कोयले पर चीन से सबक ले भारत: ग्रीनपीस
नवभारत टाइम्स
वरिष्ठ संवाददाता॥ नई दिल्ली
पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस ने भारत सरकार से कहा है कि वह भी चीन की तरह कोयले के इस्तेमाल में कमी लाए और हर साल लाखों लोगों को प्रदूषण के कारण मरने से बचाए। गौरतलब है कि चीन ने गुरुवार को पेइचिंग, शंगहाइ और गुवांगडोंग में कोयले के इस्तेमाल में एक तिहाई की कमी लाने का फैसला किया। इन इलाकों में बिजली पैदा करने में कोयले का काफी प्रयोग किया जाता है।
एक अनुमान के मुताबिक, चीन में कोयला आधारित बिजलीघरों से पैदा होने वाले प्रदूषण के कारण 2011 में करीब 12 लाख लोगों की मौत हो गई। इसे देखते हुए ही चीन सरकार ने कोयले के इस्तेमाल में कमी लाने का फैसला किया है। वहां कार्बन डाई ऑक्साइड की करीब 80 फीसदी मात्रा के लिए कोयले का जलाया जाना जिम्मेदार है।
ग्रीनपीस का कहना है कि भारत को चीन से सबक लेना चाहिए। यहां भी चीन जैसे ही हालात हैं। ग्रीनपीस की एक स्टडी में कहा गया है कि भारत में कोयले से चलने वाले बिजलीघरों से पैदा होने वाले प्रदूषण से हर साल कम से कम एक लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसके साथ ही बड़ी तादाद में लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। भारत में 60 फीसदी कोयले का इस्तेमाल पावर प्लांट्स में होता है।
चीन का मानना है कि उसकी ओर से तीन क्षेत्रों में कोयले के इस्तेमाल में की गई कमी से कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में हर साल 20 से 30 करोड़ टन की कमी आ जाएगी। ग्रीनपीस ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि भारत में हवा की क्वॉलिटी चीन के मुकाबले 20 गुना ज्यादा खराब है। खासतौर से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह काफी खराब पाई गई है।
पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस ने भारत सरकार से कहा है कि वह भी चीन की तरह कोयले के इस्तेमाल में कमी लाए और हर साल लाखों लोगों को प्रदूषण के कारण मरने से बचाए। गौरतलब है कि चीन ने गुरुवार को पेइचिंग, शंगहाइ और गुवांगडोंग में कोयले के इस्तेमाल में एक तिहाई की कमी लाने का फैसला किया। इन इलाकों में बिजली पैदा करने में कोयले का काफी प्रयोग किया जाता है।
एक अनुमान के मुताबिक, चीन में कोयला आधारित बिजलीघरों से पैदा होने वाले प्रदूषण के कारण 2011 में करीब 12 लाख लोगों की मौत हो गई। इसे देखते हुए ही चीन सरकार ने कोयले के इस्तेमाल में कमी लाने का फैसला किया है। वहां कार्बन डाई ऑक्साइड की करीब 80 फीसदी मात्रा के लिए कोयले का जलाया जाना जिम्मेदार है।
चीन का मानना है कि उसकी ओर से तीन क्षेत्रों में कोयले के इस्तेमाल में की गई कमी से कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में हर साल 20 से 30 करोड़ टन की कमी आ जाएगी। ग्रीनपीस ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि भारत में हवा की क्वॉलिटी चीन के मुकाबले 20 गुना ज्यादा खराब है। खासतौर से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह काफी खराब पाई गई है।
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