कार्पोरेट के लिए सारे जन कल्याणकारी कानून बदलने को तैयार सरकार के खिलाफ 5 दिसंबर को राष्ट्र व्यापी हड़ताल की तैयारी के लिए भिलाई में संयुक्त ट्रेड यूनियन का सम्मलेन
अगली बैठक 5 नवम्बर को रायपुर में
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भिलाई छत्तीसगढ़ / ट्रेड यूनियन संयुक्त मंच की पहल पे आज भिलाई में राज्य के मजदुर संघटनो ने बड़ा सम्मेलन किया ,जिसमे प्रदेश के सभी मजदुर संघटन शामिल हुए , श्रम कानूनो में बदलाव ,प्राकृतिक संसाधन की लूट ,उदारीकरण , उपभोक्ता संस्कृति ,कार्पोरेट की बेतहाशा लूट , धर्म जाति के नाम पे जनता को बाँटने की साजिश और महिला उत्पीड़न के खिलाफ आयोजित सम्मलेन ने एक स्वर मे सँकल्प लिया की आगामी 5 दिसंबर १४ को आयोजित आम हड़ताल को प्रभवि तरीके से सफल बनाना होगा ,
सम्मलेन में एटक ,सी एम एम , मजदुर कार्यकर्ता समिति ,सी पी आई एम एल के मजदूर संघटन ,सी एम एम [ बरगडे ] तथा अन्य जनसंघटन के साथी शामिल हुए।
सी पी आई [एम एल] के पोलिट ब्यूरो सदस्य साथी संजय सिंह ने श्रम कानूनो में विनाशकारी बदलाव पे विस्तार से बात कही और कहा की आने वाले समय में ऐसे सरे कानून बदले जायेंगे जो कार्पोरेट के अहित में दिखाई देते हैं ,
एटक के काम, सी अार बख्शी ने विस्तार से इस हड़ताल के महत्व पे प्रकाश डाला और कहा की मजदुर संघटनो के साथ दूसरे किसान ,और जनसंघटनो और आम जनता को इस हड़ताल में शमिल करना होगा , मोदी सरकार ने अमरीका और दूसरे कार्पोरेट के सामने पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया हैं , ,सीएमएम के जनक लाल ठाकुर ने कहा की मोदी जब उद्योपति से बात करते है तो कहते की कोई उद्योगपति देश के बहार कारखाना नहीं लगाये ,यानि यहाँ से पलायन नही करे ,लेकिन उनको देश के मजदुर दिखाई नहीं देते, जो अपनी जमींन ,खेत और करखना छोड़ के पलायन कर रहे हैं ,सरकार कहती है की हम सारे कानूनो को बदलने को तैयार है जो कारखाने मालिक को आड़े आते है ,लेकिन मजदूरो के हित की बात नहीं करते ,एक बार नियोगी जी ने कहा था की यदि उद्योगपति घाटे के कारण यद्योग बंद करना चाहते है तो वो हम मजदूरो को सौंप दे हम सब मिल के कारखाना चलने को तैयार है और लाभ में चला के दिखा देंगे,
नोवा स्टील के रमेश लहरे कहा की हम किसी भी स्थिति में श्रम कानूनो में बदलाव मंजूर नहीं करेंगे ,
स्वतंत्र विचारक नन्द कुमार कश्यप ने कहा की हम लम्बे समय से नारा लगाते रहे है , समाजवाद जिन्दावाद ,सम्राज्यवाद नष्ट हो ,लेकिन वो और मजबूत होता गया ,हमें गंभीरता से ये सोचना होगा की आखिर हम हारे क्यों ? हम दम्भ मे रहे और वे जीत भी गए ,ऐसा क्यों हुआ ?, इसपर जब तक मंथन नहीं करेंगे तब तक हमारी लड़ाई अधूरी ही रहेगी ,वामपंथी दलों की और इशारा करते हुए कहा की हम इसी अहंकार में रहे की हम ही दुनिया बदलेंगे ,ये हमारे अहंकार का सवाल नहीं है ,बल्कि ये बदलाव दुनिया के मजदूरो और वंचितो के लिए जीने मरने का प्रशन हैं ,कश्यप जी ने कहा की मोदी को आखिर किसने वोट दिया ,संघटित क्षेत्र के मजदूरो ने वोट दिए ,मजदूरो ने उन्हें वोट दिया बिना मजदूर वर्ग की चेतना के कोई बदलाव नहीं आ सकेगा ,उन्होंने दलविहीन संघर्ष की भी बात कही।
ब्रजेंद्र तिवारी [ इफ्टू ] और भीमराव बागडे ने भी अपने सम्बोधन में मजदूरो की एकता पे बल दिया , लोकतान्त्रिक मंच के मोहन्ति ने कहा की सभी मजदुर संघटन इस संघर्ष में शामिल हों इसकी कोशिश करना चाहिए ,विनोद सोनी ने कहा की न्यूनतम वेतन 15000 से कम नहीं होना चाहिए ,
सीपीआई[एमएल ] के राज्य सचिव सौरा यादव ने कहा की एकता को व्यापक करने के लिए और कोशिश करनी होगी , हम ही सर्वश्रेष्ठ है इसको हमें भूलना ही होगा ,हम समय समय पे आये उफान को नहोी समझ पाये ,और इसका ही नतीजा है की हम आज इस दुर्गति को प्राप्त हुए हैं , उन्होंने कहा की ये गठबंधन सिर्फ 5 दिसंबर तक ही न हो बल्कि लगातार चलने वाला होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रसाद राव ने राज्य में अल्पसंख्यको पे हो रहे हमलो की और सबका ध्यान आकर्षित किया ,
सीएमएम मजदूर कार्यकर्त्ता समिति की सुधा भरद्वाज ने कहा की हम सब में मतभेद से ज्यादा समानता है ,और सब लोग एक सी ही बात करते तो सही है ,हमें इसकी एकता बने इसकी ज्यादा कोशिश करनी चाहिए , उन्होंने कहा की विकास की बात तो सब करते ही लेकिन विकास करता कोन है ,यही मजदुर ना ,यही जो सारा विकास की जड़ में है ,लेकिन इसकी कोई बात नहीं करता ये लड़ाई प्रतीक की नहीं बल्कि अस्तित्व की है ,परिवर्तन अवश्य होगा क्योकि ऐसी व्यवस्था चल नहीं सकती ,उसे बदलना ही होगा ,लड़ाई लम्बी जरूर है ,लेकिन इसे जीतना हमें ही हैं।
आखरी में माईनस श्रमिक संघ के गणेश राम चौधरी ने सम्बोधित किया ,
सम्मलेन में आगे का संघर्ष चलाने के लिए एक राज्य स्तर पे कार्यकारणी का गठन किया गया ,जिसमे - सीआर बक्शी ,जनक लाल ठाकुर ,सुधा भरद्वाज ,ब्रजेंद्र तिवारी ,सुरेश मोहंती ,सौरा यादव ,गणेश राम चौधरी ,भीमराव बागडे ,शंकर निर्मलकर ,भारत भूषण पाण्डेय ,नन्द कश्यप ,विनोद सोनी ,आनंद विशाल। जी एन सिंह , कला दास और डा लाखन सिंह को शामिल किया गया ,
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