Wednesday, October 26, 2016

कुंजाम की पत्रवार्ता में हुड़दंग, पुलिस की मौजूदगी में कुर्सी-टेबल तोड़ डाले



कुंजाम की पत्रवार्ता में हुड़दंग, पुलिस की मौजूदगी में कुर्सी-टेबल तोड़ डाले


(पत्रिका )

जगदलपुर. आईजी एसआरपी कल्लूरी के इशारे पर बस्तर में पुलिस के सुनियोजित विद्रोह की खिलाफत करने पहुंचे मनीष कुंजाम की पत्रवार्ता हंगामे के बाद तोडफ़ोड़ में बदल गई।

कम्युनिस्ट कार्यालय में बुधवार दोपहर को पत्रवार्ता के बीच ही कुछ लोग पहुंचे। पहले तो उन्होंने मनीष को सोशल मीडिया पर मां दुर्गा पर अभद्र टिप्पणी मामले में माफी मांगने कहा। कुंजाम के यह कहने कि टिप्पणी मैंने नहीं की थी मैनें तो सिर्फ फारवर्ड किया है पर युवक भड़क गए।

आधे घंटे तक उन्होंने जमकर हंगामा किया इसके बाद भी बात नहीं बनते देख तैश में आकर भाकपा कार्यालय में रखी कुर्सी- टेबल को तोड़ दिया। आधे घंटे तक चले हंगामे के बीच बोधघाट थाने के जवान वहां पहुंचे।

जवानों ने बीच बचाव करते मनीष कुंजाम व उनके दो अन्य सहयोगियों को भीतर बने एक कमरे तक पहुंचाया। इसके बाद नारेबाजी करते युवाओं को धकियाते हुए कार्यालय से बाहर निकाला। कार्यालय के बाहर भी मनीष कुंजाम मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे।

इस बीच वहां एसपी आरएन दाश व सीएसपी मोनिका ठाकुर भी पहुंची। हंगामे से हतप्रभ मनीष कुं जाम ने कहा कि यह अग्रि व आरएसएस के इशारे पर हुआ हमला है। किसी तरह की रिपोर्ट लिखे जाने पर उन्होंने कहा कि सारी घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई है। पुलिस खुद ही सक्षम है। इधर सीएसपी ने इस घटना पर उच्चाधिकारियों से चर्चा करने की बात कही है।

गर्मागरम हुई बहस
सोशल मीडिया पर टिप्पणी की बात पर मनीष ने कहा कि गलती से फारवर्ड हो गया। सर्व आदिवासी समाज के आप नेता हैं पर उन्होंने कहा कि मैं उनके साथ उठता- बैठता ही नहीं। जेएनयू के कन्हैया व आतंकी अफजल गुरु को नहीं जानता हूं। मां दंतेश्वरी को मानता हूं पहले भी कुछ विद्वानों ने मां दुर्गा के बारे में अपने मत प्रकट किए हैं तो मेरा ही विरोध क्यों? मेरे माफी मंागने से सच्चाई खत्म नहीं होगी। इस बहसबाजी के बीच ही उनका टेबल पलट दिया गया। कुर्सियां फेंकी जाने लगी।

इसलिए पहुंचे थे
बस्तर संभाग में दो दिनों पहले वर्दीधारी आरक्षकों ने मनीष कुंजाम सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वतंत्र पत्रकारों का पुतला दहन किया था। इस पर विरोध जताने कम्युनिस्ट नेता पत्रवार्ता लेने पहुंचे थे।

कल्लूरी के इशारे पर सुरक्षा घटाई
हंगामे व तोडफ़ोड़ के दौरान मनीष कुंंजाम के अंगरक्षक बेबस साबित हुए। चर्चा में मनीष कुंजाम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर उन्हें सुरक्षा के लिए पहले एक- चार के गार्ड दिए गए थे। बाद में एसआरपी कल्लूरी के इशारे पर इनकी संख्या घटाकर दो कर दी गई। इन अंगरक्षकों के हथियार भी रखवा लिए गए हैं। इस घटना को लेकर मुझे सदमा लगा है, सोच विचार कर रिपोर्ट दर्ज कराएंगे।

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