Wednesday, October 1, 2014

मरने के बाद 3 लोगों को जिंदगी दे गईं शहीद हेमंत करकरे की पत्नी कविता

मरने के बाद 3 लोगों को जिंदगी दे गईं शहीद हेमंत करकरे की पत्नी कविता

कविता करकरे।
कविता करकरे।
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मतीन हाफिज और सुमित्रा देब रॉय, मुंबई

26/11 मुंबई हमले में शहीद एटीएस चीफ हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे का सोमवार को ब्रेन स्ट्रोक की वजह से निधन हो गया, लेकिन जाते-जाते वह 3 लोगों को जिंदगी दे गईं।

बेहोशी की हालत में कविता को पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल लाया गया था। शनिवार को उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया था, जिसके बाद वह होश में नहीं आईं। डॉक्टर ने बताया कि 
हैमरेज की वजह से उनके दिमाग के लिए खून की सप्लाई रुक गई थी। वह दिल से जुड़ी समस्याओं से भी जूझ रही थीं।

सोमवार को उनकी बेटियों के अमेरिका से भारत पहुंचने तक उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। बाद में भाई-बहनों ने अपनी मां के अंग जरूरतमंद मरीजों को दान देने का फैसला किया। उनकी एक किडनी 48 साल के शख्स को दान की गई, जो पिछले एक दशक से डायलिसिस पर जिंदा था।

दूसरी किडनी 59 साल के एक शख्स को दी गई, जो कि पिछले 7 साल से किडनी मिलने का इंतजार कर रहा था। करकरे ने 49 साल के एक अन्य शख्स को भी जिंदगी दी, जो पिछले कुछ सालों से लिवर फेल होने से जूझ रहा था। इसके अलावा कविता की आंखें एक हॉस्पिटल के आइ बैंक को दान की गई हैं।

हिंदुजा के डॉक्टर्स ने बताया कि कविता के बच्चों आकाश, सयाली और जुई ने दुख की घड़ी में गजब की हिम्मत दिखाई। जब टीओआई ने इस बारे में परिवार से बात करने की कोशिश की, सयाली ने कहा कि वह इस वक्त मीडिया से बात नहीं करना चाहतीं।

कविता की हेमंत करकरे से पहली मुलाकात एक कार्यक्रम में हुई थी, जहां पर वह एक वक्ता के तौर पर पहुंचे थे। आईपीएस ऑफिसर बनने से पहले हेमंत प्रफेसर थे। करकरे के निधन के बाद उनका परिवार उनके ऑफिशल रेजिडेंस पर ही रह रहा है।




मुंबई हमले में हेमंत करकरे के शहीद होने के एक साल बाद 26 नवंबर 2009 को टीओआई को दिए इंटरव्यू में कविता ने अपने पति से हुई आखिरी मुलाकात को ऐसे बयां किया था, 'पहली बार डेढ़ महीने के बाद मैं और हेमंत एकसाथ डिनर कर रहे थे। तभी उन्हें सीएसटी में गड़बड़ी के बारे में फोन आया। उन्होंने अपने शूज पहने और कार में बैठकर चले गए।'

करकरे कामा हॉस्पिटल के पास शहीद हुए थे। बाद में उनकी पत्नी ने प्रशासन पर सवाल उठाए थे कि जब उनके पति और अन्य साथी 40 मिनट तक हॉस्पिटल के बाहर पड़े हुए थे, तो उनतक वक्त पर मदद क्यों नहीं पहुंची।

कविता एक कॉलेड में बीएड पढ़ाती थीं। मंगलवार शाम को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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