Friday, October 10, 2014

भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाक की मलाला को संयुक्त रूप से शांति का नोबेल

भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाक की मलाला को संयुक्त रूप से शांति का नोबेल 







2014 का नोबेल शांति पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को संयुक्त रूप से दिया गया है। 17 साल की मलाला सबसे कम उम्र में यह अवॉर्ड पाने वाली शख्सियत बनी हैं।

यह अजब संयोग है कि भारतीय और पाकिस्तानी को संयुक्त रूप से शांति के नोबेल की घोषणा ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों देशों की सीमा पर भारी तनाव है।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैलाश सत्यार्थी और मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने पर बधाई दी है। मोदी ने ट्वीट किया, 'नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे जाने पर श्री कैलाश सत्यार्थी को बधाई। पूरे देश को उनकी इस उपलब्धि पर गर्व है। कैलाश सत्यार्थी ने अपना पूरा जीवन मानवता के लिए समर्पित कर दिया। मैं उनके प्रयासों को सलाम करता हूं।' मोदी ने मलाला को भी बधाई देते हुए लिखा कि मलाला का जीवन संघर्ष और साहस की दास्तां है। मैं उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए बधाई देता हूं। 
कैलाश सत्यार्थी 'बचपन बचाओ आंदोलन' के जरिए बाल अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करते रहे हैं। वहीं मलाला यूसुफजई भी पाकिस्तान में बच्चों की शिक्षा से जुड़ी हैं। 17 वर्षीय मलाला तब सुर्खियों में आईं जब तालिबान आतंकवादियों ने लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने को लेकर उन्हें गोली मार दी थी। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करने वाली कमिटी ने इस पुरस्कार का ऐलान करते हुए सत्यार्थी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है।

कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि वह नोबेल शांति अवॉर्ड मिलने से बहुत खुश हैं। यह पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए हमारे संघर्ष की जीत है। सत्यार्थी ने कहा कि वह नोबेल कमिटी के शुक्रगुजार हैं कि उसने आज के आधुनिक युग में भी दुर्दशा के शिकार लाखों बच्चों की दर्द को पहचाना है। सत्यार्थी ने कहा कि वह मलाला यूसुफजई को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। वह मलाला को अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित करेंगे।

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