वहीं मजदूर भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि उस फैक्ट्री में काम करने वाले अधिकांश टीबी से पीडित हैं।
उठाया था मामला
सराई पाली सहित आसपास के गांवों में टूटते राज रोग के कहर के मामले को पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। इसके बाद पर्यावरण विभाग की ओर से इस फैक्ट्री में जांच की गई और अनियमितताओं को देख उसे बंद करवाया गया है। ऎसे में जितने भी टीबी से प्रभावित हैं वह गोल्डन रिफेक्ट्रिज में काम करते थे। पीडितों ने बताया कि यहां बाहर से भी कई लोग कार्य करते थे। उन्हें भी टीबी हुआ। ऎसे में वो लोग काम छोड़कर चले गए।
गोल्डन रिफेक्ट्रीज की जांच की गई है। ऎसे में वहां कई अनियमितताएं पाई गई है। उस फैक्ट्री में काफी मात्रा में डस्ट पाई गई, कोई वेंटिलेशन नहीं था इसके अलावा जो फिल्टर लगा था वह भी खराब था। इसे देखते हुए उस फैक्ट्री के उत्पादन को बंद करवा दिया गया है। यह मामला टीबी से जुड़ा है या नहीं मैं यह नहीं बता सकता। आरके शर्मा, पर्यावरण अधिकारी
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