पेड़ों की शिफ्टिंग मुश्किल चलाना ही पड़ेगा कुल्हाड़ा
Shifting of trees will have to run hard the ax
10/14/2014 1:33:48 AM
रायपुर। पेड़ों को बचाने की केंद्र सरकार की मुहिम के बावजूद प्रदेश में हजारों पेड़ों की बलि निश्चित है। प्रदेश के केवल दो राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन में तब्दील करने के दौरान लगभग दस हजार पेड़ काटे जाएंगे। ऎसा इसलिए कि इन राजमार्गो के किनारे स्थित अधिकांश पेड़ न सिर्फ काफी बड़े हैं, बल्कि पेड़ों की शिफ्टिंग में उपयोग आने वाली मशीन भी छत्तीसगढ़ में नहीं है।
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्गो को फोरलेन में तब्दील किया जाना है। बस्तर से राजधानी रायपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 और रायगढ़-सरायपाली एनएच 216 का भी चौड़ीकरण प्रस्तावित है। सूत्रों के अनुसार जगदलपुर से धमतरी तक यह राष्ट्रीय राजमार्ग अब फोरलेन मार्ग बनेगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने इस मार्ग को एनएचडीपी के सुपुर्द कर दिया है। पिछले साल दिल्ली में लगभग 250 पेड़ों की शिफ्टिंग की गई थी। इस पर लगभग 1 करोड़ रूपए का खर्च आया था। इस हिसाब से प्रदेश के दस हजार पेड़ों को शिफ्ट करने में 40 करोड़ रूपए खर्च करने होंगे।
लंबी जड़ों से मुश्किल
वन विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि इन मार्गो में आने वाले अधिकांश पेड़ इमली, आम और नीम के हैं। साथ ही इनमें बहुत से पेड़ों की उम्र 30-40 साल से अधिक है और इनकी जड़ें क्ष्ौतिज रूप से काफी दूर-दूर तक फैल गई हैं। ऎसे में इन पेड़ों को शिफ्ट करना काफी मुश्किल और खर्चीला साबित होगा। इसलिए शिफ्टिंग के लिए 60 से 70 सेंटीमीटर की मोटाई के पेड़ों को ही चुना जाता है।
यहां कटेंगे पेड़
जगदलपुर-धमतरी फोरलेन के लिए एनएचडीपी ने कोंडागांव जिले के 4,561 पेड़ और बस्तर जिले में 2,600 ऎसे पेड़ों का चयन किया है, जो सड़क किनारे हैं और जिनसे हादसों का खतरा रहता है। रायगढ़-सरायपाली एनएच 216 को फोरलेन में तब्दील करने के दौरान सारंगढ़ तहसील के 1, 044, सहदेव पाली के 337 और पुसौर तहसील के 1,575 पेड़ों को हटाना होगा।
यह है शिफ्टिंग की तकनीक
पेड़ों को शिफ्ट करने का केंद्र सरकार का यह फरमान गुजरात में पेड़ों की सफल शिफ्टिंग के बाद अपनाया जा रहा है। गुजरात में पेड़ों को शिफ्ट करने के लिए जर्मन कंपनी की एक मशीन को उपयोग में लाया गया था। वर्तमान में इसकी कीमत 7 करोड़ है। हाईड्रोलिक प्रेशर से काम करने वाली यह मशीन पेड़ को उखाड़ने के साथ ही दस बाई दस फीट का गbा खोदकर पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट कर देती है।
पेड़ोंं को शिफ्ट करना आसान नहीं होता है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। इससे पहले भी शिफ्टिंग के काम हुए हैं। बड़े पेड़ों की शिफ्टिंग खर्चीला होने के साथ ही काफी मुश्किल होता है, लेकिन असंभव नहीं है। अभी पेड़ों की शिफ्टिंग का कोई प्रस्ताव नहीं आया है।
राम प्रकाश, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, छत्तीसगढ
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्गो को फोरलेन में तब्दील किया जाना है। बस्तर से राजधानी रायपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 और रायगढ़-सरायपाली एनएच 216 का भी चौड़ीकरण प्रस्तावित है। सूत्रों के अनुसार जगदलपुर से धमतरी तक यह राष्ट्रीय राजमार्ग अब फोरलेन मार्ग बनेगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने इस मार्ग को एनएचडीपी के सुपुर्द कर दिया है। पिछले साल दिल्ली में लगभग 250 पेड़ों की शिफ्टिंग की गई थी। इस पर लगभग 1 करोड़ रूपए का खर्च आया था। इस हिसाब से प्रदेश के दस हजार पेड़ों को शिफ्ट करने में 40 करोड़ रूपए खर्च करने होंगे।
लंबी जड़ों से मुश्किल
वन विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि इन मार्गो में आने वाले अधिकांश पेड़ इमली, आम और नीम के हैं। साथ ही इनमें बहुत से पेड़ों की उम्र 30-40 साल से अधिक है और इनकी जड़ें क्ष्ौतिज रूप से काफी दूर-दूर तक फैल गई हैं। ऎसे में इन पेड़ों को शिफ्ट करना काफी मुश्किल और खर्चीला साबित होगा। इसलिए शिफ्टिंग के लिए 60 से 70 सेंटीमीटर की मोटाई के पेड़ों को ही चुना जाता है।
यहां कटेंगे पेड़
जगदलपुर-धमतरी फोरलेन के लिए एनएचडीपी ने कोंडागांव जिले के 4,561 पेड़ और बस्तर जिले में 2,600 ऎसे पेड़ों का चयन किया है, जो सड़क किनारे हैं और जिनसे हादसों का खतरा रहता है। रायगढ़-सरायपाली एनएच 216 को फोरलेन में तब्दील करने के दौरान सारंगढ़ तहसील के 1, 044, सहदेव पाली के 337 और पुसौर तहसील के 1,575 पेड़ों को हटाना होगा।
यह है शिफ्टिंग की तकनीक
पेड़ों को शिफ्ट करने का केंद्र सरकार का यह फरमान गुजरात में पेड़ों की सफल शिफ्टिंग के बाद अपनाया जा रहा है। गुजरात में पेड़ों को शिफ्ट करने के लिए जर्मन कंपनी की एक मशीन को उपयोग में लाया गया था। वर्तमान में इसकी कीमत 7 करोड़ है। हाईड्रोलिक प्रेशर से काम करने वाली यह मशीन पेड़ को उखाड़ने के साथ ही दस बाई दस फीट का गbा खोदकर पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट कर देती है।
पेड़ोंं को शिफ्ट करना आसान नहीं होता है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। इससे पहले भी शिफ्टिंग के काम हुए हैं। बड़े पेड़ों की शिफ्टिंग खर्चीला होने के साथ ही काफी मुश्किल होता है, लेकिन असंभव नहीं है। अभी पेड़ों की शिफ्टिंग का कोई प्रस्ताव नहीं आया है।
राम प्रकाश, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, छत्तीसगढ
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