Friday, August 1, 2014

क्या हम फासिस्ट राज्य की और नहीं नहीं जा रहे हैं , डाक्टर लारेन्स ब्रिट का अध्यन तो यही बताता हैं , चलो पढ़ने मे क्या हर्ज़ हैं

क्या हम फासिस्ट राज्य की और नहीं नहीं जा रहे हैं , डाक्टर लारेन्स ब्रिट का अध्यन तो यही बताता हैं , चलो पढ़ने मे क्या हर्ज़ हैं .

 हंस मे संजय सहाय ने इस अध्यन का विवरण दिया है , पढ़ा तो दो महीने पहले था ,आपने भी पढ़ा होगा ,लेकिन जिन मित्रो की नज़र से नहीं गुजरा उनके लिये ही सही ,  लॉरेन्स ब्रिट ने 2003  मे उन्होने अध्यन किया था ,जिसमे उन्होने कई फासिस्ट राज्यो जैसे मुसोलिनी ,हिटलर ,फ्रेंको ,सुहार्तो , और दूसरे लातिनी तानाशाही को बारीकी से देखा और 14 कॉमन बिन्दु तलाशे , ये 14 बिन्दु निम्न हैं .
१, राष्ट्रावाद का शशक्त प्रचार ,
२,मानवाधियकरो के प्रति धिक्कार [ शत्रु और राष्ट्रीय सुरक्षा का भय दिखा के लोगो को इस बात के लिये तैयार करना की वे खास परिस्थितियोमे मानवाधिकार को अनदेखा किया जा सकता हैं ,और इसी स्थिति मे शारीरिक प्रताड़ना से लेके हत्या तक को जायज माना जा सके ]
३, शत्रु को और बलि के बकरो को चिन्हित करना ,[ ताकि उनके नाम पे अपने समूहो को एकत्रित किया का सके और उन्हे उन्मादित किया जा सके ,ताकि वे राष्ट्राहित मे अल्पसंख्यको ,भिन्‍न नस्लो, उदारवादियो ,वामपंथियो और उग्रवादियो को मानवाधिकार से वंचित रखने मे समर्थन दें ]
४, सेना को जरूरत से ज्यादा तरजीह देना और उसका तुष्टिकरण करना ,
5 पुरुषवादी वर्चस्‍व
6, मास मीडिया को एन केन प्रकरण प्रभावित करना  और नियंत्रण मे रखना ,
7,  बुद्धजीवियो और संस्कृतिजीवियो पे नकेल कसना , 
8, सरकार और धार्मिकता मे घालमेल करना [ बहुसंख्यको के धर्म और धार्मिक आवंदर का का स्तेमाल करके जनमत को अपने पक्ष मे करते रहना ,
9, कार्पोरेट जगत को पूरी तरह प्रश्र्य देना ,[ कार्पोरेट ताकतें और उद्योगपति ब्यापारी ही फासिस्ट को सत्ता पा पहुचते हैं ,]
10,  श्रमिको की शक्ति को कुचलना ,
11, अपराध और दंड के प्रति उत्तेजना का माहोल बनाना .
12 पुलिस और सेना को असीमित दंडात्मक  अधिकार देना 
13, भयानक भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार 
14 चुनाव जितने के लिये हर प्रकार के हथकंडे सेमल करना .

 उपर के 14 बिन्दु पढ़ने से तो ऐसा ही लगता है की ये अध्यन हमारे देश मे किया गया हैं ,अब आपकी मर्जी है की इसका मतलब जो भी निकालर और सचेत रहे ,नहीं तोकहें की " गर्व से कहो हम फासिस्ट हैं 
'
9, 

No comments:

Post a Comment