पंचायत से मिलीभगत कर हथिया ली जमीन
Panchayat land seized by the collusion
10/11/2014 6:42:14 AM
जांजगीर-चांपा। सरकारी जमीन को हथियाने में पंचायत की भूमिका संदिग्ध है। मामला प्रकाश में आने के बाद भी पंचायत ने जिला या स्थानीय प्रशासन से अवैध कारोबार की शिकायत तक नहीं की, जबकि अवैध प्लाटिंग से पंचायत को लाखों का नुकसान हुआ है। पंचायत मामले में आपत्ति दर्ज कराने का हवाला दे रही है।
बलौदा ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत सिवनी-चांपा में अवैध कालोनी का विस्तार किया जा रहा है। यहां बायीं तट नहर किनारे स्थित करीब साढ़े चार एकड़ कृषि योग्य निजी जमीन को औने-पौने दाम में खरीदकर उसे कालोनी का रूप दिया जा रहा है। यहां तक आवागमन के लिए रास्ता नहीं था, जिस कारण बिचौलियों ने नहर किनारे की सरकारी जमीन पर निजी सड़क बना दिया। इस रास्ते के दम पर उस भूमि की कीमत 60 से 70 लाख रूपए प्रति एकड़ तक पहुंच गई है।
अब तक करीब 80 से 85 फीसदी जमीन की बिक्री की जा चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि यहां कालोनी बनाने के लिए पंचायत से भी एनओसी नहीं ली गई है। यहां यदि विधिवत कालोनी का निर्माण किया जाता तो पंचायत को आश्रय शुल्क के रूप में कुल जमीन का 15 प्रतिशत हिस्सा या इस मूल्य की राशि मिलती, जिससे पंचायत के राजस्व में इजाफा होता। वहीं यह मामला सामने आने के बाद भी पंचायत ने अवैध प्लाटिंग की शिकायत नहीं की, जिससे पंचायत की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
दर्ज कराई गई आपत्ति
पंचायत क्षेत्र में अवैध कालोनी निर्माण की जानकारी मिली थी, जिस पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। तब बनाए गए रास्ते से डस्ट को हटाया गया था। अभी खरीदी-बिक्री बंद है। यहां किसी तरह की हलचल होने पर उचित कदम उठाया जाएगा। चूड़ामणि राठौर, सरपंच, सिवनी-चांपा
बलौदा ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत सिवनी-चांपा में अवैध कालोनी का विस्तार किया जा रहा है। यहां बायीं तट नहर किनारे स्थित करीब साढ़े चार एकड़ कृषि योग्य निजी जमीन को औने-पौने दाम में खरीदकर उसे कालोनी का रूप दिया जा रहा है। यहां तक आवागमन के लिए रास्ता नहीं था, जिस कारण बिचौलियों ने नहर किनारे की सरकारी जमीन पर निजी सड़क बना दिया। इस रास्ते के दम पर उस भूमि की कीमत 60 से 70 लाख रूपए प्रति एकड़ तक पहुंच गई है।
अब तक करीब 80 से 85 फीसदी जमीन की बिक्री की जा चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि यहां कालोनी बनाने के लिए पंचायत से भी एनओसी नहीं ली गई है। यहां यदि विधिवत कालोनी का निर्माण किया जाता तो पंचायत को आश्रय शुल्क के रूप में कुल जमीन का 15 प्रतिशत हिस्सा या इस मूल्य की राशि मिलती, जिससे पंचायत के राजस्व में इजाफा होता। वहीं यह मामला सामने आने के बाद भी पंचायत ने अवैध प्लाटिंग की शिकायत नहीं की, जिससे पंचायत की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
दर्ज कराई गई आपत्ति
पंचायत क्षेत्र में अवैध कालोनी निर्माण की जानकारी मिली थी, जिस पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। तब बनाए गए रास्ते से डस्ट को हटाया गया था। अभी खरीदी-बिक्री बंद है। यहां किसी तरह की हलचल होने पर उचित कदम उठाया जाएगा। चूड़ामणि राठौर, सरपंच, सिवनी-चांपा
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