Tuesday, August 26, 2014

एनटीपीसी प्रबंधन न सिर्फ गैरजिम्मेदार है वरन क्रूर भी है,

हम लोग कल राक गांव गये जहां पर एनटीपीसी के निर्माणाधीन राखड़ बांध के फूटने से कम से कम नौ घरों मे पानी घुटनों तक घुस गया,जैलाल निषाद के घर की एक दीवार गिर गया है.एक बात साफ है वह ये कि राखड़ बांध के बीच मे इंटेक वेल कि ढलाई के लिये सेन्टरिंग हुई दिख रही है ,पानी कम करने ठेकेदार ने मेढ़ काटी है और दोषारोपण गांव वालों पर करने कि कोशिश हुई है.हम तकनीकी बारीकियों मे जाये बगैर यह कह सकते हैं कि एनटीपीसी प्रबंधन न सिर्फ गैरजिम्मेदार है वरन क्रूर भी है,प्रभावित परिवारों को 35 किलो चावल और उसे पकाने कि लकड़ी देकर और घर मरम्मत मे मदद का आश्वाशन दे कर छुट्टी पा गया.कल्पना कीजिये प्रबंधन के किसी अधिकारी का घर बांध के बहाव मे क्षतिग्रस्त होता तो वह कितना हल्ला मचाता ,सुप्रीम कोर्ट तक जाता और लाखों रुपयों का हर्जाना मांगता.यहाँ के ग्रामीण के लिये चावल और आश्वाशन .गांव वालों मे गुस्सा तो है लेकिन उनका साथ देने वाला कोई नहीं है.एक पीड़ित ग्रामीण ने पूछा कि आप लोग कौन हैं तो हमारे साहित्यकार मित्र ने कह दिया कि वह पत्रकार है बस फिर क्या था वह बिफर पड़ा कहने लगा तुम्ही लो बांध फोड़े हो और साहब लोगों से पैसा खा रहे हो ,पता नहीं उसका गुस्सा कितनी दूर जाता यदि किसान सभा के साथी अपना परिचय दे यह न कहते कि हम तुम्हारे ही साथी हैं औरसाथ खड़े होने आये हैं.बाद मे पता चला कि उस क्षेत्र के कुछ ठेकेदारों ने अखबारों कि एजेन्सी ले रखी हैऔर पत्रकार का तमगा लगाय हुए है. [ nand kashyap ]

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