Sunday, October 23, 2016

प्रदेश में वे ही एकमात्र निर्मम व अत्याचारी आईपीएस है जो निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारने के विशेषज्ञ बन चुके हैं।



    * हकीकत यह है कि प्रदेश में वे ही एकमात्र निर्मम व अत्याचारी आईपीएस है जो निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारने के विशेषज्ञ बन चुके हैं।

                                  
* सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी कल्लूरी के प्रेसवार्ता लेने पर जताई आपत्ति.
* ऐसे में कांग्रेस यह जानना चाहती है कि क्या रमन सरकार आईजी एसआरपी कल्लूरी को निलंबित कर जेल भेजेगी अथवा लाचार ही बनी रहेगी.

छत्तीसगढ़ प्रदेश  कांग्रेस कमेटी
****

23 अक्टूबर, रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल एवं नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा है कि ताड़मेटला कांड में सीबीआई के जमा किए गए हलफनामे के बाद यह तो साबित हो गया है कि इस घटना के मूल दोषी आईजी एसआरपी कल्लूरी ही हैं।

 लेकिन आश्चर्य यह है कि जब अदालत ने पुलिस को निर्देश दिए हैं, उसके बाद भी आईजी कल्लूरी प्रेसवार्ता लेकर बयान दे रहे हैं, और सरकार मूक दर्शक की भूमिका निभा रही है। सरकार को चाहिए कि ऐसे दोषी अफसर को तत्काल निलंबित कर उन पर कड़ी कार्रवाई करे, ऐसे मौकों पर तो मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को अपनी लाचार वाली छवि से बाहर निकलना चाहिए। ।
सीबीआई के हलफनामे और अदालत के निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मार्च 2011 से जो बात कांग्रेस कहती आ रही है, वही सच साबित हुआ है।

नेताद्वय ने आगे कहा, सीबीआई ने अपने दिए गए हलफनामे में साफ कहा है कि फोर्स ने ही ताड़मेटला कांड को अंजाम दिया है। यह जगजाहिर बात है कि तब फोर्स का नेतृत्व आईजी एसआरपी कल्लूरी ही कर रहे थे। इससे पहले भी आईजी कल्लूरी पर गंभीर आरोप लग चुके हैं, ऐसे आरोपों में निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मरवा दिए जाने से लेकर, हाल ही में दो बच्चों को नक्सली बताकर मरवाना भी शामिल है। महिलाओं को भी उनके निर्देश पर प्रताड़त किया गया, उनसे दुष्कर्म कर नक्सल वर्दी पहनाकर नक्सली बताते हुए फर्जी मुठभेड़ कर दिया गया।
 उनके इस कार्यशैली के कारण आज कोई भी बस्तर जाने से डरता है। हाल ही में मुंबई से आए दो थिएटरकर्मी, जो अपने शोध के लिए बस्तर पहुंचे थे। उन्हें पुलिस ने उठा लिया और बस्तर छोड़ चले जाने कह दिया। कल्लूरी की यह कैसी कार्यशैली है।

नेताद्वय ने कहा कि सीबीआई के हलफनामे के आधार पर कल्लूरी को आरोपी कहा जा सकता है, ऐसे में ऐसे पुलिस अधिकारी कोर्ट में मामला विचारधीन होने के बाद भी प्रेसवार्ता लेकर बयान दें, यह कहें कि फोर्स ने ने आग नहीं लगाई, या यह कहे कि उनके बस्तर से हटने से माओवाद समाप्त हो जाएगा तो वे 23 घंटे में बस्तर छोड़ देंगे। इसी तरह इस प्रेसवार्ता में कल्लूरी यह बताते हैं कि नेताओं को कैसे बयान देने चाहिए। तो क्या अब एक पुलिस अधिकारी किसी राजनीतिक दल को या उसके अध्यक्ष को यह सीखाएंगे कि उन्हें कैसा बयान देना चाहिए?
आश्चर्य की बात है कि एक पुलिस अधिकारी इस तरह की बात कर रहा है और राज्य सरकार महज मूकदर्शक बनी बैठी है। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को ऐसे वक्त तो अपनी लाचार वाली छवि को तोड़ते हुए कदम उठाना चाहिए।

नेताद्वय ने कहा कि आईजी कल्लूरी इस तरह की बातें कर यह साबित करना चाहते हैं कि पूरे प्रदेश में वही एकमात्र काबिल और होशियार आईपीएस हैं,  जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश में वे ही एकमात्र निर्मम व अत्याचारी आईपीएस है जो निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारने के विशेषज्ञ बन चुके हैं।

नेताद्वय ने कहा कि सीबीआई केंद्र के अधीन होती है, और केंद्र में भाजपानीत सरकार है, अत: रमन सरकार यह अब आरोप भी नहीं लगा सकती कि सीबीआई के हलफनामे में केंद्र सरकार का दखल है। ऐसे में कांग्रेस यह जानना चाहती है कि क्या रमन सरकार आईजी एसआरपी कल्लूरी को निलंबित कर जेल भेजेगी अथवा लाचार ही बनी रहेगी
*****

No comments:

Post a Comment