Saturday, August 23, 2014

पिछले एक अगस्त को हुए हादसे में मारे गये श्रमिको को उचित मुआवजा दिया जाये मजदूरो का आरोप है की घटना के बाद आज तक फैक्ट्री प्रबंधन इनकी सुध नही ले रहा है

अभनपुर तहसील कार्यालय के सामने धरने पर बैठे ये लोग और कोई नही बल्कि अभनपुर स्थित नवभारत फ्यूज कम्पनी लिमिटेड के श्रमिक है इनकी मांग है की पिछले एक अगस्त को हुए हादसे में मारे गये श्रमिको को उचित मुआवजा दिया जाये मजदूरो का आरोप है की घटना के बाद आज तक फैक्ट्री प्रबंधन इनकी सुध नही ले रहा है साथ ही मुआवजे की राशी देना तो दूर अब तक तय ही नही की गयी है मजदूरो का ये भी आरोप है की फैक्ट्री प्रबंधन अपने फायदे के लिए अकुशल मजदूरों से कम दर पर कम करा रहा था साथ ही मशीने भी 25 साल से भी अधिक पुरानी हो चुकी थी जिनका कोई रख रखाव नही किया जाता था जर्जर मचीनो में उत्पादन बढ़ाने के लिए मोटरों की स्पीड बढ़ा डी जाती थी जो की सरासर गलत है कम्पनी में श्रम कानूनों की खुलेआम उल्लंघन किया जाता था इसकी शिकायत एक वर्ष पूर्व मजदूरों ने कम्पनी प्रबन्धन, जिला कलेक्टर और श्रम विभाग में की थी पर प्रशाशनिक लापरवाही के चलते कोई कार्यवाही नही हुई और इतनी बड़ी दुर्घटना घट गयी
श्रमिक मृतको के लिए 25 -25 लाख रूपये मुआवजे की मांग कर रहे है साथ ही घटना के लिए दोषी कम्पनी के मालिको के तुरंत गिरफ्तारी की मांग कर रहे है अपनी मांगो को लेकर श्रमिको ने शाशन प्रशाशन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और धरने पर बैठ गये है अभनपुर तहसील के सामने ये श्रमिक पिछले दो दिनों से धरने पर बैठे है पर अभी तक प्रशासन का कोई नुमायन्दा इनकी सुध लेने नही पहुचा श्रमिको का ये धरना अनिश्चित कालीन है अनुभवी श्रमिको का कहना है की जो धमाका नवभारत फ्यूज कम्पनी में हुआ है ऐसा धमाका आज तक किसी हादसे में नही हुआ इसके लिए श्रमिक कम्पनी की मुनाफाखोरी को जिम्मेदार मानते है अधिक उत्पादन के लिए बड़ी संख्या में अप्रशिक्षित मजदरो को रखा गया था ऐसे सौ से अधिक मजदूर थे जो नये थे और उन्हें महज 5 से 6 हजार रूपये देकर प्रशिक्षित मजदूरो की भाती काम लिया जाता था साथ ही दबाव देकर फैक्ट्री प्रबंधन मजदूरों से दुगना प्रोटेक्सन करा रहा था
– कम्पनी में लापरवाही और मुनाफाखोरी का ये आलम था की मजदूरों को ना किसी प्रकार की कोई वर्दी दी जाती थी और ना तो सुरक्षा के लिए दस्ताने या गमबूट दिए जाते थे जबकि नियमो के अनुसार बारूद फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को सुरक्षा के कई उपाय करने पड़ते है जिनमे ड्रेस कोड दास्ताने और गमबूट अति आवश्यक है साथ ही बारूद के भंडारण के लिए मिटटी से बने विशेष कमरे का उपयोग किया जाता है जबकि इस फैक्ट्री में बारूद भंडारण जर्जर भवनों में किया जा रहा था श्रमिको को साल दो साल में एक आद वर्दी देकर फैक्ट्री प्रबन्धन अपने दायित्वों की इतिश्री कर रहा था और भोले भाले श्रमिक जान हथेली पर लेकर अपने काम में लगे हुए थे इस मामले पर स्थानीय कांग्रेसी विधायक धनेन्द्र साहू ने भी मोर्चा खोला हा है उनकी माने तो ये पूरा काम शाशन प्रशाशन और फैक्ट्री प्रबंधन की मिलीभगत से हो रहा है और खुलेआम नियमो की अनदेखी कर मजदूरों का शोषण किया जा रहा है
बरहाल हादसे में मारे गये मजदूरों के परिजन बदहाली और बेकारी से जीने को मजबूर है शाशन प्रशाशन कोई भी उनकी सुध नही ले रहा है ना तो इन्हें कोई मुआवजे की राशी दी गयी है और ना ही किसी परिजन को किसी प्रकार की नौकरी दिए जाने का आश्वाशन दिया गया है आक्रोशित परिजन मुख्यमंत्री रमन सिह सहित फैक्ट्री प्रबंधन को कोस रहे है जिसने बेसमय और बेलगाम मजदूरी कराई और चावुर वाले बाबा कहे जाने वाले रमन सिह जिन्होंने अबतक इनकी सुध नही ली अब इनका सहारा कोई नही है इन परिवारों के मुखिया मुनाफाखोर कम्पनी की लापरवाही के चलते इस दुनिया से जा चुके है और इन परिवारों के पास बदहाली के आसुओ के आलावा कुछ नही बचा है

तेजराम विद्रोही 
अखिल भारतीय क्रांतकारी किसान सभा 
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