जल-जंगल, जमीन की लूट पर बिफरे समाजवादी
Water-forest, on land the spoils socialist Bifre
10/20/2014 12:29:52 AM
रायपुर। समाजवादी मूल्यों में यकीन रखने वाले धड़े इस बिखरे कुनबे से आंदोलन खड़ा करने की तैयारी में हैं। रविवार को समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तमलाल कौशिक की अध्यक्षता में हुए समाजवादी समागम में कुछ ऎसी ही रूपरेखा बनी। प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से आए विभिन्न संगठनों के समाजवादी कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ में जल, जंगल और जमीन की लूट पर नाराजगी जाहिर की।
उन्होंने इसका विरोध करने के लिए एकजुटता बढ़ाने और संघर्ष करने पर जोर दिया। समागम में समाजवादी नेता और मुल्तई (मध्य प्रदेश) के पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया ने आज से 50 साल पहले जब सप्तक्रांति की बात की थी, तब से दुनिया की समस्याओं में काफी बदलाव आया है। नई तरह की नाइंसाफी पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि नई नाइंसाफियों के खिलाफ लड़ाई का एजेंडा तैयार करना होगा। समागम का संचालन गौतम बंद्योपाध्याय और मनमोहन अग्रवाल ने किया।
बनाना होगा विजन डॉक्यूमेंट
कनक तिवारी ने कहा कि आजादी के समय से ही समाजवाद की समझ अलग-अलग रही है। नेहरू का समाजवाद महात्मा गांधी के समाजवाद से अलग थी। इसकी वजह से संविधान में समाजवाद का उल्लेख नहीं है। उसे बहुत बाद में जोड़ा गया, लेकिन उसका स्वरूप परिभाषित नहीं है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक समाजवाद की स्थापना के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना होगा।
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