97 बच्चे कुपोषित इलाज का नहीं ठिकाना
No locus of malnourished children treated 97
10/11/2014 7:45:35 AM
जगदलपुर। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य परीक्षण में लगी अधूरी टीमों ने 97 कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया है। अब इन बच्चों को भर्ती करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास जगह तक नही हैं। जिले में चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ही कुपोषित बच्चों के लिए बिस्तर उपलब्ध है। यहां भी महज दस बिस्तर की ही सुविधा है। डॉक्टरों के मुताबिक इन बच्चों को कम से कम 15 दिनों तक भर्ती करने का प्रावधान है। इसके बाद ही एसे बच्चों को स्थिति में सुधार देखने के बाद डिस्चार्ज किया जाता है।
रिपोर्ट आए बीत गया सप्ताह
बच्चों के कुपोषण की पुष्टि एक सप्ताह पहले हो चुकी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 7156 बच्चों का परीक्षण किया गया है। जिसमें सबसे ज्यादा 97 बच्चे कुपोषण का शिकार बताए जा रहे हैं। ये सभी गंभीर हैं। अभी तक इनमें से आधे से ज्यादा को भर्ती नही कराया गया है। इसका एक बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि उनको भर्ती करने के लिए स्वास्थ्य विभाग असमंजस में फंसा हुआ है। फिलहाल अभी उसके पास कोई रास्ता नही हैं।
दरभा ब्लाक से अधिक कुपोषित
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य परीक्षण की टीम से जुड़े मेकॉज में 20 बेड़ कुपोषित बच्चों के लिए है। ये बेड भी अधिकांश तौर पर भरे रहते हैं। सूत्रों की माने तो अभी बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए बनाई गई चार सदस्यीय टीम अपना शत प्रतिशत योगदान नहीं दे पा रही है। जब सातों ब्लॉक में 14 टीम एक साथ काम करेगी। तब बच्चों को भर्ती करने के लिए बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। अभी जो टीम काम कर रही है वह स्कूलों को ही टारगेट कर रही है। 97कुपोषित बच्चों में से अधिकांश बच्चे दरभा ब्लाक के बताए जा रहे हैं।
15 दिन आब्जर्वेशन में
कुपोषित बच्चों को 15 दिनों तक आब्जर्वेशन में रखना पड़ता है। जब तक बच्चों का वजन समान्य नहीं हो जाता उनको डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता है। कई बार तो ब्लड देने की भी जरूरत पड़ती है। मेकॉज में कुपोषित बच्चों के लिए 20 बेड है।
डॉ. विवेक जोशी, सिविल सर्जन
राउंड द क्लॉक व्यवस्था
चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज जगदलपुर समेत 60 बच्चों को भर्ती करने की व्यवस्था है। समस्या तो है ही, लेकिन राउंड द क्लॉक व्यवस्था की जाएगी। डॉक्टर मैत्री, डिस्ट्रिक्ट चिल्ड्रन ऑफिसर
रिपोर्ट आए बीत गया सप्ताह
बच्चों के कुपोषण की पुष्टि एक सप्ताह पहले हो चुकी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 7156 बच्चों का परीक्षण किया गया है। जिसमें सबसे ज्यादा 97 बच्चे कुपोषण का शिकार बताए जा रहे हैं। ये सभी गंभीर हैं। अभी तक इनमें से आधे से ज्यादा को भर्ती नही कराया गया है। इसका एक बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि उनको भर्ती करने के लिए स्वास्थ्य विभाग असमंजस में फंसा हुआ है। फिलहाल अभी उसके पास कोई रास्ता नही हैं।
दरभा ब्लाक से अधिक कुपोषित
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य परीक्षण की टीम से जुड़े मेकॉज में 20 बेड़ कुपोषित बच्चों के लिए है। ये बेड भी अधिकांश तौर पर भरे रहते हैं। सूत्रों की माने तो अभी बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए बनाई गई चार सदस्यीय टीम अपना शत प्रतिशत योगदान नहीं दे पा रही है। जब सातों ब्लॉक में 14 टीम एक साथ काम करेगी। तब बच्चों को भर्ती करने के लिए बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। अभी जो टीम काम कर रही है वह स्कूलों को ही टारगेट कर रही है। 97कुपोषित बच्चों में से अधिकांश बच्चे दरभा ब्लाक के बताए जा रहे हैं।
15 दिन आब्जर्वेशन में
कुपोषित बच्चों को 15 दिनों तक आब्जर्वेशन में रखना पड़ता है। जब तक बच्चों का वजन समान्य नहीं हो जाता उनको डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता है। कई बार तो ब्लड देने की भी जरूरत पड़ती है। मेकॉज में कुपोषित बच्चों के लिए 20 बेड है।
डॉ. विवेक जोशी, सिविल सर्जन
राउंड द क्लॉक व्यवस्था
चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज जगदलपुर समेत 60 बच्चों को भर्ती करने की व्यवस्था है। समस्या तो है ही, लेकिन राउंड द क्लॉक व्यवस्था की जाएगी। डॉक्टर मैत्री, डिस्ट्रिक्ट चिल्ड्रन ऑफिसर
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