Saturday, August 30, 2014

अंत में आपके पास जलाने के लिए कुछ नहीं बचेगा


अंत में आपके पास जलाने के लिए कुछ नहीं बचेगा

साहेब ,महात्मा गांधी की हत्या आपके गुरु ने करी 

इस पाप को छुपाने के लिए आपने सबूत की फाइलें जलवा दी हैं 

लेकिन अभी तो बहुत कुछ ऐसा है जिसे आप को जलाना पड़ेगा 

वो चिट्ठियाँ भी जलवा दीजिए जो आपके संघ के गुरुओं ने अंग्रेजों को माफी नामे के तौर पर भेजी थीं .

क्योंकि इससे आपकी गद्दारी की परम्परा की पोल खुल जाने का भय है

आपको वो बयान भी जलाने हैं जो आपके दल के अटल साहब ने अंग्रेजों के सामने दिए थे ,जिसमे उन्होंने उस दौर के क्रांतिकारियों के खिलाफ मुखबिरी करी थी .

आपको वो इतिहास भी जलाना पड़ेगा जिसमे बताया गया है कि किन बौद्ध मठों को तोड़ कर मंदिर बनाये गए .

आपको इतिहास की वो सारी किताबें जलानी पड़ेंगी जिनमे दलितों की बस्तियों को जलाने की तफसीलें दर्ज़ हैं .

अट्ठारह सौ सत्तावन में हिंदुओं और मुसलमानों की एकता और मिल कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का पूरा विवरण भी तो अभी जलाना बाकी है .

आज़ादी की लड़ाई में जहां जहां भी मुसलमानों के नाम दर्ज़ है उन सब किताबों को जलाना भी बाकी है .

इसके बाद जलाने का हुक्म दीजियेगा उन सभी बस्तियों को जहां मुसलमान और ईसाई रहते हैं .

फिर इस देश की सांझी संस्कृति को जला दीजियेगा .

फिर इस देश को जला दीजियेगा .

आग कम पड़े तो कुछ अपने आदर्श हिटलर से और कुछ इस्राईल से ले लीजियेगा .

अंत में आपके पास जलाने के लिए कुछ नहीं बचेगा .

तब आप आराम करियेगा .[ दन्तेवाड़ा  वाणी  ब्लॉग ]

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