किसानों में निराशा,लाखों क्विंटल धान होगा जाम
Farmers disappointment, millions will jam quintals of paddy
10/12/2014 1:43:14 AM
रायगढ़। प्रदेश सरकार के लिए निर्घारित मात्रा में धान खरीदी के बाद जिले के 60 हजार किसानों का 12 लाख क्विंटल धान किसानों के पास ही जाम हो जाएगा। राज्य शासन के निर्णय के अनुसार प्रत्येक किसानों से करीब 5 से 7 क्विंटल धान कम खरीदने का निर्णय लिया गया है। इधर किसानों की माने तो प्रति एकड़ करीब 15 से 17 क्विंटल धान का उत्पादन होता है।
जबकि राज्य शासन ने प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीदने का निर्णय लिया है। इस हिसाब से 5 से 7 क्विंटल धान किसानों के पास जाम हो जाएगा। जिले में करीब 60 हजार किसानों को पंजीयन के लिए फार्म दिया गया है। इसमें से 52 हजार किसानों ने फार्म जमा कर दिया है। इस हिसाब से देखा जाए तो जिले में करीब 12 लाख 51 हजार 775 क्विंटल धान किसानों के पास ही जाम हो जाएगा। किसान इसे विक्रय नहीं कर पाएंगे। शासन के इस निर्णय को लेकर जिले के किसान काफी चिंतित हैं।
जिले में करीब डेढ़ लाख किसान हैं, लेकिन हर साल समर्थन मूल्य में करीब 60 हजार किसान ही धान का विक्रय करते हैं। इसके बाद भी उक्त किसानों के धान को खरीदने में शासन आना-कानी करते हुए इस प्रकार का निर्णय ले रही है। इसको लेकर किसानों के बीच काफी आक्रोश व्याप्त है।
इनको मिलेगा लाभ
जानकारों की माने तो किसानों का धान समर्थन मूल्य में नहीं बिकने पर बिचौलिए इसका लाभ उठाएंगे। ज्ञात हो कि कई कृषि भूमि शहर के बड़े-बड़े लोगों के नाम पर है। जिसमें खेती नहीं होती है। किसानों के पास धान बचने के बाद ऎसे किसान जो कि फसल लगाते ही नहीं है इनसे औने-पौने दामों में खरीदकर समर्थन मूल्य में विक्रय कर सकते हैं।
शुरू हो गई है तैयारी
सूत्र बताते हैं कि ऎसे किसान जिनके पास जमीन है और वे फसल नहीं लगाते हंै। ऎसे लोग भी पंजीयन कराने की तैयारी में हंै। ऎसे किसानों का पंजीयन होने के बाद या तो ये ओडिशा का धान खरीदकर यहां खपाएंगे या फिर आम किसान से बचे हुए धान की खरीदी कर खपाने का काम करेंगे।
किसानों का होगा नुकसान
शासन के इस नीति से आम किसानों का ही नुकसान हो रहा है। अधिकारी जहां किसानों के घर में उपयोग के लिए 5-7 क्विंटल धान छोड़ने की बात कर रहे हैं जबकि किसान रवि फसल का धान समर्थन मूल्य में नहीं बेचता है। इस धान को किसान घर में रखकर घरेलू उपयोग में लाने की बात कर रहे हैं।
मानक गलत नहीं
किसान अपने खाने और घरेलू उपयोग के लिए 5 से 7 क्विंटल धान जमा रखता है, इसलिए प्रति एकड़ 10 क्विंटल का मानक गलत नहीं है। इससे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से आने वाले बाहरी धान पर रोक भी लग सकेगा।
आरएस लहिमोर, जिला विपणन अधिकारी
जबकि राज्य शासन ने प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीदने का निर्णय लिया है। इस हिसाब से 5 से 7 क्विंटल धान किसानों के पास जाम हो जाएगा। जिले में करीब 60 हजार किसानों को पंजीयन के लिए फार्म दिया गया है। इसमें से 52 हजार किसानों ने फार्म जमा कर दिया है। इस हिसाब से देखा जाए तो जिले में करीब 12 लाख 51 हजार 775 क्विंटल धान किसानों के पास ही जाम हो जाएगा। किसान इसे विक्रय नहीं कर पाएंगे। शासन के इस निर्णय को लेकर जिले के किसान काफी चिंतित हैं।
जिले में करीब डेढ़ लाख किसान हैं, लेकिन हर साल समर्थन मूल्य में करीब 60 हजार किसान ही धान का विक्रय करते हैं। इसके बाद भी उक्त किसानों के धान को खरीदने में शासन आना-कानी करते हुए इस प्रकार का निर्णय ले रही है। इसको लेकर किसानों के बीच काफी आक्रोश व्याप्त है।
इनको मिलेगा लाभ
जानकारों की माने तो किसानों का धान समर्थन मूल्य में नहीं बिकने पर बिचौलिए इसका लाभ उठाएंगे। ज्ञात हो कि कई कृषि भूमि शहर के बड़े-बड़े लोगों के नाम पर है। जिसमें खेती नहीं होती है। किसानों के पास धान बचने के बाद ऎसे किसान जो कि फसल लगाते ही नहीं है इनसे औने-पौने दामों में खरीदकर समर्थन मूल्य में विक्रय कर सकते हैं।
शुरू हो गई है तैयारी
सूत्र बताते हैं कि ऎसे किसान जिनके पास जमीन है और वे फसल नहीं लगाते हंै। ऎसे लोग भी पंजीयन कराने की तैयारी में हंै। ऎसे किसानों का पंजीयन होने के बाद या तो ये ओडिशा का धान खरीदकर यहां खपाएंगे या फिर आम किसान से बचे हुए धान की खरीदी कर खपाने का काम करेंगे।
किसानों का होगा नुकसान
शासन के इस नीति से आम किसानों का ही नुकसान हो रहा है। अधिकारी जहां किसानों के घर में उपयोग के लिए 5-7 क्विंटल धान छोड़ने की बात कर रहे हैं जबकि किसान रवि फसल का धान समर्थन मूल्य में नहीं बेचता है। इस धान को किसान घर में रखकर घरेलू उपयोग में लाने की बात कर रहे हैं।
मानक गलत नहीं
किसान अपने खाने और घरेलू उपयोग के लिए 5 से 7 क्विंटल धान जमा रखता है, इसलिए प्रति एकड़ 10 क्विंटल का मानक गलत नहीं है। इससे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से आने वाले बाहरी धान पर रोक भी लग सकेगा।
आरएस लहिमोर, जिला विपणन अधिकारी
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