Friday, October 7, 2016

आदिवासी परम्पराओं में हस्तक्षेप करने वाले IG कल्लूरी और SP दाश पर पुलिस नियमावली के अंतर्गत कारवाही करो!

CHHATTISGARH LOK SWATANTRYA SANGATHAN

(PEOPLE’S UNON FOR CIVIL LIBERTIES, CHHATTISGARH  PUCL)

07.10.2016

** पूर्व विधायक एवं आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम पर राजनीती से प्रेरित अपराधिक मामले रद्द करो!
** आदिवासी परम्पराओं में हस्तक्षेप करने वाले IG कल्लूरी और SP दाश पर पुलिस नियमावली के अंतर्गत कारवाही करो!
** आदिवासियों-मूलवासियों को अपनी संस्कृति और परम्पराओं को संरक्षित रखने का अधिकार सुनिश्चित करो!
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बस्तर संभाग पांचवी अनुसूची का क्षेत्र है जहाँ ग्रामीण क्षेत्र पूर्णतः आदिवासी बहुल है. हमारे देश में आदिवासियों- मूलवासियों की, मनुवादी हिंदुत्व से अलग अपनी धार्मिक आस्थाए, परम्पराए और दन्तकथाये हैं. देश के विभिन्न स्थानों पर राजा बलि, महिषासुर और रावण की पूजा की जाती है, और सलवा जुडूम के काल तक प्रख्यात बस्तर दशहरा में कभी रावण को नहीं जलाया गया.
भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है, यहाँ विभिन्न समुदायों के लोगों को अपनी-अपनी आस्थाओं और परम्पराओं को निभाने की स्वतंत्रता है. कभी-कभी इन समुदायों के ऐतिहासिक संघर्षों, विशेषकर आर्य-अनार्य संघर्षों का प्रतिबम्ब इन दन्तकथाओं, परम्पराओं में मिलता है.
 पूरे केरल प्रदेश में ओणम त्यौहार राजा बलि के सम्मान में मनाया जाता है जो ब्राम्हण परम्परा के अनुसार राक्षस थे. इसी प्रकार कोयावंशी, मूलनिवासी राजा महिषासुर को सुशासन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में पूजते हैं, इन्हें भी ब्राम्हण परम्परा के अनुसार राक्षस माना गया है.
ऐसी स्थिति में पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा के अध्यक्ष, लोकप्रिय आदिवासी नेता श्री मनीष कुंजाम द्वारा एक फेसबुक पोस्ट को फॉरवर्ड करना, जिसमे आदिवासी-मूलनिवासी समुदाय द्वारा महिषासुर की कथा की व्याख्या  का उल्लेख था, किसी भी दृष्टि से अपराध की श्रेणी में नहीं आ सकता.
 . श्री कुंजाम ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि इस पोस्ट से, किसी की भावनाओं को आहत करने का उनका कोई उद्देश्य नहीं था, केवल अपनी समुदाय की मान्यता को वे व्यक्त कर रहे थे, जिन्हें आर्य “असुर” मानते थे. आज भी कोया कोयतुर अपने गाँव में भैसासुर/ महिषासुर की पूजा करते है और उन्हें भूमिगत जल संसाधनों का संरक्षक मानते हैं.
यह प्रासंगिक है कि कोया समाज ने श्री मनीष कुंजाम को अपना समर्थन भी दिया है. पर श्री मनीष कुंजम और आदिवासी महासभा, इसलिए भी छत्तीसगढ़ पुलिस, और बस्तर के ठेकेदार-व्यापारी वर्ग की आँख की किरकिरी बने हुए हैं, क्योंकि उन्होंने बहुत हिम्मत के साथ बस्तर की जनता की जल-जंगल-ज़मीन की लड़ाइयों में साथ दिया है.
 लोहंडीगुडा में टाटा कंपनी के गैरकानूनी कृत्यों के विरुद्ध ग्रामीणों के संघर्ष में भाग लेने के कारण उन्हें और भाकपा कार्यकर्ताओं को निरंतर फर्जी मुकदमों में फंसाकर प्रताड़ित किया गया, अंततः टाटा कंपनी ने हाल में अपनी योजना वापस ली. आदिवासी महासभा ने सलवा जुडूम अभियान के दौरान भी साधारण ग्रामीणों पर बर्बर अत्याचार का हिम्मत से विरोध किया था, और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके कारण सलवा जुडूम को आखिरकार राज्य सरकार को प्रतिबंधित करना पड़ा.
आज वही पुराने सलवा जुडूम के लोग, अग्नि के नाम से, कट्टर हिंदूवादी ताकतों के साथ मिलकर, श्री मनीष कुंजाम के विरुद्ध, फेसबुक पोस्ट की आड़ लेकर, एक भय और आतंक का माहौल पैदा कर रहे हैं, उनके विरुद्ध पुलिस के सहयोग से 3 थानों में बेबुनियाद अपराध कायम करवा चुके हैं.
19 सितम्बर को इन लोगों ने सुकमा शहर में, पूरे पुलिस संरक्षण में, मनीष कुंजाम जी का पुतला जलाया, और भड़काऊ भाषण दिए, जो अपने आप में एक अपराधिक कृत्य है.
सबसे आश्चर्यजनक बात है कि बस्तर के IG श्री कल्लूरी एवं SP श्री दाश, माहौल के इस साम्प्रदायिकरण को शांत करने की बजाय, स्वयं विभिन्न सभाओं और धार्मिक आयोजनों में भाग लेकर श्री मनीष कुजाम के विरुद्ध भड़काऊ भाषण दे रहे हैं.

 ऐसे IG श्री कल्लूरी ने पूर्व में गीदम में, सामजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी के विरुद्ध भी सार्वजनिक रूप से सामाजिक बहिष्कार करने का आव्हान किया था. राज्य के भाजपा सरकार के पक्ष में राजनैतिक और धार्मिक मामलों में इस प्रकार का हस्तक्षेप करना, पुलिस की आचार संहिता और नियमावली का घोर उल्लंघन है.
छत्तीसगढ़ लोक स्वातंत्र्य संगठन मांग करता है कि:-.

1. पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा अध्यक्ष मनीष कुंजाम के खिलाफ धारा 295 A IPC के अंतर्गत राजनीती से प्रेरित और बेबुनियाद समस्त अपराधिक मामलों को रद्द किया जाये.
2. इंस्पेक्टर जनरल एस.आर.पी. कल्लूरी और पुलिस अधीक्षक आर.एन. दाश पर, पुलिस की आचार संहिता और नियमावली के घोर उल्लंघन में, राजनैतिक और धार्मिक मामलों में पक्षपाती और भड़काऊ हस्तक्षेप के लिए, सख्त कारवाही की जाये.
3. संविधान के अनुसार, पांचवी अनुसूची क्षेत्र बस्तर में, आदिवासियों-मूलनिवासियों को अपनी मान्यताओं, प्रथाओं और परम्पराओं को निभाने पूर्ण स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाये.

डॉ लाखन सिंह एड. सुधा भारद्वाज
अध्यक्ष महासचिव
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